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Asteroid ! क्षुद्रग्रह से जुड़े रोचक तथ्य व् सम्पूर्ण जानकारी | Asteroid Facts In Hindi

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क्षुद्रग्रह के बारे में जानकारी: क्षुद्रग्रह छोटे आकार के ग्रह है जो हमारे सौरमंडल के आंतरिक हिस्सों में पाए जाते हैं। Asteroid एक खगोलीय पिंड होते हैं जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं। इनका आकार सामान्य ग्रहों के मुकाबले बहुत छोटा होता है। ये आकार में उल्का पिंड से बड़े होते हैं।


अतीत काल से ही कई क्षुद्रग्रह हमारी धरती से टकराते आए हैं जिसके कारण कोई अप्रिय घटनाएं हुई है। ऐसी संभावना है कि भविष्य में कई छोटे-बड़े क्षुद्र ग्रह धरती से टकराते रहेंगे।


पहली बार क्षुद्र ग्रह की खोज 1801 में इटली के खगोल शास्त्री ग्यूसेप पियाजी ने की थी।खोजा जाने वाला पहला क्षुद्रग्रह, सेरेस है, जो 1801 में ग्यूसेप पियाजी द्वारा पाया गया था और इसे मूल रूप से एक नया ग्रह माना जाता था।

19वीं सदी के सुरुआती छह महीने में, शब्द "क्षुद्रग्रह" और "ग्रह" (हमेसा "नाबालिग" के रूप में योग्य नहीं) अभी भी एक-दूसरे का प्रयोग किया गया था। पिछले दो शताब्दियों में Asteroid Discovery विधियों से नाटकीय रूप से सुधार हुुआ।

18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में, बैरन फ्रांज एक्सवेर वॉन जैच ने 24 खगोलविदों के समूह को एक ग्रह का आयोजन किया, जिसमें आकाश के बारे में 2.8 एयू के बारे में अनुमानित ग्रह के लिए आकाश की खोज थी, जिसे टीटीएस-बोद कानून द्वारा आंशिक रूप से खोज की गई थी।Mars planet से पहले क्षुद्रग्रह छवि (सेरेस और वेस्ता)- जिज्ञासा (20 अप्रैल 2014) द्वारा देखा गया।

हमारी सौर प्रणाली में लगभग 100,000 क्षुद्रग्रह है लेकिन उनमें से अधिकतर इतने छोटे हैं कि उन्हें पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। केवल 'वेस्टाल' ही एक ऐसा क्षुद्रग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इनका आकार 1000 किलोमीटर व्यास के सेरेस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकड़ों तक होता है।

यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी (Earth) की कक्षा के अंदर से शनि ग्रह (saturn planet in hindi) की कक्षा से बाहर तक है। इनमें से दो तिहाई क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति (Jupiter planet in hindi) के बीच में एक पट्टे में है। 'हिडाल्गो' नामक क्षुद्रग्रह की कक्षा मंगल (mars planet in hindi) तथा शनि (saturn facts) ग्रहों के बीच पड़ती है। 'हर्मेस' तथा 'ऐरोस' नामक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से कुछ लाख किलोमीटर की दूरी पर है।


ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो क्षुद्रग्रहों कि कक्षा से भटक गया है तथा प्रत्येक 7 सालों के बाद पृथ्वी से 256 किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि चन्द्रमा के अतिरिक्त यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का पिंड बन जाता है। इस ग्रह की खोज 1898 में जी.विट ने की थी।

वैज्ञानिकों के अनुसार यह मंगल ग्रह (mars planet) और बृहस्पति ग्रह (jupiter planet) के बीच में किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टुकड़ों में बट गया है।

इस कल्पना का कारण एक यह भी हो सकता है कि मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच का अंतराल सामान्य से ज्यादा हो। दूसरा कारण यह हो सकता है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान में बढ़ते हुए और बृहस्पति के बाद घटते क्रम में है।

लेकिन इस प्राचीन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्रग्रहों को एक साथ मिला लिया भी जाए तब भी इससे बना संयुक्त ग्रह 1500 किलोमीटर से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चंद्रमा के आधे से भी कम है।

क्षुद्र ग्रहों के बारे में हमारी जानकारी उल्कापात में बचे हुए अवशेषों से हैं।जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण में आकर पृथ्वी से टकरा जाते हैं उन्हें "उल्का" कहा जाता है। ये उल्कायें 22% सिलिकेट का और 5% लोहे और निकेल का बना होता है।


