Fresh Article

Type Here to Get Search Results !

भारतीय इतिहास के 10 महान शासक | 10 Great Rulers Of Indian History In Hindi

0
हिंदुस्तान एक ऐसा राष्ट्र है जहां बहुत सारे राजाओं और शासकों ने शासन किया है। हमारे भारत देश में बहुत से महान शासक हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन महान राजाओं और शासकों (Great Rulers Of India) का इतिहास ईसा पूर्व युग से शुरू होकर आधुनिक भारत तक आता है। इन शासकों को न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया भर में भी उनकी वीरता और कौशल के लिए जाना जाता है। 

भारत के इन महान शासकों में कोई दुश्मनों को मात देने वाला महान योद्धा था तो कोई कुशल शासक, जिसके राज में राष्ट्र ने आर्थिक उन्नति की। 


इतिहास के अलग-अलग काल में, अलग-अलग राजाओं और उनके वंशजों का राज हिंदुस्तान पर रहा। सभी ने अपने युग में राष्ट्र निर्माण के लिए काम किया। आज के इस लेख में, मैं आपको भारतीय इतिहास के ऐसे 10 महान राजाओं या शासकों के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिनका नाम न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में भी जाना जाता है। 10 Great Rulers Of Indian History Information In Hindi

1. चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Chakravarti Emperor Ashoka)

चक्रवर्ती सम्राट अशोक का नाम हम सभी बचपन से ही सुनते आये हैं। वह चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक के बारे में कहा जाता है कि उनका राज्य अफगानिस्तान से लेकर बर्मा तक और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु के क्षेत्र तक फैला हुआ था।

सम्राट अशोक की राजधानी पाटलिपुत्र (अब पटना) थी। सम्राट अशोक का नाम हमेशा से भारत के महान राजाओं की सूची में शामिल रहा है। सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे शासक थे, उन्हें उनकी कठोरता और दयालुता दोनों के लिए जाना जाता है।

इतिहासकारों के अनुसार, सम्राट अशोक एक महान योद्धा थे और उन्होंने अपने राज्य को बढ़ाने के लिए बहुत से युद्ध किए और जीते। लेकिन कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने ‘बौद्ध धर्म’ को अपनाते हुए शांति के मार्ग पर चलने का फैसला किया। 


बौद्ध धर्म को देश-दुनिया भर में फैलाने का श्रेय सम्राट अशोक को ही जाता है। इतिहासकारों का कहना है कि  समय के साथ अशोक एक महान सम्राट और विचारक के रूप में उभरे। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने  दिग्विजय की जगह धम्म विजय को अपनाया। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने ‘आम लोगों का सम्राट’ बनने पर जोर दिया और इसमें वो सफल भी रहे। उनके शासन काल में ही कई प्रमुख विश्वविद्यालयों (Universities) की स्थापना की गयी, जिसमे तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय प्रमुख हैं।

साँची का स्तूप के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया मध्यप्रदेश में साँची का स्तूप आज एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। अशोक स्तम्भ से लिए गए अशोक चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag Of India) में स्थान दिया गया है और चार शेर वाले चिन्ह को राष्ट्रीय चिन्ह (National Emblem) का सम्मान दिया गया है।

2. छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)

छत्रपति शिवाजी महाराज इस महान मराठा शासक के बारे में आज कौन नहीं जानता है। शिवाजी एक तरफ जहां वीर योद्धा थे वहीं दूसरी ओर बेहद दयालु शासक भी थे। बताया जाता है कि महाराष्ट्र के पुणे में जन्मे शिवाजी शाहजी भोंसले ने ही मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। शिवाजी ने बचपन से ही युद्ध कला की शिक्षा ली। शिवाजी महाराज को "गुरिल्ला युद्ध तकनीक" का जनक भी कहा जाता है। क्योंकि युद्ध मुगलों के खिलाफ शिवाजी ने इसी तकनीक का इस्तेमाल किया था। शिवाजी महाराज के ‘गुरिल्ला युद्ध नीति’ के बारे में आज भी बात की जाती है। छत्रपति शिवाजी महाराज एक कुशल योद्धा और रणनीतिकार होने के साथ-साथ, वह प्रगतिशील शासक भी थे। 


शिवाजी महाराज सभी धर्मों का सम्मान करते थे और उनके राज्य में सभी लोग बिना किसी भेदभाव के रहते थे। शिवाजी महाराज की सेना में कई मुस्लिम योद्धा बड़े ओहदों पर आसीन थे। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम (freedom struggle of india) में बहुत से लोगों ने शिवाजी महाराज के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में अपना तन, मन, धन न्यौछावर कर दिया था।

3. सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (Emperor Chandragupta Maurya)

