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बद्रीनाथ धाम से जुड़े 23 रोचक तथ्य | 23 Interesting Facts Felated To Badrinath Dham

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हमारा भारत यह एक ऐसा देश है जिसे अनेकता में एकता वाला देश कहा जाता है। भारत में देखने को आपको बहुत सारी सुन्दर जगहों से लेकर खूबसूरत परिदृश्यों तक और मानवनिर्मित जटिल चमत्कारों से लेकर अन्य रचनाओं तक आपको देखने को मिल जाएगा। भारत में ऐतिहासिक स्मारकों से लेकर मंदिरों तक वो सारी चीजें है जिसे देखने के लिए आप उत्साहित हो सकें।

भारत में देखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है यहाँ के मंदिर। ये मंदिर जो कई वर्षों से यहां स्थापित हैं, ये मंदिरें प्रत्येक बार पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफ़ल होता हैं। भारत की ये मंदिरें अपनी जटिल वास्तुकला से लेकर ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। भारत की ये मंदिरें अपनी प्राचीन चमक को बरक़रार रखे हुए हैं।

भारत के ऐसे ही मंदिरों में से एक है उत्तराखंड का बद्रीनाथ (Badrinath) मंदिर। ये मंदिर हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। आज के इस लेख में हमलोग जानेगें बद्रीनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य के बारे में।


1. भगवान बद्रीनाथ को बद्री विशाल नाम से भी जाना जाता हैं।

2. बद्रीनाथ धाम को बद्रीनारायण भी कहा जाता है। बद्रीनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है।

3. बद्रीनाथ धाम को लेकर शास्त्रों में लिखा गया है कि इंसान को अपने पूरे जीवन काल में कम से कम एक बार बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए।

4. बद्रीनाथ (Badrinath) मंदिर के जो पुजारी होते है वो शंकराचार्य के वंशज होते हैं, जो रावल कहलाते हैं। इस मंदिर के पुजारी जब तक रावल के पद पर रहते हैं तब तक उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

5. क्या आप जानते है बद्रीनाथ मंदिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप “बद्रीनारायण” की पूजा होती है। यहां भगवान विष्णु यानि बद्रीनारायण की 1 मीटर यानि 3.3 फीट लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है।


6. इस मूर्ति को लेकर मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर यहां स्थापित किया था।

7. इस मंदिर को लेकर एक मान्‍यता ये भी है कि बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन से पूर्व केदारनाथ धाम के दर्शन किए जाते हैं।

8. उत्तराखंड के इस बद्रीनाथ (Badrinath) मंदिर की महिमा का वर्णन श्रीमद्भागवत, केदारखंड, स्कंद पुराण आदि में अनेक जगहों पर आता है।

9. उत्तराखंड का यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप में बद्रीनाथ को समर्पित है।

10. बद्रीनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति बद्रीनारायण की परिक्रमा करता है, उस व्यक्ति को पृथ्वी दान का फल मिलता है।

11. क्या आपको पता है बद्रीनाथ मंदिर पर सोने का छत्र और कलश इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने चढ़वाया था।

12. साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों की तादाद काफी काम हो गई थी।


13. बद्रीनाथ (Badrinath) की ऊंचाई 1048 फुट है।

14. उत्तराखंड का यह मंदिर काफी पुराना है। इस मंदिर को लेकर लिखा गया है कि इस मंदिर के मूर्ति को मुनियों ने निकाला। वह सांवली है। उसमें भगवान बद्रीनारायण पद्मासन लगाये तप कर रहे है।

15. हालांकि बद्रीनाथ धाम उत्तर भारत में स्थित है, लेकिन इस मंदिर के जो रावल या मुख्य पुजारी होते है वो परंपरागत रूप से दक्षिण भारत के केरल से चुने गए नंबुदिरी ब्राह्मण ही होते हैं।

16. बद्रीनाथ मंदिर चार धामों में से एक है। ये चार धाम इस प्रकार हैं-

1.बद्रीनाथ
2. द्वारिका
3. जगन्नाथ
4. रामेश्‍वरम।

ये चार धाम प्रमुख है। लेकिन जो भी व्यक्ति बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने जाते है तो उसे गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के दर्शन भी करने चाहिए। क्योंकि इन चारों धामों को मिलाकर छोटा चार धाम कहा गया है।

बद्रीनाथ धाम के बारे में यह कहावत है कि ‘जो जाए बदरी‘ , ‘वो ना आए ओदरी’ यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के एक बार दर्शन कर लेता है, उसे पुन: उदर यानी गर्भ में नहीं आना पड़ता है। मतलब उसे दूसरी बार जन्म नहीं लेना पड़ता है।


17. इस स्थान के बारे में ये भी बताया जाता है कि  बद्रीनाथ (Badrinath) में भगवान शिव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। बद्रीनाथ का ब्रह्म कपाल स्थान भगवान शिव द्वारा जुड़े इसी घटना की याद दिलाता है 

18. भारत के उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ मंदिर की उत्पत्ति के विषय में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। कुछ मान्यताएं इस तरह है कि बद्रीनाथ मंदिर 8वीं शताब्दी तक एक बौद्ध मठ था, जिसे बाद में आदि शंकराचार्य द्वारा एक हिन्दू मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया।

19. उत्तराखंड का यह मंदिर 2,000 साल से भी अधिक समय से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान रहा है।

20. बद्रीनाथ मंदिर में नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है। यहां एक अखण्ड दीप भी जलता रहता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है।

21. उत्तराखंड का यह मंदिर अलकनंदा नदी के बाएं तट की ओर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है।

22. इस धाम का नाम इसलिए बद्रीनाथ पड़ा क्योंकि उत्तराखंड के इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जंगली बेरी को बद्री कहा जाता हैं। इसी कारण से उत्तराखंड के इस धाम का नाम बद्री पड़ा।

23. उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में अन्य कई प्राचीन स्थलें हैं, जैसे अलकनंदा नदी के तट पर स्थित अद्भुत गर्म झरना। इस झरना को 'तप्त कुंड' कहा जाता है। 


यहां एक समतल चबूतरा है, जिसे 'ब्रह्म कपाल' कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में उल्लेखित यहां एक 'सांप' शिल्ला भी है। शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड 'शेषनेत्र' भी यहां स्थित है।

यहां भगवान विष्णु के पैरों के निशान भी हैं- 'चरणपादुका'। उत्तराखंड के बद्रीनाथ से नजर आने वाला बर्फ से ढंका ऊंचा शिखर नीलकंठ है, जिसे 'गढ़वाल क्वीन' के नाम से जाना जाता है।

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