क्षुद्रग्रह सौरमंडल के जन्म के समय से ही मौजूद हैं। अंतरिक्ष यान जो इनके पट्टे के बीच से गए हैं उन्होंने पाया कि ये पट्टा सघन नहीं है। अक्टूबर 1991 में गैलेलियो यान क्षुद्रग्रह क्रमांक 951 गैसपरा के पास से गुजरा था।

अगस्त 1993 में गैलीलियो ने क्षुद्रग्रह क्रमांक 243 इडा की नजदीक से तस्वीर ली थी। यह दोनों '5' वर्ग के क्षुद्रग्रह है। अब तक हजारों क्षुद्रग्रह देखे जा चुके हैं और उनका नामाकरण और वर्गीकरण भी हो चुका हैं। इन क्षुद्रग्रहों में प्रमुख हैं- टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जिओग्राफोस और वेस्ता। 2 पालास, 4 वेस्ता और 10 हाय्जीया ये 400 किलोमीटर और 525 किलोमीटर के व्यास के बीच है। बाकी बचे सभी क्षुद्रग्रह 340 किलोमीटर व्यास से कम के हैं।

सौरमंडल के बाहरी हिस्सों में भी कुछ क्षुद्रग्रह हैं जिन्हें 'सेन्टारस' कहते है। इन बाहरी हिस्सों के क्षुद्रग्रहों में से एक 2060 शीरॉन है जो शनि ग्रह और अरुण ग्रह के बीच सूर्य की परिक्रमा (घूर्णन) करता है। एक और क्षुद्रग्रह जो 5335 डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल ग्रह के पास से अरुण ग्रह तक है। 5145 फोलुस की कक्षा शनि ग्रह से वरुण ग्रह के बीच (मध्य) है।

क्षुद्रग्रह का निर्माण कैसे हुआ? How Did The Asteroid Form?


आज से 5 बिलियन वर्ष पूर्व जब हमारे सौरमंडल का निर्माण हो रहा था, तो उसमें जो कुछ कण बच गए वे क्षुद्रग्रह कहलाए।

क्षुद्रग्रह की भौतिक विशेषताएं? Physical Characteristics Of The Asteroid?

सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह 'सेरेस' जिसका आकार 940 किलोमीटर लंबा है। सबसे छोटा क्षुद्रग्रह 'सिरस' जो सिर्फ 6 फीट लंबा है। सेरेस का आकार गोलाकार है। वेस्ता नाम के क्षुद्रग्रह पर लगभग 450 किलोमीटर लंबा गड्ढा है। ऐसा माना जाता है कि इसका सतह पूरी तरह धूल से ढका हुआ है।


क्षुद्रग्रहों को उन उल्कापिंडों की श्रेणी में रखा जाता है जो हमारे वायुमंडल में प्रवेश नहीं कर पाते एवं पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंच पाते।

करीब 150 क्षुद्रग्रहों के अपने चंद्रमा भी है इनमें से कई के दो-दो चंद्रमा है। कई क्षुद्रग्रह दूसरे ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल के पकड़ में आके उस ग्रह की परिक्रमा करने लग जाते हैं। कई बार वे उन ग्रहों के चंद्रमा का भी रुप ले लेते हैं जैसे कि मंगल ग्रह के चंद्रमा फोबोस एवं डीमोस। बृहस्पति (jupiter), अरुण (Uranus), नेप्चून इत्यादि ग्रहों के चंद्रमा भी कुछ इसी तरह बने हुए है।
इन क्षुद्रग्रहों का औसत तापमान -100 डिग्री F (फॉरेनहाइट) रहता है।

 

क्षुद्रग्रह से जुड़े रोचक तथ्य ! Asteroid Facts In Hindi

1. क्षुद्रग्रह छोटे सौरमंडल निकाय है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। चट्टान और धातु से बने, इनमें कार्बनिक यौगिक भी हो सकते हैं।

2. पहली बार की खोज 1801 में इटली के खगोल शास्त्री ग्यूसेप पियाजी ने की थी।

3. वर्तमान में हमारे सौरमंडल में 20 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रह है जिनमें से अधिकांश मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह के बीच में Asteroid Belt में पाए जाते हैं।


4. हमारी पृथ्वी पर लगभग 6.5 मिलियन वर्ष पहले एक क्षुद्रग्रह टकराया था जिसके कारण पृथ्वी पर भारी मात्रा में नुकसान हुआ था और डायनासोर सहित कई सारे जीव का अस्तित्व खत्म हो गया था।


5. क्षुद्रग्रह में कई सारी कीमती धातुएं मौजूद होती है जिसकी कीमत अरबों रुपए हैं।

6. वर्तमान में हमारे सौरमंडल में 600,000 से अधिक ज्ञात क्षुद्रग्रह है।



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