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Raksha Bandhan ! रक्षाबंधन कब, क्यों, कैसे, इतिहास, कहानियां | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata hai in Hindi

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रक्षाबंधन 2021 कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है? रक्षाबंधन इतिहास, कहानी, 2021 में रक्षाबंधन कैसे बनाया जाता है? (Raksha Bandhan kab aur Kyun Manaya Jata hai in Hindi)

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan In Hindi) हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। भारत के अलावा यह दुनियाभर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई-बहनों के बीच मनाया जाता है। रक्षाबंधन त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है।


रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Festival In Hindi) का त्यौहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्योहार है। रक्षाबंधन यानि - रक्षा का बंधन, एक ऐसा रक्षा सूत्र जो बहन के द्वारा भाई के हाथों में बांधा जाता है। यह रक्षा सूत्र भाई को सभी संकटों से दूर रखता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है।


रक्षाबंधन का त्यौहार एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पवित्र बंधन है, जिसे रक्षाबंधन के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों जैसे नेपाल और मॉरेशिस में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

रक्षाबंधन के त्योहार को हम संपूर्ण भारतवर्ष में सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। रक्षाबंधन के इस त्योहार पर जो भाई-बहन एक साथ (एक साथ का मतलब बहन के विवाह से पहले) रहते है वो बहन अपने भाई के हांथ में रखी बांधती है और मिठाई खिलाती है लेकिन जो भाई-बहन एक साथ नही रहते, वो बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बंधवाने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप कुछ रुपए या कुछ उपहार देते हैं।

★ रक्षाबंधन कब मनाया जाता है? When Is Raksha Bandhan Celebrated?

रक्षाबंधन एक हिन्दू व जैन त्योहार है, जो प्रतिवर्ष श्रावण मास यानी महीने (जुलाई-अगस्त) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इस त्यौहार को श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। 

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Hindi) के त्योहार पर सभी बहनें अपने भाइयों की दाहिनी कलाई एक पवित्र धागा बांधते है जिसे राखी कहा जाता है। और इस दिन बहनें अपने भाइयों के अच्छे स्वास्थ्य और लम्बे जीवन की कामना करती है। वहीं दूसरी तरफ भाइयों द्वारा अपनी बहनों की हर हाल में उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया जाता है।

राखी के धागे कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। हालांकि रक्षाबंधन के त्यौहार की व्यापकता इससे भी कहीं अधिक है।

राखी (Rakhi Festival In Hindi) बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का अब कार्यकलाप नहीं रह गया है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी अब बांधी जाने लगी है।

★ 2021 में रक्षाबंधन कब हैं? शुभ मुहूर्त क्या हैं? When Is Raksha Bandhan In 2021?

2021 में रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त 2021 को रविवार के दिन है।

* राखी बांधने का शुभ मुहुर्त?

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 22 अगस्त रविवार की सुबह 6:15 बजे से रात 7:40 बजे तक है।

राखी बांधने की कुल अवधि 13 घंटे 25 मिनट है। रक्षाबंधन अपरान्ह मुहुर्त दोपहर 1:42 से 4:18 तक रक्षा बंधन प्रदोष मुहुर्त शाम 8:08 से 10:18 रात्रि तक

★ भाई-बहन के प्यार का प्रतीक - Brother Sister Love Symbol

भाई-बहन का रिश्ता वैसे तो बहुत खास होता है, जिस तरह से वह एक-दूसरे की चिंता करते है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। भाई-बहन के बीच का रिश्ता अतुलनीय है, वे आपस में चाहे छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे से कितना भी लड़ाई-झगड़ा क्यों न कर ले, फिर भी वह एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते।


जैसे-जैसे वो दोनों बड़े होते जाते हैं जीवन के विभिन्न समयों पर उन दोनों के बीच का यह रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है। बड़े भाई अपनी बहनों की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, इसी तरह बड़ी बहनों द्वारा भी हमेशा अपने छोटे भाइयों का मार्गदर्शन किया जाता है।

भाई-बहन के बीच इसी प्रेम के कारण यह विशेष पर्व रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021 In Hindi) मानाया जाता है, रक्षाबंधन का त्योहार प्रत्येक भाई-बहन के लिए बहुत खास होता है। यह त्योहार उनका एक-दूसरे के प्रति आपसी स्नेह, एकता  और विश्वास का प्रतीक है।
 

★ रक्षाबंधन का महत्त्व - Importance Of Raksha Bandhan?

