औरत कविता हिंदी में (Women Poem In Hindi)
क्यों लूटते हो, किसी लड़की की इज्जत को
क्यों देते हो उसको दर्द, उसके शरीर और हिम्मत को
क्या कभी झांक के देखा है
अपने घर के अंदर को
वहां भी तो एक औरत है
वहां भी तो एक बहन है
क्या कभी देखा है
किसी मां के सुने आँचल को
क्या कभी देखा है
किसी बाप का रोना रातों को
क्या कभी देखा है
बहन से बिछड़े भाई को
क्यों करते वो काम
जिससे होती है बदनामी
क्यों करते वो काम
जिससे बनती गलत कहानी
छोर दो उन राहों को
जिसमे काटों भरा सफर हो
छोर दो उस साथ को
जो गलत राह पे ले जाता हो
एक पल की खुशी के लिए
कितने घर उजारें
एक पल की खुशी के लिए
कितनों के छीने सहारे
संभलो अपने आप
बरना मुंह की ठोकर खाओगे
मर्यादा भूली तुमने
तो कहीं के ना हो पाओगे
वक़्त रहते जो संभला
वही तो इंसान है
बरना जीते-जी मुर्दे हो
जीवन तुम्हारा श्मशान है
Written By: Suraj Singh Raja
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आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.