इतिहास के महान योद्धाओं और शासकों की चर्चा हो और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का नाम न लिया जाए, ऐसा सम्भव ही नहीं। सम्राट चंद्रगुप्त ने ही मौर्य वंश या मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त को भारत का पहला सम्राट माना जाता है, जिसने लगभग पूरे भारत में अपना शासन फैलाया। 

चंद्रगुप्त के जन्म के बारे में कई कहानियां हैं लेकिन चाणक्य रुपी महान रणनीतिकार को गुरु के रूप में पाने के बाद, चंद्रगुप्त ने अपना अभियान शुरु किया। सबसे पहले चंद्रगुप्त ने मगध से नंद वंश को समाप्त कर अपना शासन "मौर्य वंश" स्थापित किया और फिर अलग-अलग खंडों में विभाजित भारत को एक ‘अखंड भारत’ बनाया। 


इतिहासकारों के अनुसार, चाणक्य को जब यह खबर मिली कि एलेक्जेंडर द ग्रेट (सिकंदर) भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है। तब चाणक्य ने भारत के सभी राज्यों को एक साथ लाने के लिए एक योग्य राजा की तलाश शुरू कर दी।

चाणक्य यह खोज चंद्रगुप्त पर आकर खत्म हुई। चाणक्य के मार्गदर्शन में ही चंद्रगुप्त मौर्य ने सिंकदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर को युद्ध में हराया और उनके साथ संधि की कि वे कभी भारत पर आक्रमण नहीं करेंगे। मौर्य वंश के संस्थापक व् शासक चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासन काल में न सिर्फ अपने राज्य की सीमाओं को बढ़ाया बल्कि उन सभी राज्यों की आर्थिक उन्नति पर भी ध्यान दिया। 

4. महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)

महाराणा प्रताप इनका नाम तो हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा जनता है, महाराणा प्रताप एक ऐसा शासक थे, जो युद्ध में अपने दुश्मन को उसके घोड़े समेत चीर डालते थे। महाराणा प्रताप सिंह उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

महाराणा प्रताप को मुगल शासकों के सामने कभी न झुकने के लिए याद किया जाता है। कई वर्षों तक मुगल बादशाह अकबर के साथ युद्ध करने वाले महाराणा प्रताप का इतिहास किसी प्रेरणा से कम नही है। महाराणा प्रताप ने अपना सारा जीवन राष्ट्र, कुल और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया था। 

इसीलिए इतिहास में महाराणा प्रताप का नाम आज भी वीरता और दृढ़ प्रतिज्ञा के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। महाराणा प्रताप के भाला, कवच, ढाल और तलवार का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था।


राणा 208 किलो वजन के साथ युद्ध क्षेत्र में उतरते थे। मेवाड़ को जीतने के लिए मुगलों ने कई प्रयास किए। लेकिन अजमेर को अपना केंद्र बनाकर अकबर ने उनके विरुद्ध सैनिक अभियान शुरू कर दिया। 

महाराणा प्रताप ने कई वर्षों तक मुगलों की सेना के साथ संघर्ष किया। राणा की वीरता ऐसी थी कि उनके शत्रु भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। 

महाराणा प्रताप और उनके प्यारे घोड़े ‘चेतक’ की वीरता की गाथाएं आज भी आपको राजस्थान के कण-कण में देखने और सुनने को मिल जाएगी। वह ऐसे महान राजा थे, जिन्होंने कई वर्ष जंगलों में बिताए। जंगलों में वास के दौरान घास की बनी रोटियां खाई और एक बार पुनः अपनी सेना खड़ी की। लेकिन उन्होंने कभी भी दुश्मनों के सामने घुटने नहीं टेके। 

5. सम्राट पृथ्वीराज चौहान ( Emperor Prithviraj Chauhan)

पृथ्वीराज चौहान को हिंदुस्तान का अंतिम हिन्दू सम्राट माना जाता है। पृथ्वीराज को राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है। अजमेर के साथ-साथ दिल्ली के साम्राज्य पर भी शासन करने वाले पृथ्वीराज चौहान अपनी युद्ध कुशलता के लिए जाने जाते हैं। अजमेर का शासन पृथ्वीराज को अपने पिता सोमेश्वर चौहान की मृत्यु के बाद मिला था।

लेकिन दिल्ली का शासन उन्हें उनके नाना और उस समय दिल्ली के शासन अनंगपाल से मिला। पृथ्वीराज चौहान की जीवनी को उनके दोस्त और उस समय के राज्य के महान कवि चन्दरबरदाई ने ‘पृथ्वी राज रासो’ में वर्णित किया है। 