रक्षाबंधन के दिन राखी बाँधने की बहुत पुरानी परम्परा है। रक्षाबंधन एक भाई द्वारा अपनी बहन की रक्षा का रिश्ता होता है, जहाँ पर सभी बहनें और भाई एक दूसरे के प्रति प्रेम और कर्तव्य का पालन और रक्षा का दायित्व लेते हैं तथा ढ़ेर सारी शुभकामनाओं के साथ आपस में रक्षाबंधन का उत्सव मनाते हैं।

जैन धर्म में भी राखी के त्योहार का बहुत महत्व होता है। यह बात जरूरी नहीं होती कि जिनको बहनें राखी बाँधे वे उनके सगे भाई ही हो, लड़कियां सभी को राखी बाँध सकती हैं और सभी उनके भाई बन जाते हैं।

इस दिन बहनें अपने भाई के लिए मंगल कामना करती हुई उसके हांथ पर राखी बाँधती है। भाई उसे हर स्थिति में रक्षा करने का वचन देता है। इस प्रकार रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र स्नेह का त्योहार है।

★ रक्षा-बंधन की तैयारियाँ - Raksha Bandhan Preparations

राखी (Rakhi Festival 2021) यानी रक्षाबंधन के दिन प्रातः स्नानादि करके लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। उनके द्वारा सजाई गई उस थाली में राखी के साथ-साथ रोली या हल्दी, दीपक, मिठाई चावल, फूल और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष भी तैयार होकर माथे पर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं।

रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई के माथे पर टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और उसके बाद सिर पर फूलों को छिड़का जाता है, उसके बाद भाइयों की आरती उतारी जाती है और उनके दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है।


राखी (Rakhi 2021 Hindi) बांधने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार या फिर कुछ धन देता है। इस प्रकार रक्षाबंधन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है।

सभी पर्वों की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्त्व रक्षाबंधन में भी होता है। आमतौर पर इस दिन दोपहर का भोजन महत्त्वपूर्ण होता है और रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूरा होने तक बहनों द्वारा व्रत रखने की भी परम्परा है।

रक्षाबंधन का यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्त्व तो है ही, इसके साथ ही धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फ़िल्में भी इससे अछूते नहीं हैं।

★ रक्षाबंधन पर कहानी/रक्षा-बंधन का पौराणिक प्रसंग

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan History In Hindi) से सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुईं है। मैं इन कथाओं का वर्णन नीचे कर रहा हूँ, आप ध्यान से पढ़ें।

1. भगवान इंद्र से सम्बंधित मिथक कथा

रक्षाबंधन का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण के अनुसार दानवों और देवताओं के बीच होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा बलि ने हरा दिया था। इस हार के बाद इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी। तब भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया।

सूती धागे से बने इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा। सची ने इस धागे को भगवान इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की। इसके बाद अगले युद्ध में भगवान इंद्र ने बलि नामक असुर को हरा दिया और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया।

यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरंभ हुआ। इसके बाद किसी युद्ध में जाने के पूर्व अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं। इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया। बल्कि पत्नियां अपने पति की सुरक्षा के लिए भी ये धागे बांधती है। 

2. भगवान कृष्ण और द्रौपदी

पौराणिक कथाओं में भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी भी प्रसिद्ध है, जिसमें जब श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से युधिष्ठिर की राज्य सभा में शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी उंगली में चोट आ गई।

द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर श्री कृष्ण की उँगली पर पट्टी बाँध दी, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट में उसकी सहायता करने का वचन दिया था और आप सब ये तो जानते ही होंगे कि उसके बाद श्री कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। महाभारत के इसी युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर सुरक्षा के लिए भी राखी (Raksha Bandhan History) बाँधी।

3. राजा बलि और माँ लक्ष्मी

भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया।

भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये। हालाँकि माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की ये मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया। इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया।

इस पर राजा बलि ने माता लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने को कहा। इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे। राजा बलि ने उनकी ये बात मान ली और इसके साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।

4. यम और यमुना

पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुःखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की। मां गंगा ने यमुना द्वारा दी गई सुचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं।

इस पर धर्मराज यम अपनी बहन युमना से मिलने आये। अपने भाई यम को देख यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनाई। धर्मराज यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने अपनी बहन यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं।


इस पर यमुना ने यम से ये वरदान माँगा कि मेरा भाई यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें। धर्मराज यम अपनी बहन के इस प्रेम और स्नेह से गद-गद हो गए और अपनी बहन यमुना को अमरत्व का वरदान दिया। भाई-बहन के इस प्रेम को भी रक्षाबंधन के तौर से याद किया जाता है।

5. माँ संतोषी

भगवान गणेश के दो पुत्र हुए शुभ और लाभ। इन दोनों भाइयों को एक बहन की कमी बहुत खलती थी, क्योंकी बहन के बिना वे लोग रक्षाबंधन नहीं मना सकते थे। इन दोनों भाइयों ने अपने पिता भगवान गणेश से एक बहन की मांग की।

