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विज्ञान के पास भी नहीं है इन 10 प्राचीन आविष्कारों का जवाब - anokhagyan.in

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इतिहास में कई ऐसे आविष्कार हुए हैं जिनके बारे में आज हमलोगों को जानकर हैरानी होती है। इतिहास में कई ऐसी चीजें भी हुई हैं जिनके बारे में कोई जानता और ना ही कोई यह जानता है कि वो घटनाएं घटी कैसे? 

वैज्ञानिकों द्वारा इन चीजों पर काफी शोध किया गया। इन चीजों के बारे में जानने की कोशिश की गई मगर वो किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाए। मगर आज हम आपलोगों को 10 ऐसे आविष्कारों के बारे में बताने जा रहे है जिसका जवाब आज तक Science (विज्ञान) भी ढूंढ नहीं पाया है।

1. Greek fire (यूनानी आग)



इस यूनानी आग के बारे में यह बताया जा रहा है कि भगवान ईसा मसीह के जन्म के 672 वर्ष बाद रोमन साम्राज्य (Roman Empire) ने एक अनोखे तरह के हथियार (Weapon) का आविष्कार किया जिससे आग (Fire) निकलती थी। ये हथियार (Weapons) बड़ी नाव या शिप में लगाकर अपने दुश्मन पर हमला किया जाता था। इस आग का तेज इतना था कि ये चंद मिनटों में दुश्मन के जहाज (Ship) को जलाकर राख कर सकती थी। इस आग की खासियत ये थी कि ये पानी (Water) पर भी जलती रहती थी!


इस हथियार (Weapon) के कारण Baigentine या रोमन साम्राज्य (Roman Empire) की नेवी को बहुत बल मिलता था। हथियार से निकलने वाली आग (Fire) की इस खासियत को देखते हुए रोम(Roman) की नेवी ने इसे दूसरे हथियारों में भी उपयोग किया था। आजतक वैज्ञानिक ये नहीं पता लगा पाए कि ग्रीक फायर (Greek Fire) किस चीज से बनाई जाती थी। वैज्ञानिक (scientist) सिर्फ अंदाजा लगाते हैं कि ये आग (Fire) किस चीज से बनी होगी।

2. Dumcus steel (डमकस स्टील)


सीरिया (Syria) की राजधानी डमस्कस में बनने वाली तलवारें (Swords) अपने वक्त में सर्वश्रेष्ठ हुआ करती थीं। सीरिया (Syria) में यूरोपीयन ईसाई (European christian) और मुसलमानों (Muslims) के बीच हुए युद्ध जिसे क्रूसेड (Crusade) भी कहते हैं।


क्रुसेड युद्ध से लौटने के बाद यूरोपीयन ईसाइयों (European christian) ने इस बात का जिक्र किया कि डमस्कस में बनने वाली तलवारें इतनी बेहतरीन हैं कि वो उड़ते हुए रुमाल को भी काट सकती हैं और बिना नुकसान के 90° डिग्री तक मुड़ सकती हैं। 21वीं शताब्दी तक डमस्कस के स्टील (Steel) को कैसे बनाया जाता है इस बात का अब तक खुलासा नहीं हो सका है।

3. Wyic manutropt (विकिक मनुत्रोप)



विकिक मनुत्रोप ऐसी हस्तलिपि (Manuscript) है जिसको अभी तक ना पढ़ा जा सका ना ही समझा जा सका है। कोई नहीं जानता कि इन हस्तलिपियों में लिखा क्या है। कई जानकारों ने बस अंदाजा लगाया है मगर कोई बता नहीं सका कि वास्तव में वो क्या है?


इन हस्तलिपियों (Manuscript) में महिलाओं जैसे दिखने वाले छोटे चित्र (Picture) बने हुए हैं जो एक प्रकार के तरल में डूबी हैं और एक दूसरे से ट्यूब के जरिये जुड़ी हुई हैं। हस्तलिपियों (Manuscript) के अध्ययन से पता चलता है कि ये 15वीं शताब्दी की हैं जो शायद मध्य यूरोप (Middle Europe) की मानी जाती हैं।

4. Antikythera mechanism (एंटीकाइथेरा तंत्र)

 

एंटीकाइथेरा तंत्र एक तरह का खगोलशास्त्र (Astronomy) के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यंत्र है। ये यंत्र 1901 में समुद्र तल (Sea level) से मिला था। वैज्ञानिकों ने पाया था कि ये यंत्र 2 ईसा पूर्व (B.C) में बना था। वैज्ञानिकों ने ये भी अंदाजा लगाया कि ये यंत्र चांद की साइकिल (Moon cycle) को जानने में इस्तेमाल किया जाता है मगर आज तक कोई ये नहीं जान सका कि इसे किसने बनाया? किस लिए बनाया? कौन इसका इस्तेमाल करता था? अभी तक ये भी कोई नहीं जान पाया कि ये यंत्र इसके बाद बने खगोलशास्त्र (Astronomy) के यंत्रों से ज्यादा जटिल क्यों है?।

