सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान है, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं। धूमकेतु (Comets In Hindi) सौरमंडलीय निकाय है जो पत्थर धूल, बर्फ़ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खंड होते हैं। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अंडाकार पथ में लगभग 6 से 200 वर्ष में पूरी करते है।
कुछ धूमकेतु (Comets Facts In Hindi) का पथ वलयकार होता है और वो मात्र एक ही बार ही दिखाई देते हैं। लंबे पथ वाले धूमकेतु एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं।
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अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं। एक धूमकेतु में एक ठोस कोर युक्त या रॉक, धूल, बर्फ़ और एक नाभिक के रूप में जाना जाता जमे हुए गैस होते हैं। नाभिक एक पतली वातावरण से घिरा हुआ है, जिसे 'कोमा' कहा जाता है, जो पानी और धूल से बना है।
धूमकेतु के भाग ! Parts Of Comet
1. नुक्लेओस:- यह बर्फ़, गैस और धूल के मिश्रण से बना होता है। यह ठोस अवस्था होता है एवं स्थिर रहता है।
2. हाइड्रोजन के बादल:- यह कम घना होता है एवं व्यास के आधार पर मिलियन किलोमीटर तक फैला रहता है।
3. धूल का समूह:- यह नुक्लेओस से निकले धुंए से बनता है एवं यह लगभग 10 मिलियन किलोमीटर तक फैला होता है।
4. कोमा:- यह पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे गैसों के मिश्रण से बने घने बादलों के समूह होते हैं।
5. आयन टेल:- आयन टेल अर्थात पूंछ जो सूर्य के संपर्क में आने पर ही निर्मित होती है। यह पूंछ जो प्लाज्मा और किरणों से भरी हुई होती है।
धूमकेतु का इतिहास ! History Of Comets
धूमकेतु (Comet In Hindi) को सूर्य की परिक्रमा करने में हजारों और कभी-कभी लाखो वर्ष लग जाते हैं। कुछ धूमकेतु ऐसे भी होते हैं जिन्हें 100 या सैकड़ों वर्ष लगते हैं।
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इनमें से कुछ धूमकेतुओं का आकार किलोमीटर के एक पिंड के बराबर होता है तथा कुछ चंद्रमा के बराबर तक के होते हैं जब ये परिक्रमा करते हुए सूर्य के निकट आ जाते हैं तो बहुत गर्म हो जाते हैं और गैस एवं धूल को फैलाते हैं जिसके कारण विशालकाय चमकती हुई पिंड का निर्माण होता है।
चीन में इस बात का रिकॉर्ड उपस्थित है कि 240 BC पहले हैली नाम के धूमकेतु की उपस्थिति दर्ज की गई थी। दुबारा सन 1066 AD में इंग्लैंड में भी हैली धूमकेतु के बारे में रिकॉर्ड मिला। सन 1999 तक लगभग 890 धूमकेतु सूचीबद्ध किए जा चुके हैं।
धूमकेतु (Comets Facts) जब सूर्य के नजदीक होते हैं तो जलने लगते हैं और फिर इनका सिर एक चमकते हुए तारे जैसा नजर आता है और पूंछ अत्यधिक चमकीली जलती हुई नजर आती है।
सिर का केंद्र चमकीला होने के कारण यह इनका नाभिक (Nucleus) कहलाता है। सूर्य के विपरीत दिशा में बर्फ और धूल का चमकीला हिस्सा पूंछ की तरह से लगता है, इसे "कोमा" कहा जाता है। धूमकेतु की इस पूंछ के कारण इसे "पुच्छल तारा" भी कहा जाता है।
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जब यह सूर्य से दूर चले जाते हैं तो फिर से यह ठोस रूप लेकर धूल और बर्फ पुनः नाभिक में जम जाती है। जिसके कारण इनकी पूंछ छोटी हो जाती है और अक्सर यह पूंछ विहीन हो जाते हैं।
कहा जाता है कि आज से 6.5 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी से डायनासोर समेत 70% जीव-जंतुओं का सफाया करने वाला आकाशीय पिंड उल्कापिंड नहीं बल्कि धूमकेतु था।
प्रत्येक धूमकेतु (Comets About In Hindi) के लौटने का निश्चित समय होता है पृथ्वी की तरह धूमकेतु सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इस तरह के कई धूमकेतु है पर सबसे प्रसिद्ध है हैली का धूमकेतु।
हैली का धूमकेतु अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था अगली बार यह 1986+76=2062 में दिखाई देगा। हैली धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है। हैली का नाम इनके खोजकर्ता खगोलशास्त्री एडमंड हैली के नाम पर रखा गया था।
धूमकेतु से जुड़े रोचक तथ्य ! Comets Facts In Hindi
1. सौर मंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान है, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
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2. Comet शब्द, ग्रीक शब्द Kometes से बना है। जिसका अर्थ होता है Hairy one बालों वाला।
3. धूमकेतु चट्टान, धूल और जमी हुई गैसों के बने होते हैं।
4. ऐसा अनुमान है कि सूर्य के काइपर बेल्ट में बिलियन की संख्या में धूमकेतु विराजमान है।
5. नासा के अनुसार अभी तक 3526 धूमकेतु पहचाने जा चुके हैं।
6. धूमकेतु (Comets Facts) को बर्फ़ का मिश्रण भी माना जाता है क्योंकि ये जमे हुए गैस और पानी से मिलकर बने हुए रहते हैं।
7. परसिड नाम का धूमकेतु हर साल अगस्त 9 से 13 के बीच दिखाई देता है।
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8. अरस्तु ने अपनी प्रथम पुस्तक मीट्रियोलोजी में धूमकेतु की चर्चा की थी।
Iske baare me main nhi jaanta tha sir
ReplyDeleteआप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.