कुछ समय के बाद देवर्षि नारद ने भी भगवान गणेश को एक पुत्री के विषय में कहा। इस पर भगवान गणेश राज़ी हुए और उन्होंने एक पुत्री की कामना की। तब भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ।

इसके बाद माँ संतोषी के साथ शुभ और लाभ दोनों भाई रक्षाबंधन मना सके।

★ रक्षाबंधन का इतिहास क्या हैं (Raksha Bandhan History) | रक्षा-बंधन का ऐतिहासिक प्रसंग

क्षत्रिय यानी राजपूत जब किसी लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ-साथ उनके हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। महिलाएं ये धागा इस विश्वास के साथ बांधती थी कि यह धागा उन्हें विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा। राखी के साथ एक और ऐतिहासिक प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है। तो चलिए पढ़ते है...

1. रानी कर्णावती और हुमायूँ

एक अन्य ऐतिहासिक कथा के अनुसार रानी कर्णावती और मुग़ल शासक हुमायूँ से सम्बंधित है। सन 1535 के आस पास की इस घटना में जब चितौड़ की रानी कर्णावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। जब रानी कर्णावती को यह लगा कि वो अपने साम्राज्य को गुजरात के सुलतान बहादुरशाह से नहीं बचा सकती, तो उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूँ, जो कि पहले चितौड़ का दुश्मन था, को राखी भेजी और एक बहन के नाते उनसे मदद माँगी।


हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी रानी कर्णावती के राखी की लाज रखी और चितौड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध चितौड़ की ओर से लड़ते हुए कर्णावती व उसके राज्य की रक्षा की। हालाँकि कई बड़े इतिहासकार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते, जबकि कुछ लोग पहले के हिन्दू मुस्लिम एकता की बात इस राखी वाली घटना के हवाले से करते हैं।

2. सिकंदर और राजा पुरु

एक अन्य ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब 326 ई.पू. में सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया, सिकंदर की पत्नी रोशानक ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास (पोरस) को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। परंपरा के अनुसार कैकेय के राजा पोरस ने युद्ध भूमि में जब अपनी कलाई पर बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन-दान दिया। 

3. सिखों का इतिहास

इतिहास के एक और घटना के अनुसार 18वीं सदी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा का अविर्भाव किया, जिसके अनुसार सिक्ख किसान अपनी कृषि की उपज का छोटा-सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और मुस्लिम आर्मी इसके बदले में उन पर आक्रमण नहीं करते थे।

महाराजा रणजीत सिंह, जिन्होंने सिख समुदाय की स्थापना की, उनकी पत्नी महारानी जिन्दान ने भारत के पड़ोसी देश नेपाल के राजा को एक बार राखी भेजी थी। नेपाल के राजा ने हालाँकि महारानी जिन्दान की राखी स्वीकार ली किन्तु, नेपाल के हिन्दू राज्य को उन्हें देने से इनकार कर दिया।

4. 1905 का बंग-भंग और रविन्द्रनाथ टैगोर

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में भी जन-जागरण के लिये भी रक्षाबंधन पर्व का सहारा लिया गया। भारत के प्रसिद्ध लेखक रविन्द्रनाथ टैगोर जी का मानना था, रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के बीच के रिश्ते को मजबूत नही करता, बल्कि इस दिन हमें अपने देशवासियों के साथ भी अपने संबध मजबूत करने चाहिये।

रविन्द्रनाथ टैगोर जी बंगाल विभाजन की बात सुनकर टूट चुके थे, अंग्रेजी सरकार ने अपनी डिवाइड एन्ड रूल्स यानी फूट डालो और शासन करो के नीति के अंतर्गत इस राज्य को बाँट दिया था। हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच के बढ़ते टकराव के आधार पर बंगाल का यह बँटवारा किया गया था।

यह वही समय था जब रविन्द्रनाथ टैगोर जी ने हिन्दुओं और मुस्लिमों को एक-दूसरे के करीब लाने के लिए रक्षाबंधन उत्सव की शुरुआत की, उन्होनें दोनों ही धर्मों के लोगों से एक दूसरे को रक्षाबंधन का यह पवित्र धागा बाँधने और आपस में एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए कहा, जिससें दोनों धर्मों के लोगों के बीच संबंध प्रगाढ़ हो सके।

अभी भी पश्चिम बंगाल के लोग एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए अपने दोस्तों और पड़ोसियों को राखी बांधते है।

★ रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता हैं? या रक्षाबंधन कैसे मनाये? - How Is Raksha Bandhan Celebrated? or How To Celebrate Raksha Bandhan

