Fresh Article

Type Here to Get Search Results !

राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध | National Sports Day In Hindi

0
राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध लेख (National Sports Day 2021 In Hindi)

राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध (National Sports Day Essay In Hindi)

National Sports Day 2021: हमारे देश में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2021 In Hindi) मनाया जाता हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस को हर साल 29 अगस्त को मनाने का कारण यह हैं कि इस दिन हमारे देश के दिग्गज हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। मेजर ध्यानचंद ने हमारे देश का नाम खेल में अपने उत्तम प्रदर्शन द्वारा बहुत ऊँचा किया हैं, इसीलिए उनके जन्म दिन को ही राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।


राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही भारत के राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे पुरस्कार नामित लोगों को देते हैं। आइए आज के इस लेख में जानते हैं राष्ट्रीय खेल दिवस के बारे में...National sports day in hindi...

राष्ट्रीय खेल दिवस हिंदुस्तान के सभी स्कूलों, कॉलेजों, अन्य शिक्षण संस्थाओं और खेल अकादमियों में मनाया जाता हैं और हमारे जीवन में खेल-कूद के महत्व को दर्शाया जाता हैं।

इसके साथ ही राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी हैं कि हम अपने देश के युवाओं में भिन्न-भिन्न खेलों के प्रति जागरूकता पैदा कर सके। और उन खेलों में अपना करियर बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर सके। युवाओं के अंदर ये भावना उत्पन्न कर पायें, कि वे अपने खेल के उम्दा प्रदर्शन के द्वारा खुद की तरक्की तो करेंगे ही, साथ ही साथ उनके द्वारा खेल में बेहतरीन प्रदर्शन से देश का नाम भी वे ऊँचा करेंगे और राष्ट्रीय गौरव भी बढाएँगे।

साल 2021 में राष्ट्रीय खेल दिवस कब है? (National Sports Day 2021 date)

साल 2021 में राष्ट्रीय खेल दिवस प्रति वर्ष की तरह 29 अगस्त 2021, दिन रविवार को मनाया जायेगा।

राष्ट्रीय खेल दिवस हर साल मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन ही मनाया जाता है। तो आइए जानते है मेजर ध्यानचंद के बारे में....


हॉकी के जादूगर के नाम से जाने जाने वाले मेजर ध्यानचंद वह शख्सियत हैं, जिनके जन्म दिवस पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता हैं। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तरप्रदेश के इलाहबाद शहर के एक राजपूत परिवार में हुआ था और इस दिन हमें और हमारे देश को एक महान हॉकी खिलाड़ी मिला।

मेजर ध्यानचंद में अपने खेल (Games In Hindi) हॉकी के प्रति अद्वितीय क्षमताएं थी। उनके बारे में अगर ये कहा जायें कि उन्होंने अपने खेल के द्वारा देश में हॉकी नामक खेल को एक अलग और खास मुक़ाम दिलाया है तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

मेजर ध्यानचंद अपनी हॉकी स्टिक के साथ खेल के मैदान में ऐसे खेलते थे जैसे कोई जादू करते थे और खेल जीता देते थे, इसलिए उन्हें “हॉकी विज़ार्ड [Hockey Wizard]”  का टाइटल यानी "हॉकी का जादूगर" का टाइटल भी दिया गया था।

मेजर ध्यानचंद जी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत सन 1926 में की और उनकी कप्तानी के समय देश को 3 ओलंपिक गोल्ड मैडल जिताने में मदद की। ये तीनों गोल्ड मैडल उन्होंने सन 1928, 1932 और 1936 में देश को जिताये थे।


मेजर ध्यानचंद के कामयाबी का किस्सा यहीं नहीं खत्म होता। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से भी अधिक गोल किए। भारत सरकार ने मेजर ध्यानचंद को वर्ष 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया। इसलिए उनके जन्मदिन यानी 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मेजर ध्यानचंद ने जीन तीन मैचों में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया था वो कुछ इस तरह है...

ओलंपिक साल 1928

वर्ष 1928 में पहली बार ओलंपिक खेलने गए मेजर ध्यानचंद ने इस पूरे टूर्नामेंट में अपनी हॉकी का ऐसा जादू दिखाया कि मानो विरोधी टीमें उन्हें मैदान पर देखकर ही डरने लगीं थी। वर्ष 1928 में नीदरलैंड्स में आयोजित किये गए ओलंपिक खेल में मेजर ध्यानचंद ने 5 मैच में सबसे अधिक 14 गोल किए थे और भारत को स्वर्ण पदक जिताया। भारत के इस बेहतरीन जीत  के बाद बॉम्बे हार्बर में हज़ारों लोगों ने उनके टीम का ज़ोरदार स्वागत किया।

ओलंपिक साल 1932

वर्ष 1928 में जो उन्होंने करिश्मे दिखाए थे उन करिश्मों को दोहराने में मेजर ध्यानचंद को कोई भी परेशानी नहीं हुई। और साल 1932 में लोस एंजलिस में आयोजित ओलंपिक में जापान के खिलाफ अपने पहले ही मुकाबले को भारत ने 11-1 से जीत लिया। इतना ही नहीं इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारत ने USA को 24-1 से हराकर एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था जो बाद में साल 2003 में ही जाकर टूटा। इस ओलंपिक में भारत एक बार फिर से गोल्ड मेडलिस्ट बना।

