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एरण के गर्भ से निकलेगा समुद्रगुप्त का पसंदीदा एरिकिण नगर - anokhagyan.in

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2020 के जुलाई महीने में सागर के कलेक्टर दीपक सिंह ने Archeology department (पुरातत्व विभाग) की टीम के साथ एरण व नजदीकी मढ़बामोरा गांव का दौरा किया था। तब Archeology department (पुरातत्व विभाग) की टीम ने मलबे (Rubble) के नीचे इतिहास की कई कड़ियों और रहस्यों (mysteries) के दबे होने की संभावना जताई थी।

गुप्त काल (Gupta period) के प्रसिद्ध शासक समुद्रगुप्त के पसंदीदा एरिकिण शहर के पुरातात्विक महत्व के बारे में और अधिक जानकारी के लिए उत्खनन किया जाएगा। Archaeological Survey of India की Nagpur Team को इसकी अनुमति मिल गई है। 


एरण यह मध्य प्रदेश के सागर जिले में है। जनवरी महीने में Archaeological Survey of India की टीम यहां खोदाई शुरू करेगी। समुद्रगुप्त अपनी राजधानी पाटलीपुत्र (अब पटना) से अकसर यहां अपना कुछ समय व्यतीत करने आया करते थे। ऐसा बताया जाता है कि यहां उनकी एक रानी भी रहा करती थी। आज भी यहां कई मंदिर (Temple) और पाषाण स्तंभ (Stone pillar) गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं।

दीपक सिंह (कलेक्टर) ने रुचि दिखाई और एरण में पुरातात्विक (Archaeological) महत्व की चीजों की जानकारी के लिए उत्खनन का प्रस्ताव तैयार कर भेजने के लिए कहा। पुरातत्व विभाग (Archeology department) के संरक्षण सहायक Rahul Tiwari और उनकी टीम ने एरण के ऐतिहासिक महत्व के गहन अध्ययन के संबंध में प्रस्ताव तैयार किया और स्वीकृति के लिए भेजा। Archaeological Survey of India ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। उत्खनन का कार्य Archaeological Survey of India की नागपुर टीम करेगी।

Rahul Tiwari का कहना हैं कि समुद्रगुप्त के एरण अभिलेख में लिखा हुआ है कि वे एरिकिण में सैर-सपाटे, मनोरंजन के लिए आते रहते थे। ऐसी संभावना है कि समुद्रगुप्त का वही नगर यहां मलबे में दबा हुआ है। खुदाई के वक़्त इन चीज़ों का रहस्य सामने आ सकते हैं। प्रागैतिहासिक काल (prehistoric age) से लेकर गुप्त काल, मराठा काल का इस स्थान को लेकर जो इतिहास अभिलेखों (Records) में दर्ज है उसकी कडि़यां भी इससे जुड़ पाएंगी।

★ एरण का इतिहास


> एरण का इतिहास इस तरह से है कि महाभारत काल में भीम ने हस्तिनापुर (Hastinapur) से प्रस्थान कर चेदि पर अधिकार किया था। उस वक्त सागर जिले का संपूर्ण भू-भाग चेदि जनपद में सम्मिलित था।

> बौद्ध काल (Buddhist period) में व्यापारिक मार्ग (Trade route) एरण से होता हुआ विदिशा, उज्जैन की ओर जाता था।

> मौर्य काल (Mauryan period) में राजा धर्मपाल और राजा इंद्र ने एरण पर शासन किया। एरण से धर्मपाल के सिक्के और इंद्र की Administrative मुद्रा प्राप्त हुई हैं।

> एरण से Third century के नागराजा गणपति नाग और रविनाग की Currencies भी मिली हैं।


> दूसरी-तीसरी शताब्दी (Second-third century) की एक नागपुरुष प्रतिमा (Statue) भी यहां से प्राप्त हुई है।

★ आज भी यहां मौजूद हौ अवशेष


Vishnu statue (विष्णु प्रतिमा): Gupta Age (गुप्त काल) का विष्णु प्रतिमा गोलाकार प्रभा मंडल, शैल के विकसित स्वरूप का प्रतीक है।

Flag Pillar (ध्वज स्तंभ): एरण में मातृविष्णु शासन करता था, यह लेख इस स्तंभ पर अंकित है। इसका निर्माण महाराज मातृविष्णु तथा छोटे भाई धन्यगुप्त ने करवाया था। यह आज भी यह अपने स्थान पर अक्षुण्ण (Intact) है। यह Flag column 43 फीट ऊंचा है और यह 13 फुट वर्गाकार आधार पर खड़ा किया गया है। Flag column के ऊपर 5 फीट ऊंची गरुड़ (Eagle) की दोमुखी मूर्ति (Two-faced statue) है, जिसके पीछे चक्र (Wheel) का अंकन (Notation) है।

Sati pillar (सती स्तंभ): 510 ई. के एरण के Gopraj sati pillar पर लिखा है कि युद्ध में राजा गोपराज (Gopraj) के वीरगति (Heroism) पाने के बाद उनकी रानी सती हो गई थी। एरण में Gupta period वराह मंदिर, नृसिंह मंदिर तथा विष्णु मंदिर भी हैं, जो क्षतिग्रस्त (Damaged) हो गए हैं।

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