अगर हम सभी रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Quotes In Hindi) असल मायने में मनाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें लेन-देन का व्यवहार बंद करना चाहिये। साथ ही सभी बहनें अपने भाई को यह सीख दे कि हर एक नारी की इज्जत करनी चाहिए। जरुरी हैं कि प्रत्येक परिवार से ही व्यवहारिक ज्ञान एवं परम्परा आगे बढ़ें तब ही समाज से कुछ अपराध कम हो सकेंगे।


रक्षाबंधन का त्यौहार मनाना हम सभी के हाथ में हैं और आज के युवा पीढ़ी को इस दिशा में पहला कदम रखने की जरुरत हैं। रक्षाबंधन के त्योहार को एक व्यापार ना बनाकर इसे एक त्यौहार ही रहने दे। भाइयों द्वारा जरूरत के मुताबिक अपनी बहन की मदद करना सही हैं लेकिन बहनों को भी ये सोचने की जरुरत हैं कि भाई का प्यार किसी गिफ्ट्स या पैसों पर ही नहीं टिका हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार जब इन सबके ऊपर आयेगा तब जाके इसकी सुंदरता और भी अधिक निखर जायेगी।

कई जगह ऐसे भी है जहां पर पत्नियां अपने पतियों को को राखी बांधती हैं। बदले में पति भी अपनी पत्नी को रक्षा का वचन देता हैं। सही मायने में रक्षाबंधन का यह त्यौहार नारी के प्रति रक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए ही बनाया गया हैं।

हमारे समाज में नारी की स्थिती बहुत गंभीर हैं, क्योंकि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Quotes) का यह त्यौहार अपने मूल अस्तित्व से दूर हटता जा रहा हैं। जरुरत हैं की लोग इस त्यौहार के सही मायने को समझे एवं अपने आस-पास के सभी लोगों को भी समझायें।

सभी माता-पिता से निवेदन है कि वो अपने बच्चों को इस लेन-देन से हटकर रक्षाबंधन के त्यौहार की परम्परा समझायें। तब ही आगे जाकर रक्षाबंधन अपने ऐतिहासिक मूल को प्राप्त कर सकेगा।

त्यौहारों के इस भारत देश में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार हैं, जो वर्षों से मनाया जा रहा हैं। रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Festival) का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बाँधती हैं और बदले में भाई उसकी रक्षा का वचन देता हैं और बहन भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। प्रेम और सौहाद्र का यह रिश्ता रक्षाबंधन के इस पवित्र बंधन को और भी अधिक मजबूत करता हैं।

★ राखी और आधुनिक तकनीकी माध्यम - Rakhi And Modern Technical Medium

आज के एडवांस्ड टेक्निकल युग एवं सूचना भेजने का प्रभाव राखी जैसे त्योहार पर भी पड़ा है। बहुत सारे भारतीय ऐसे है जो विदेशों में रहते हैं एवं उनके परिजन (भाई एवं बहन) अभी भी भारत या अन्य किसी देशों में हैं।


इंटरनेट के आने के बाद कई सारी ऐसी ई-कॉमर्स साइटें है जो खुल गयी हैं, जो ऑनलाइन आर्डर के अनुसार रखी लेकर दिये गये पते पर पहुँचाती है। इस तरह से आज के आधुनिक विकास के कारण जो भाई बहन एक दूसरे से दूर रहते है तथा जो राखी पर मिल नहीं सकते, वो इन आधुनिक तरीकों से एक दूसरे को देख और सुनकर इस पर्व को मनाते हैं।
 

★ उपसंहार - Epilogue

आज रक्षाबंधन का यह त्यौहार हमारी संस्कृति की पहचान बन चुकी है और प्रत्येक भारतवासी को इस त्योहार पर गर्व है। आज के इस युग में कई भाई ऐसे है जिनके कलाई पर राखी सिर्फ इसलिए नहीं बंध पाती क्योंकि उनकी बहनों को उनके माता-पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया।

यह बहुत ही शर्म की बात है कि जिस देश में कन्या-पूजन का विधान शास्त्रों में है वहीं यहां कन्या-भ्रूण हत्या के मामले सामने आते हैं। रक्षाबंधन का यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि बहनें हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं।

रक्षाबंधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

FAQ

प्रश्न: रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

उत्तर- रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

प्रश्न: राखी 2021 में कितनी तारीख को है?

उत्तर- रक्षाबंधन इस साल 22 अगस्त को है।

प्रश्न: इस साल राखी बंधने का शुभ मुहूर्त कितने बजे का है?

उत्तर- राखी बांधने का सुभ मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से रात 7:40 बजे तक का है।

प्रश्न: रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं?

उत्तर- इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है।

प्रश्न: रक्षाबंधन का इतिहास कितने साल पुराना है?

उत्तर- रक्षाबंधन के त्यौहार के पीछे कई कहानियाँ है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह त्यौहार किस वर्ष या कब से शुरू हुआ था।





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