ओलंपिक साल 1936

अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ें मेजर ध्यानचंद के लिए ये ओलम्पिक सबसे ज्यादा यादगार रहने वाला थी। क्योंकि मेजर ध्यानचंद की कप्तानी में बर्लिन पहुंची भारतीय टीम से एक बार फिर गोल्ड की उम्मीद थी। भारतीय टीम बर्लिन में आयोजित इस टूर्नामेंट में भी उम्मीदों पर खरी उतरी और विरोधी टीमों को पस्त करते हुए फाइनल तक पहुंच ही गई। फाइनल में इस बार भारत की भिड़ंत जर्मन चांसर एडोल्फ हिटलर की टीम जर्मनी से होनी थी।


बर्लिन में आयोजित इस मैच को देखने के लिए खुद एडोल्फ हिटलर भी आये थे। लेकिन हिटलर की मौजूदगी या गैर-मौजूदगी से भारतीय टीम या मेजर ध्यानचंद के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था। हालांकि इस मैच से पहले भारतीय टीम थोड़ी तनाव में जरूर थी क्योंकि इससे पहले वाले मुकाबले में भारतीय टीम को जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन बर्लिन के मैदान पर उतरने के बाद वो तनाव खुद बा खुद दूर हो गया।

मैच के पहले हाफ में जर्मनी के खिलाड़ियों ने भारत को एक भी गोल नहीं करने दिया। इसके बाद दूसरे हाफ में भारतीय टीम ने एक के बाद एक लगातार गोल दागने शुरु किए और जर्मनी को चारो खाने चित कर दिया।

हालांकि दूसरे हाफ में जर्मनी के खिलाड़ी भी एक गोल दागने में सफल रही जो कि इस ओलंपिक में भारत के खिलाफ लगा एकमात्र गोल था। जर्मनी और भारत के बीच हो रहे इस मैच के खत्म होने से पहले ही एडोल्फ हिटलर ने स्टेडियम छोड़ दिया था क्योंकि वो अपनी टीम को हारते हुए नहीं देखना चाहता था। इतना ही नहीं इस मैच के दौरान एडोल्फ हिटलर ने मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक भी चैक करने के लिए मंगवाई थी।

हिटलर ने डिनर पर आमंत्रित किया मेजर ध्यानचंद को

वर्ष 1936 में बर्लिन में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों के बाद मेजर ध्यानचंद के प्रदर्शन से प्रभावित होकर एडोल्फ हिटलर ने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया था। एडोल्फ हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की तरफ से हॉकी खेलने का भी प्रस्ताव भी दिया था लेकिन ध्यानचंद ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि उनका देश भारत है और वे भारत के लिए ही खेलेंगे।

मेजर ध्यानचंद का आखिरी मैच साल 1948

मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1948 में अपना आखिरी मैच खेला और उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में कुल 400 से भी अधिक गोल किये थे। जो कि एक रिकॉर्ड है।

राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन [Celebration of National Sports Day]

देश भर के विभिन्न विद्यालयों द्वारा अपना वार्षिक खेल दिवस [Annual Sports Day] भी राष्ट्रीय खेल दिवस के साथ ही मनाया जाता हैं अर्थात् 29 अगस्त के दिन को।

स्कूलों द्वारा इस प्रकार समान दिन कार्यक्रमों के आयोजन का एक उद्देश्य यह हैं कि वे आने वाली युवा पीढ़ी को खेल का महत्व बता सकें और खेल क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकें ताकि हमारे देश को एक अच्छा खिलाड़ी प्राप्त हो।


राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन स्कूलों में भारत के लिए खेलने वाले अच्छे खिलाड़ियों के जीवन और उनके संपूर्ण संघर्ष और सफलता के बारे में बताया जाता हैं और उनकी तरह कामयाबी पाने के लिए बच्चों को राह भी दिखाई जाती हैं।

राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन बहुत से स्कूल पुरस्कार वितरण समारोह [prize distribution function] भी आयोजित करते हैं।

राष्ट्रीय खेल दिवस को राष्ट्र स्तर पर भी बड़े तौर पर मनाया जाता हैं। इस दिवस का आयोजन हर साल राष्ट्रपति भवन में किया जाता हैं और देश के राष्ट्रपति स्वयं देश के उन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार [National Sports Award] देते हैं, जिन खिलाड़ियों ने अपने खेल के उत्तम प्रदर्शन द्वारा पूरे विश्व में तिरंगे का मान बढ़ा दिया।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के अंतर्गत राजीव गाँधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य अवार्ड, जैसे कई पुरस्कार देकर उन खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता हैं। इन सभी सम्मानों के साथ “देश का सर्वोच्च खेल सम्मान – मेजर ध्यानचंद अवार्ड”  भी इसी दिन दिया जाता हैं, जो कि सबसे पहले वर्ष 2002 में दिया गया था।

पद्म भूषण सम्मान

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। ध्यानचंद को साल 1956 में देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ध्यानचंद ने हॉकी में एक के बाद एक कई कीर्तिमान बनाए, उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। इस महान खिलाड़ी की याद में आज का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2021) के रूप में मनाया जाता है।


इस प्रकार हमारे भारत देश में राष्ट्रीय खेल दिवस [National Sports Day In Hindi] बहुत ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।




Post a Comment

0 Comments