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ज़िंदगी की कमी कविता | Short Life Poem

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ज़िंदगी की कमी/प्यार का एहसास

ज़िन्दगी में कुछ तो कमी रहेगी

मां मिला, बाप मिला
भाई-बहन का प्यार मिला
फिर भी एक कमी खलेगी
ज़िन्दगी में कुछ तो कमी रहेगी

तुम को जब से देखा है
भूल नही सकता तुमको
पाने की चाह में
पा नही सकता तुमको

तेरी यादें मिली
तेरी ख़्वावें मिली
पर तु नही मिली, मुझको
बस तेरी कमी खलेगी
ज़िन्दगी में कुछ तो कमी रहेगी

जब-जब तुमको देखा है
दिल की धड़कन बढ़ती है
प्यार तुमसे कर बैठा
ये कैसे बताऊं तुमको

ना पास आऊं
ना दूर जाऊं
बस ये कमी खलेगी
ज़िंदगी में कुछ तो कमी रहेगी

उस खुदा से कहता हूँ
कुछ तो करो करम
इतना क्यों तड़पाते हो
अब तो करो रहम
उसके बिना ना जीना मुझको
उसके बिना ना मरना..

बिन मांगे सब दिया है
अब दे-दे उसका प्यार
उसके बिना तरसूंगा
ज़िंदगी भर घुट-घुट कर तड़पुंगा

वो मुझे ना मिलेगी
बस ये कमी खलेगी
ज़िन्दगी में कुछ तो कमी रहेगी

खुदा ने मुझसे ये कहा
छोड़ दो तुम अपनी जिद्द
बिन उसके तुम्हें जीना है
उसके बिना ही मरना है

मैंने खुदा से ये कहा
हाँथ फैलाऊं तेरे आगे
दे-दे उसका प्यार
ले-लो तुम मेरी जान
बस एक दरस मेरे यार के
दिखला दो तुम अंतिम बार

अंत समय मेरा आ गया
ना देख सका मैं अपने प्यार को
ज़िंदगी तरस गयी उसके दीदार को
बिन देखे उसे मैं मर गया

बस ये कमी खलेगी
ज़िंदगी में कुछ तो कमी रहेगी।

Written by: Suraj Singh Raja


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