पृथ्वीराज चौहान के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने गौर शासक मोहम्मद गौरी को पहली बार युद्ध में हराया था और हर बार उसे जीवनदान दिया। लेकिन दूसरी बार गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया और गौरी ने उनकी आँखें भी निकलवा दी थीं। लेकिन राणा ने अपने दोस्त चंद्रबरदाई की मदद से खुद प्राण त्यागने से पहले मोहम्मद गौरी को खत्म किया।

6. महाराजा रंजीत सिंह ( Maharaja Ranjit Singh)

महाराजा रंजीत सिंह जिनको "सिख साम्राज्य" का संस्थापक माना जाता है। तथा उन्हें "शेर-ए-पंजाब" के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि महाराजा रंजीत सिंह ने ही 19वीं सदी में सिख शासन की शुरुआत की थी। बचपन में चेचक की बीमारी में अपनी एक आंख गंवाने वाले रंजीत सिंह एक कुशल शासक थे।

उन्होंने 10 वर्ष की आयु से ही युद्ध लड़ने शुरू कर दिए थे ताकि अपनी सीमाओं को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने पूरे पंजाब को एक किया और एक सिख राज्य की स्थापना की। महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। इतिहासकार कहते हैं ऐसा पहली बार हुआ था कि पश्तूनो पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया हो।


महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सेना को लड़ाई की खास तकनीकें जैसे "मार्शल आर्ट्स" सिखवाई और "सिख खालसा" सेना तैयार की। उनके बारे में कहा जाता है कि सिंहासन पर बैठने के बाद भी उन्होंने कभी राज मुकुट नहीं पहना, क्योंकि सिख धर्म में भगवान के सामने सबको एक बराबर माना जाता है।

महाराजा रणजीत सिंह के शासन के दौरान सबसे दिलचस्प बात यह है कि दुनिया का सबसे नायाब हीरा कोहिनूर हीरा, कभी महाराज रंजीत सिंह के खजाने का हिस्सा हुआ करता था। लाहौर में अपनी आखिरी सांस लेने वाले इस महान शासक ने अपने जीते-जी कभी अंग्रेजों को पंजाब पर कब्जा नहीं करने दिया था।  

7. राजा कृष्णदेव राय (Raja Krishna Deva Raya)

राजा कृष्णदेव राय दक्षिण के महान शासक तथा विजयनगर के शासक थे। कृष्णदेव राय तुलुव वंश के तीसरे शासक थे। राजा कृष्णदेव राय के बारे में कहा जाता है कि वो कूटनीति में माहिर थे। राजा कृष्णदेव राय ने अपनी बुद्धिमानी से आंतरिक विद्रोहों को शांत कर बहमनी के राज्यों पर अधिकार हासिल किया था।

राजा कृष्णदेव राय ने राज संभालने के बाद अपने साम्राज्य का विस्तार अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक कर लिया था। उनके द्वारा विस्तार किये गए क्षेत्र में आज के कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, गोवा और ओडिशा आदि प्रदेश आते हैं। राजा कृष्णदेव राय ने कला और साहित्य को भी प्रोत्साहित किया। उनके बारे में कहा जाता है कि वो तेलुगु साहित्य के महान विद्वान थे। 


इतिहासकारों के अनुसार कृष्णदेव राय के दरबार में तेलुगु साहित्य के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि हुआ करते थे। जिन्हें ‘अष्ट दिग्गज’ कहा गया है। उनके ये ‘अष्ट दिग्गज’ मंत्रिपरिषद में शामिल थे और समाज कल्याण के कामों पर नज़र रखते थे।

इन 'अष्ट दिग्गज' को ‘आंध्रभोज’ भी कहा जाता है। कहते हैं कि कृष्णदेव राय का शासन जिस भी जगह तक फैला, वहां पर आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों का पुनः निर्माण उन्होंने कराया। राजा कृष्णदेव राय ने विजयनगर में भव्य राम मंदिर और हजार खम्भों वाले मंदिर का भी निर्माण करवाया था। 

8. मुग़ल बादशाह अकबर ( Mughal Emperor Akbar)

मुग़ल बादशाह मुहम्मद जलालुद्दीन अकबर मुग़लवंश के तीसरे शासक थे। जिन्हें अपने पिता हुमायूँ के देहांत के बाद कम आयु में ही सल्तनत मिल गयी थी। उन्होंने अपनी सीमायें बढ़ाने के लिए कई बार जंग लड़ी और जीती भी।

