हेलो दोस्तों आज के इस लेख में हमलोग बाते करने वाले है भारत के इतिहास से जुड़े 20 रोचक तथ्यों के बारे में, तो चलिए शुरू करते है आज के इस लेख को और जानते है भारत का इतिहास।
2. कुछ विद्वान लोग जानबूझकर हमारे प्राचीन भारत के आर्यों और द्रविड़ लोगों को एक दूसरे के शत्रु घोषित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इन विद्वानों की यह कोशिश उस समय धरी की धरी रह जाती है, जब हमें ये पता चलता है कि उत्तर भारत में रचे गए वेद ग्रंथों में द्रविड़ भाषाओं के भी कई शब्द पाए जाते हैं और दक्षिण भारत में रचे गए तमिल ग्रंथों के भी कई शब्द गंगा के मैदानों में बोली जाने वाली प्राचीन भाषा के हैं।
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3. हमारे देश के प्राचीन शास्त्रकारों, दार्शनिकों और कवियों ने इस देश को हमेशा एक अखंड इकाई के रूप में देखा है। उनके अनुसार प्राचीन भारत के लोग एकता के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे।
4. हमारे भारतीय प्राचीन विद्वानों ने ‘हिमालय के क्षेत्रों से लेकर समुद्र तक के फैले हुए हज़ारों योजन भूमि को एक ही चक्रवर्ती सम्राट की निजी जागीर बताया है’। इन विद्वानों ने चक्रवर्ती सम्राट के पद को प्राप्त करने वाले राजा की काफी प्रशंसा की है।
5. हमारे प्राचीन भारत में राजनीतिक एकता प्रमुख रूप से 2 बार आई थी। पहली बार 2300 साल पहले जब सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण के कुछ क्षेत्रों को छोड़ सारे देश में फैलाया था। उसके बाद फिर ये एकता 600 साल बाद दुबारा फिर से आई जब सम्राट समुद्रगुप्त ने अपने 335 ई. से 375 ई. के राजकाल में अपने साम्राज्य का विस्तार गंगा घाटी से लेकर तमिलनाडू तक किया।
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6. भारत के सबसे पुराने ग्रंथ वेद हैं। इन वेदों की संख्या 4 है –
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3. सामवेद
4. अथर्वेद।
7. भारतीय प्राचीन वेदों को अच्छी तरह से समझने के लिए वेदांगो की रचना की गई। इन वेदांगों की संख्या 6 है। ये 6 वेदांग कुछ इस प्रकार हैं –
1. शिक्षा
2. ज्योतिष
3. कल्प
4. व्याकरण
5. निरूक्त
6. छंद।
8. इन वेदों को लेकर प्राचीन समय में कुछ स्वार्थी पुजारियों ने ये अफ़वाह फैला रखी थी कि इन वेदों को को स्त्रियां और शुद्र पढ़ नहीं सकते। उन पुजारियों ने इन वेदों को लेकर ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वो ये नहीं चाहते थे कि सभी को इन वेदों का सच्चा ज्ञान प्राप्त हो।
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ऐसा करने के पीछे उन लोगों का कारण था कि इससे उनकी वो आय बंद हो जाती जो वो लोगों को इन वेदों के बारे में भ्रमित करके लोगों से अर्जित करते थे। भारत के किसी भी प्राचीन ग्रंथ में ये नहीं लिखा है कि उन वेदों और ग्रंथों को किसी विशेष जाति या समुदाय के लोग पढ़ नहीं सकते।
9. भारत की जितने के लिये, उत्तरी भारत के विशाल हिमालय पर्वतों के कारण साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय चीन के अलावा कोई भी हमलावर उत्तर भारत के क्षेत्र से भारत को जीतने के लिए सेना लेकर नहीं आया।
10. हिमालय का पर्वत क्षेत्र, ये क्षेत्र साल के अधिकतर समय बर्फ से ढंका होता है जिसके कारण किसी भी भारतीय शासक ने उत्तरी क्षेत्रों को जीतने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया।
