प्लूटों (Pluto Planet In Hindi) यह सौरमंडल का दूसरा सबसे भारी "बौना ग्रह" है। प्लूटो (यम) सामान्यतः यह वरुण की कक्षा के बाहर रहता है। यम या प्लूटो को कभी सौरमंडल का सबसे बाहरी ग्रह माना जाता था, लेकिन अब इसे सौरमंडल के बाहरी काइपर घेरे की सबसे खगोलीय वस्तु माना जाता था।
काइपर घेरे की अन्य वस्तुओं की तरह प्लूटो (यम) का आकार और द्रव्यमान काफी छोटा है। प्लूटो सौरमंडल के साथ चंद्रमाओं (पृथ्वी का चंद्रमा, आयो, यूरोपा, गनीमिड, कैलिस्टो, टाईटन, ट्राईटन) से छोटा है। इसका आकार पृथ्वी के चंद्रमा का एक तिहाई है।
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सूर्य के इर्द-गिर्द इस की परिक्रमा की कक्षा भी थोड़ी बेढंग है- यम कभी तो वरुण की कक्षा के अंदर जाकर सूर्य से 30 खगोलीय इकाई (यानी 6.7 अरब किलोमीटर) दूर होता है और कभी दूर जाकर सूर्य से 45 खगोलीय इकाई (यानी 6.7 अरब किलोमीटर) पर पहुंच जाता है।
प्लूटो (यम) जमी हुई नाइट्रोजन की बर्फ, पानी की बर्फ और पत्थर का बना हुआ है। प्लूटो (यम) को सूर्य कि एक पूरी परिक्रमा करने में 24.09 वर्ष लग जाता है।
प्लूटो (यम) का रंग रूप ! Colour Of Pluto
प्लूटो (Pluto Planet Facts In Hindi) का व्यास 2274 किलोमीटर है, जो पृथ्वी का 14% है। प्लूटो (यम) का रंग काला, नारंगी और सफेद का मिश्रण है। 1989 से 2003 तक किए गए अध्ययन में देखा गया कि प्लूटो (यम) के रंगों में बदलाव आया है। उत्तरी ध्रुव का रंग थोड़ा उजला हो गया है और दक्षिणी ध्रुव का थोड़ा गाढ़ा।
प्लूटो (यम) का वायुमंडल ! Pluto's Atmosphere
यम या प्लूटो का वायुमंडल काफी पतला है, जिसमें नाइट्रोजन, मिथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड है। जब प्लूटो परिक्रमा करते हुए सूर्य से दूर हो जाता है तो उस पर ठंड बढ़ जाती है और इन्हीं गैसों का कुछ भाग जमकर बर्फ़ की तरह यम(प्लूटो) की सतह पर गिर जाता है; जिससे यम का वायुमंडल और भी पतला हो जाता है।
प्लूटो (यम) की खोज और नामाकरण ! Discovery And Naming Of Pluto
रोमन मिथकों के अनुसार प्लूटो पाताल का देवता है। इसे यह नाम सूर्य से इसकी दूरी के कारण इस ग्रह पर अंधेरे के कारण तथा इसके अविष्कार पर्सिवल लावेल के आधाक्षरों (PL) के कारण मिला है। प्लूटो 1930 में संयोग से खोजा गया।
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अरुण और वरुण की गति के आधार पर की गई गणना में गलती के कारण वरुण के परे एक और ग्रह के होने की भविष्यवाणी की गई थी। लावेल वेधशाला परियोजना में क्लायड टॉमबाग इस गणना से अनजान थे। उन्होंने सारे आकाश का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया और प्लूटो को खोज निकाला।
खोज के तुरंत पश्चात यह पता चल गया था कि प्लूटो इतना छोटा है कि यह दूसरे ग्रह की कक्षा में प्रभाव नहीं डाल सकता है। प्लूटो पर अभी तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं भेजा गया है।
प्लूटो (यम) के चंद्रमा ! Pluto's Moons
प्लूटो (Pluto's Moons About In Hindi) के पांच ज्ञात उपग्रह है। प्लूटो का उपग्रह शेरान जिसकी खोज 1978 म हुआ था। शेरान जो प्लूटो के उपग्रहों में सबसे बड़ा है और जिसका व्यास यम का आधा है। 2005 में खोज किये गये दो नन्हे उपग्रह(चन्द्रमा) निक्स और हाइड्रा। इनका व्यास क्रमशः 50 और 60 किमी है।
20 जुलाई 2011 को घोषित किया गया कार्बेरॉस जो कि आकार में 30 किमी चौड़ा है। शेरान सबसे बड़ा उपग्रह है और प्लूटो(यम) के ज्यादा करीब भी है। इसकी कक्षाओं के केंद्र इनके अंदर न होकर कहीं बीच मे है। इसलिए कभी-कभी इन्हें "युग्मक(जोड़ा) वाले ग्रह" भी कहा जाता है जो कि एक-दुसरे के साथ-साथ चलते है।
प्लूटो का व्यास ! Diameter Of Pluto