अकबर के शासनकाल में सभी धर्मों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई नीतियां बनाई गयी थी। मुग़लबदशाह अकबर ने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया ताकि उनके शासन में लोगों के बीच सद्भाव और शांति रहे। मुग़ल बादशाह मुहम्मद जलालुद्दीन अकबर का वास्तविक नाम ‘जलालुद्दीन मोहम्मद’ था। लेकिन बाद में प्रजा द्वारा ‘अकबर’ नाम मिलने पर, उन्हें सभी जगह अकबर के नाम से ही जाना जाने लगा। 


अकबर के शासन काल के दौरान अलग-अलग कलाओं को बढ़ावा मिला। उनके अपने राज दरबार में तानसेन जैसे महान गायक शामिल थे। अकबर ने चित्रकला, लेखन और वास्तुकला को भी बढ़ावा दिया। अकबर ने ही फतेहपुर सिकरी का निर्माण कराया, जो आज भी मशहूर पर्यटक स्थल है। 

9. राजा समुद्रगुप्त (King Samudragupta) 

राजा समुद्रगुत्प जो गुप्त राजवंश के दूसरे शासक थे। समुद्रगुत्प के बारे में कहते हैं कि उनके काल में देश का काफी विकास हुआ था। उनकी युद्ध निपुणता और राजनैतिक कौशल के कारण उन्हें ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है।

समुद्रगुत्प ने न सिर्फ कई विदेशी शक्तियों को पराजित कर अपनी शक्ति का लोहा मनवाया, बल्कि अपने बेटे विक्रमादित्य के साथ मिलकर भारत के "स्वर्णयुग" की शुरुआत की।

अपने शासन के साथ-साथ समुद्रगुत्प ने कला और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। समुद्रगुत्प अपने राज्य को उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक तथा पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी से लेकर पश्चिम में यमुना नदी तक फैलाने में सफल रहे थे। 


भारत में मुद्रा के चलन में भी समुद्रगुप्त की भूमिका को अहम माना जाता है। क्योंकि उन्होंने ही शुद्ध सोने की मुद्राओं तथा उच्चकोटि की ताम्र मुद्राओं का प्रचलन करवाया था। अपने शासनकाल में समुद्रगुत्प ने मुख्यत: 7 प्रकार के सिक्कों को बनवाना शुरू किया, ये सिक्के आगे चलकर आर्चर, बैकल एक्स, अश्वमेघ, टाइगर स्लेयर, राजा और रानी एवं लयरिस्ट नामों से जाने गए।

समुद्रगुत्प ने भले ही बहुत से राज्यों को जीता था लेकिन सब तरफ शांति बनाकर रखी। अपने समय में समुद्रगुत्प के पास सबसे विशाल सेना थी और इस कारण कोई भी उनसे युद्ध करने में घबराता था।

10. राजाराज चोल प्रथम ( Rajaraja Chola I)

दक्षिण भारत के राजाराज चोल प्रथम भारत के उन शासकों में से एक हैं, जिन्हें हजारों वर्षों बाद भी याद किया जाता है। चोल साम्राज्य के वास्तविक संस्थापक परांतक द्वितीय (सुन्दर चोल) के पुत्र अरिमोलवर्मन, राजाराज चोल प्रथम के नाम से गद्दी पर बैठे थे। उनके बारे में कहा जाता है कि उनक शासनकाल चोल साम्राज्य का सर्वाधिक गौरवशाली युग है।

राजाराज चोल प्रथम साम्राज्यवादी शासक थे और अपने अनेक विजयों के परिणामस्वरूप उन्होंने लघुकाय चोल राज्य को एक विशालकाय साम्राज्य में बदल दिया था। चोल प्रथम न सिर्फ अपने साम्राज्य को बढ़ाया बल्कि उन्होंने अपने शासन काल के दौरान बहुत से मंदिरों का भी निर्माण करवाया।


राजाराज चोल प्रथम ने दक्षिण में अपना शासन बनाया और अपना प्रभाव श्रीलंका तक फैलाया। हिन्द महासागर के व्यावसायिक समुद्र मार्गों पर चोल वंश का प्रभाव साफ़ तौर पर था और राजाराज चोल प्रथम की अनुमति के बिना यहां कोई व्यापार नहीं कर सकता था। राजाराज चोल प्रथम ने 100 से भी अधिक मंदिर बनवाये जिनमें से सबसे उत्तम और ऐतिहासिक है- तंजोर का शिव मंदिर जो यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व विरासत स्थल (world heritage site) घोषित किया जा चुका है। 

Note: आपलोगों को आज का ये लेख भारतीय इतिहास के 10 महान शासक कैसा लगा, आज का ये लेख आपलोगों को कैसा लगा कमेंट सेक्शन में कमेंट कर जरूर बताएं। ये पोस्ट आपको पसंद आया है तो आप इसे अधिक से अधिक शेयर करना न भूले। धन्यवाद





Post a Comment

0 Comments