11. ‘हिंदुस्तान’ इस शब्द का सबसे पहला वर्णन ईरान के सासानी शासकों (Sasani rulers) के अभिलेखों (Records) में मिलता है। ये तीसरी सदी के आस-पास के हैं।
12. एक समय ऐसा भी था, जिस वक्त तमिलनाडू के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में प्राकृत भाषा का उपयोग होता था, प्राकृत भाषा को लिखने के लिए आमतौर पर ब्राह्मी लिपि का उपयोग होता था।
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13. समय के परिवर्तन के साथ ही प्राकृत भाषा के बाद पूरे देश में संस्कृत भाषा छा गई। ये संस्कृत भाषा गुप्त काल में अपने शिखर पर पहुँच गई। उस समय के सभी छोटे-बड़े राज्यों के राजकीय दस्तावेज़ या जरूरी कागजात संस्कृत भाषा में ही लिखे जाने लगे।
14. हम भारतीयों (Indians) को आपस में बांटने वालों के इरादों पर उस समय पानी फिर जाता है, जब हमें ये पता चलता है कि प्राचीन भारत (Ancient India) में रामायण और महाभारत देश के कोने-कोने में पढ़े जाते थे। हम भारतीयों के ये दोनों महाकाव्य तमिलों के प्रदेश में भी वैसे ही भक्ति-भाव से पढ़े जाते थे, जैसे कि भारत के अन्य क्षेत्र बनारस, असम और तक्षशिला आदि में।
15. वैदिक काल (Vedic period) में पत्नी (Wife) को कुछ इस प्रकार सम्मान दिया गया है – पत्नी, ‘वो अर्धांगिनी है, वो सच्ची मित्र है, वो गुणों का स्रोत (source) है, पत्नी खुशी और लक्ष्मी का स्वरूप है। पत्नी के साथ जब आप अकेले होते हैं, तो उस समय वो आपकी मित्र होती है। पत्नी के साथ जब आप विचार-विमर्श करते हैं, तो उस समय वो पिता के सामान होती है।’
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16. ये पुराण हमारे प्राचीन भारत के वो महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो प्राचीन भारत के अतीत से संबंधित हैं। हांलाकि इन पुराणों की गिनती केवल 18 है, लेकिन इन पुराणों में से केवल 5 में ही राजाओं और उनके वंशों से जुड़ी जानकारी मिलती है। इन 5 पुराणों में हैं – विष्णु, मत्स्य, ब्रह्म, वायु और भविष्यत् पुराण। और बाकी के बचे ये 13 पुराण इतिहास की अपेक्षा धार्मिक कथाओं के दृष्टिकोण से ज्यादा महत्व रखते हैं।
17. इन पुराणों में ऐसे बहुत से राजाओं का जिक्र मिलता है जो कि ‘मध्यदेश’ यानि आज के उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में राज किया करते थे। पुराणों से हमें रामयण, महाभारत काल से लेकर मौर्य वंश के पत्न तक की जानकारी मिलती है।
18. इन पुराणों को लेकर डॉक्टर स्मिथ का मानना है कि इन पुराणों में ‘विष्णु पुराण’ मौर्य वंश से संबंधित और ‘मत्स्य पुराण’ आन्ध्र एवं शिशुनाग वंशों से संबंधित जरूरी जानकारी प्रदान करते हैं।
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19. पुराणों से हमारे प्राचीन भारत के नगरों के पुराने नाम और उनके बीच की दूरी का पता चलता है। और इन्हीं पुराणों से कुछ राजाओं और उनके राज क्षेत्रों के बारे में भी सही-सही जानकारी मिलती है या फिर उनके आस-पास की जानकारी प्राप्त होती है।
20. C-14 पद्धति यानी कार्बन डेटिंग पद्धति से पता चला है कि आज से लगभग 8 से 9 हजार वर्ष पहले कश्मीर और राजस्थान में भी खेतीबाड़ी होती थी।
Hello friend kya aap meri help kar sakhte ho. Ma eek blogger hu mai hindi mai blogging karna chahta hu. Plzzzz guide me. harmanbajwa050@gmail.com is my email ,🙏🙏
ReplyDeleteआप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.