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पहला प्यार कविता | first love poem

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पहला प्यार कविता | first love poem

तुमको पाने की हसरत है
तुम दिल की जरूरत है
तेरे होने का एहसास,
यही मेरे लिए सब कुछ है

तुमसे शिकायत बस इतनी है
तेरे घर के पास से गुजरता हूँ
तेरी दर्शन भी ना होती है

बस यूँही हम मिल जाते है
चलते हुए, किसी राह पे
कुछ समय के लिए रुकती हो
फिर मुड़ के भी ना देखती हो

तुम इस कदर जो तड़पाओगी
हम ऐसे ही मर जायेंगे
तुमसे कितनी मोहब्बत है
ये तुमको हम दिखलायेंगे

एक बार तो पास आओ
एहसास करो मेरी मोहब्बत का
मेरे जैसा कोई प्रेमी नही
जो तुमको इतना चाहेगा

भूल जाओगे तुम अपनों को भी
मेरे प्यार में झूम के
मेरे जैसा ना कोई प्रेमी मिलेगा
तुमको इस अर्थ (पृथ्वी) या मून (चांद) पे।


Written by: Suraj Singh Raja



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