5. Zhang Heng's Seismoscope (झांग हेंग के सेस्मोस्कोप)

 

चीनी वैज्ञानिक Zhang Heng's के द्वारा बनाये गए इस आविष्कार को दुनिया का पहला भूकंप आंकने वाला यंत्र (Seismometer) माना जाता है। माना जाता है कि इस यंत्र का आविष्कार 132 AD में हुआ था।


जब भूकंप आता था तो यंत्र में बने ड्रेगन (Dragons) के मुंह से एक पीतल (Brass) की छोटी सी गेंद निचे बने मेंढक (Frog) के मुंह के अंदर चली जाती थी। वैज्ञानिक ये नहीं जान पाए कि इस यंत्र के अंदर क्या था? और इसके काम करने की तकनीक क्या थी?।

6. Ulfbert Sword of Vikings (वाइकिंग्स का उल्फर्टबाइट तलवार)


Viking 8वीं से लेकर 11वीं सदी ईसवी में उत्तर यूरोप (North europe) के स्कैंडिनेविया क्षेत्र (Scandinavia Region) में रहने वाले उन 'Norse' लोगों को कहा जाता था जो व्यापारी, व्यापारी, समुद्री डाकू (Pirate) या खोजीयात्री (Investigator) बनकर यूरोप, एशिया और उत्तरी अटलांटिक द्वीपों (North Atlantic Islands) में जाते थे और वहीं बस जाते थे। ऐसा माना जाता है कि वाइकिंग्स (Vikings) की ये तलवार डमस्कस (Damascus) के लोगों द्वारा बनाई गई तलवारों के डिजाइन पर आधारित थी।


जब शोधकर्ताओं ने Vikings की तलवार को खोजा तो वो उनके डिजाइन (Design) को देखकर दंग थे। शोधकर्ताओं के अनुसार जिस तकनीक का इस्तेमाल कर के इस तलवार को बनाया गया होगा वो उनके करीब 800 वर्ष बाद तक भी नहीं विकसित हुई थी। 2020 के German scientists ने ये पाया कि ये तलवारें जर्मनी में ही बनी थीं।

7. Iron pillar of delhi (दिल्ली का लौह स्तम्भ)


दिल्ली का लौह स्तम्भ दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर (Qutub Minar Complex) में स्थित है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (वर्ष 375-413) के राज में बनवाया गया था मगर कई इतिहासकारों (Historians) का मानना है कि ये स्तम्भ 912 ईसा पूर्व (B.C) में बनवाया गया।


वैज्ञानिक आज भी इस स्तम्भ के बारे में ये नहीं पता लगा पाए कि इस स्तम्भ पर ज़ंग या रस्ट क्यों नहीं लगता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पिलर के लोहे में फॉसफोरस (Phosphorus) पाया जाता है और सलफर (Salafar) और मैंग्नीज (Manganese) गायब है इस वजह से जंग नहीं लगता है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ये लोहे का पिलर (Iron pillar) काफी मोटा है इस वजह से इसमें जंग नहीं लगता है। कुछ वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि दिल्ली का तापमान Mild है। मगर तापमान वाली Theory को खंडित किया जाता है।

8. Fiastos disk (फिस्टोस डिस्क) 


 वर्ष 1908 में Greece (यूनान) के क्रेट में इस डिस्क की खोज हुई थी। मिट्टी (Soil) से बनी ये डिस्क 1700 ईसा पूर्व (B.C) की है। इस डिस्क पर 241 शब्द, 45 Symbol spiral (प्रतीक सर्पिल) के आकार में बने हुए हैं।


माना जाता है कि इस डिस्क (Disk) पार गीत लिखा है या किसी तरह की प्रार्थना अंकित (Prayed) है। इस डिस्क पर Minoan (राजा मिनोस के युग का) में हस्तलिपि लिखी है जिसमें Minoan भगवान के लिए प्रार्थनाएं लिखी हुई हैं।

9. Roman Dodecahidran (रोमन डोडेकाहाइड्रान) 


 वैज्ञानिकों को अब तक इस बात का पता नहीं है कि ये यंत्र किस लिए इस्तेमाल किया जाता था। ऐसा माना जाता है कि रोमन लोगों (Roman people) ने इस येंत्र का आविष्कार किया था। ये यंत्र यूरोप के कई भागों में पाया गया। जानकारों का ऐसा मानना है कि इसमें मोमबत्ती, फूल आदि जैसी चीजें रखी जाती रही होंगी।

10. Round rocks of costa rica (कोस्टा रीका की गोल चट्टानें)


 
वैज्ञानिकों ने अभी तक इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाए हैं कि Costa rica की ये बड़ी गोल चट्टानें किस काम आती थीं। ईसा पूर्व 200 B.C से 800 A.D के बीच इस चट्टान के विकास को माना जाता है।

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