प्लूटो (Pluto Planet In Solar System) का व्यास अनुमानित है। प्लूटो और शेरान का द्रव्यमान ज्ञात है जो कि शेरान की कक्षा और परिक्रमा काल का गणना में प्रयोग कर ज्ञात किया गया है लेकिन प्लूटो और शेरान का स्वतंत्र रूप से द्रव्यमान ज्ञात नहीं है।
इसके लिए दोनों द्वारा दोनों के मध्य गुरुत्वकेंद्र के परिक्रमा काल की गणना करनी होगी। यह गणना हब्बल दूरबीन द्वारा भी नही की जा सकती। यह गणना "न्यू हारीजॉन्स" द्वारा आंकड़े भेजे जाने के बाद ही संभव हो पाएगी।
प्लूटो ग्रह या बौना ग्रह ! Pluto Planet or Dwarf Planet
1930 में अमेरिकी खगोलशास्त्री क्लाइड टॉमबो ने प्लूटो को खोज निकाला और इसे सौरमंडल का 9वां ग्रह मान लिया गया। प्लूटो के वर्गीकरण में विवाद रहा है। यह 75 वर्षों तक सौरमंडल में नौवें ग्रह के रूप में जाना जाता रहा लेकिन 24 अगस्त 2006 में इसे अंतरराष्ट्रीय खगोल संगठन (I.A.U) ने ग्रहों के वर्ग से निकाल एक नये वर्ग "बौना ग्रह" में रख दिया।
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प्लूटो के बारे में कुछ ऐसी चीजें पता चली है जो अन्य ग्रहों से अलग थी-
● प्लूटो (Pluto Facts In Hindi) की कक्षा अत्यधिक विकेंद्रित है। बाकी ग्रह एक के बाहर एक अंडाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन प्लूटो की कक्षा वरुण की कक्षा की तुलना में कभी सूर्य के ज्यादा समीप होती है और कभी कम।
हाल ही में यह वरुण की कक्षा के अंदर जनवरी 1979 से 11 फरवरी 1999 तक रहा था।
प्लूटो का परिक्रमा काल ! Pluto's Orbital Period
प्लूटो (Pluto In Hindi) अधिकतर ग्रहों के विपरीत दिशा में घूमता है। प्लूटो वरुण से 3:2 के अनुपात में बंधा हुआ है। इसका अर्थ यह है कि प्लूटो का परिक्रमा काल वरुण से 1:5 गुना लम्बा है।
इसका परिक्रमा पथ अन्य ग्रहों से ज्यादा झुका हुआ है। प्लूटो वरुण की कक्षा को काटता है ऐसा प्रतीत होता है लेकिन परिक्रमा पथ के झुके होने से वह वरुण से कभी नहीं टकराएगा।
● इसकी कक्षा बाकी ग्रहों की कक्षा की तुलना में ढलान पर थी। प्लूटो की कक्षा चपटे चक्र के कोण पर थी।
● इसका आकार बहुत छोटा है। प्लूटो से पहले सबसे छोटा ग्रह बुध था। प्लूटो बुध के आधे से भी छोटा था।
इन बातों से खगोलशास्त्रियों के मन में शंका बन गई थी कि कहीं प्लूटो वरुण का कोई भागा हुआ उपग्रह तो नहीं, हालांकि इसकी संभावना भी कम थी क्योंकि प्लूटो और वरुण परिक्रमा करते हुए कभी ज्यादा पास नहीं आते।
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सन 1990 के बाद वैज्ञानिकों को बहुत सी वरुण-पार वस्तुएं मिलने लगी जिनकी कक्षाएं, रूप-रंग और बनावट प्लूटो से मिलती जुलती थी।
आज वैज्ञानिकों ने यह पहचान लिया है कि सौरमंडल के इस इलाके में एक पूरा घेरा है जिसमें ऐसी ही वस्तुएं पाई जाती है जिनमें से प्लूटो सिर्फ एक है। इसी घेरे का नाम "काइपर घेरा" रखा गया।
(2005-2008) में इसी काइपर घेरे में हउमेया और माकेमाके मिले जो काफी बड़े थे (प्लूटो से थोड़े छोटे)। 2005 में काइपर घेरे से भी बाहर ऐरिस मिला, जो प्लूटो से बड़ा था। यह सारे अन्य ग्रहों से अलग और प्लूटो से मिलते-जुलते थे।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) असमंजस में पड़ गया क्योंकि लगने लगा कि ऐसी कितनी ही वस्तुएं आने वाली सालों में मिलेगी। या तो यह सब ग्रह थे या फिर प्लूटो को ग्रह बुलाना बंद करके कुछ और बुलाने की जरूरत थी।
13 सितंबर 2006 को इस संघ ने ऐलान किया कि प्लूटो ग्रह नहीं है और उन्होंने एक नई "बौना ग्रह" की श्रेणी स्थापित करी। प्लूटो, हउमेया, माकेमाके और एरिस अब बौने ग्रह कहलाते हैं।
प्लूटो का निर्माण ! Formation Of Pluto
प्लूटो (Pluto Planet In Hindi) की सतह का तापमान -235 डिग्री सेल्सियस से -210 डिग्री सेल्सियस तक विचलन करता है। गर्म क्षेत्र साधारण प्रकाश में गहरे नजर आते हैं। प्लूटो की संरचना अज्ञात है लेकिन उसके घनत्व के (2 ग्राम/घन सेंटीमीटर) होने से अनुमान है कि यह ट्राईटन के जैसे 70% चट्टान और 30% जल बर्फ़ से बना होगा।
इसके चमकदार क्षेत्र नाइट्रोजन की बर्फ़ के साथ कुछ मात्रा में मीथेन, इथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड की बर्फ से ढके हैं। इसके गहरे क्षेत्रों की संरचना अज्ञात है लेकिन इन पर कार्बनिक पदार्थ हो सकते हैं।
प्लूटो का वातावरण ! Pluto's Atmosphere
प्लूटो (Pluto Planet Information Hindi) के वातावरण के बारे में कम जानकारी है लेकिन शायद यह नाइट्रोजन के साथ कुछ मात्रा में मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड से बना हो सकता है। यह काफी पतला है और दबाव कुछ मीलीबार है। प्लूटो का वातावरण इसके सूर्य के समीप होने पर ही अस्तित्व में आता है; शेष अधिकतर काल में यह बर्फ बन जाता है। जब प्लूटो सूर्य के समीप होता है तब इसका कुछ वातावरण उड़ भी जाता है।
प्लूटो की कक्षा और गुणधर्म ! Pluto's Orbit And Properties
प्लूटो और ट्राइटन की असामान्य कक्षायें और उनके गुण धर्मों में समानता इन दोनों में ऐतिहासिक संबंध दर्शाती है। एक समय यह माना जाता था कि प्लूटो कभी वरुण का चंद्रमा रहा होगा लेकिन अब ऐसा नहीं माना जाता है।
अब यह माना जाता है कि ट्राईटन प्लूटो के जैसे स्वतंत्र रूप से सूर्य की परिक्रमा करते रहा होगा और किसी कारण से वरुण के गुरुत्व की चपेट में आ गया होगा। शायद ट्राईटन, प्लूटो और शेरान उर्ट बादल से सौर मंडल में आए हुए पिंड हैं। पृथ्वी के चंद्रमा की तरह शेरान शायद प्लूटो के किसी अन्य पिंड के टकराने से बना है।
न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान ! New Horizons Spacecraft
न्यू होराइजन्स अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा (NASA) का एक अंतरिक्ष शोध यान है जो प्लूटो के अध्ययन के लिए छोड़ा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2000 को किया गया था जो 9 वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा।
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प्लूटो और इसके उपग्रह शेरान के सबसे नजदीक से यह यान 14 जुलाई 2015 को 12:03:50(UTC) बजे गुजरा। इस समय इस यान से प्लूटो की दूरी लगभग 12,500 किलोमीटर थी और यह लगभग 14 किलोमीटर प्रति सेकंड के वेग से गुजर रहा था।
प्लूटो से जुड़े रोचक तथ्य ! Interesting Facts About Pluto
1. 13 सितंबर 2006 को इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन ने प्लूटो को बौना ग्रह की श्रेणी में डाल दिया।
2. 75 देशों के वैज्ञानिकों ने प्लूटो के बारे में शोध के बाद यह तय किया कि प्लूटो में ग्रह कहलाने वाले गुण नहीं है।
3. प्लूटो का आकार हमारे चंद्रमा का एक तिहाई है।
4. इसका व्यास 2,300 किलोमीटर है।
5. पृथ्वी प्लूटो से 6 गुना बड़ी है।
6. सूर्य से औसतन दूरी: 6 अरब किलोमीटर है।
7. सूर्य का एक चक्कर लगाने में प्लूटो को 248 साल के बराबर का समय लग जाता है।
8. प्लूटो नाइट्रोजन की बर्फ, पानी की बर्फ़ और पत्थरों से बना है।
9. प्लूटो के वायुमंडल में नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस है।
10. प्लूटो की खोज ने 1930 में अमेरिकी खगोलशास्त्री क्लायड टॉमबाग ने की थी।
11. प्लूटो का नाम एक बच्चे ने रखा। ऑक्सफोर्ड स्कूल ऑफ लंदन में 11वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा वेनेशिया बर्ने ने सुझाव दिया था कि इसका नाम प्लूटो रखा जाए। उस लड़की ने कहा कि रोम देश मे अंधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं. इस नए ग्रह पर भी हमेशा अंधेरा रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए।
12. प्लूटो के चार चंद्रमा है, जिनके नाम- शेरान, निक्स, हाएड्रा और एस हैं।
Acha hai
ReplyDeleteआप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.