हेलो दोस्तों मेरा नाम है सूरज सिंह राजा और आज के इस लेख में हमलोग बातें करने वाले है कोहिनूर हीरे के बारे में. आज के इस लेख में हमलोग जानेगें कोहिनूर से जुड़े 11 रोचक तथ्य। तो चलिए जानते है कोहिनूर हीरे की कहानी
1. कोहिनूर, कोहिनूर का अर्थ होता है 'रोशनी का पर्वत', लेकिन इस कोहिनूर हीरे की चमक से कई साम्राज्य के राजाओं के सिंहासन का सूर्यास्त हो गया। कोहिनूर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह हीरा श्रापित हीरा है और कोहिनूर को लेकर इस तरह की मान्यता 13वीं सदी से प्रचलित है।
2. आंध्रप्रदेश के गोलकुंडा से मिला यह कोहिनूर हीरा 5000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। कोहिनूर हीरा का नाम कोहिनूर पड़ने से पहले स्यमन्तक मणि हुआ करता था। कोहिनूर को लेकर यह माना जाता है कि खदान से निकला कोहिनूर हीरा 793 कैरेट का था।
वर्ष 1852 से पहले तक इसका वजन 186 कैरेट था। पर जब यह कोहिनूर हीरा ब्रिटेन पहुंचा तो ‘क्वीन’ को इस कोहिनूर हीरे का आकार पसंद नहीं आया, इसलिए क्वीन ने कोहिनूर की दोबारा कटिंग करवाई गई, जिसके बाद कोहिनूर 108.9 कैरेट का रह गया।
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3. कोहिनूर का प्रथम लिखित वर्णन बाबरनामा में मिलता है। परन्तु इस कोहिनूर हीरे की कीर्ति पताका वर्ष 1306 में फैली, जब कोहिनूर को पहनने वाले एक शख्स ने लिखा कि जो भी इंसान कोहिनूर हीरे को धारण करेगा, वह व्यक्ति तो पहले इस संसार पर राज करेगा, लेकिन बाद में उसका उसका और उसके सल्तनत का पतन भी हो जाएगा।
4. यद्यपि उस शख्स के लिखी इन बातों को वहम कह कर खारिज कर दिया गया, पर कोहिनूर हीरे के इतिहासदर्शन से यह बात काफी हद तक सही मालूम पड़ती है। कई राजा-महाराजाओं या कई साम्राज्यों ने इस कोहिनूर हीरे को अपने पास रखा, लेकिन वे कभी भी खुशहाल नहीं रह सके और अंततः उन साम्राज्यों का पतन हो गया।
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5. 14वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कोहिनूर हीरा काकतीय वंश के पास आया और इस हीरे के आते ही 1083 ई. से शासन कर रहे काकतीय वंश के “अच्छे दिन” समाप्त हो गए और वर्ष 1323 में तुगलक शाह प्रथम से लड़ाई में हार के साथ ही काकतीय वंश का पतन हो गया।
6. काकतीय वंश के पतन के बाद यह हीरा 1325 से 1351 ई. तक मोहम्मद बिन तुगलक के पास रहा उसके बाद कोहिनूर हीरा खिलजी वंश के पास रहा कुछ समय बाद यह हीरा सैयद लोदी और 16वीं शताब्दी के मध्य तक कोहिनूर हीरा मुगल सल्तनत के पास रहा और इन सभी सल्तनतों का अंत इतना बुरा हुआ, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
तुगलक तो बेचारा आज भी ‘सनकी’ उपाधि झेल रहा है। तुगलक की बेवकूफाना नीतियों के लिए कहीं कोहिनूर हीरा तो जिम्मेदार नहीं था! बहरहाल इस दौरान वही ‘शासक’ खुशहाल रहा जो कोहिनूर हीरे के संपर्क में न के बराबर रहा।
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7. मुग़ल बादशाह शाहजहां ने बाद में कोहिनूर हीरे को अपने मयूर सिंहासन में जड़वाया, जिसके बाद शाहजहां का आलीशान शासन तख्तापलट के साथ औरंगजेब के हाथ चला गया। शाहजहां की पसंदीदा पत्नी मुमताज का इंतकाल हो गया और उसके अपने बेटे औरंगजेब ने उसे अपने ही महल में नजरबंद कर दिया।
8. ईरानी लुटेरा नादिर शाह वर्ष 1739 में भारत आया और उसने मुगल सल्तनत पर आक्रमण कर दिया। नादिरशाह के आक्रमण के साथ ही मुगल सम्राज्य का पतन हो गया और नादिर शाह भारत से जाते-जाते अपने साथ कोहिनूर हीरा और तख्ते ताउस को ईरान ले गया। ईरान में नादिर शाह द्वारा ही इस हीरे का नामकरण ‘कोहिनूर’ किया गया। वर्ष 1747 ई. में नादिरशाह की हत्या हो गई और उसके बाद कोहिनूर अफ़गानिस्तान के शासक अहमद शाह दुर्रानी के पास पहुंच गया।
9. मोहममद शाह ने अफगानिस्तान के शासक शाह शुजा दुर्रानी को युद्ध में परास्त कर उसे राज पद से हटा दिया। वर्ष 1813 ई. में अफ़गानिस्तान के अपदस्थ शासक शाह शूजा दुर्रानी कोहिनूर हीरे के साथ भाग कर लाहौर पहुंचा। शाह शुजा दुर्रानी ने कोहिनूर हीरे को पंजाब के राजा रणजीत सिंह को दिया।
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कोहिनूर हीरे देने के एवज में शाह शुजा ने राणा रंजीत सिंह के सामने अफगानिस्तान का राज सिंहासन उन्हें वापस दिलवाने का शर्त रखा। राजा रणजीत सिंह ने उसकी यह शर्त मान ली और शाह शूजा को अफ़गानिस्तान का राज सिंहासन वापस दिलवाया। इस प्रकार कोहिनूर हीरा वापस भारत लौट आया।
10. इस घटना के कुछ ही समय बाद महाराजा राणा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। रणजीत सिंह की मृत्यु के साथ अंग्रेजों ने सिख साम्राज्य को अपने अधीन कर लिया। इसी के साथ ही कोहिनूर हीरा ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा हो गया।
अब तक इस हीरे को लेकर यह धारणा पक्की हो चुकी थी कि कोहिनूर हीरा पुरुष शासकों के लिए ‘अभिशप्त’ है। फिर कुछ समय बाद भारत से इस कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन ले जाकर महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया तथा उस हीरे के शापित होने की बात बतायी गयी।
पर इस कोहिनूर हीरे को लेकर एक बात ख़ास थी कि यह पुरुषों के लिए बेहद दुर्भाग्यशाली रहा था, जबकि महिलाओं पर इस कोहिनूर के असर को अब तक परखा नहीं गया था। कोहिनूर हीरे के शापित होने की बात को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया ने हीरे को अपने ताज में जड़वा कर 1852 में स्वयं पहना और इस ताज और हीरे को लेकर एक प्रोटोकॉल बनाया, जिसके अनुसार भविष्य में इस ताज को सदैव महिला ही पहनेगी। और यदि कोई पुरुष ब्रिटेन का राजा बनता है, तो यह ताज उस पुरुष की बजाए उसकी पत्नी पहनेगी।
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11. कुछ इतिहासकार महारानी विक्टोरिया के इस ‘विश्वास’ से इत्तेफाक रखते हैं। उनके अनुसार अंततः ब्रिटेन जिसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था, के अंत के लिए भी यही कोहिनूर हीरा ज़िम्मेदार बना। इतिहास गवाह है कि आधी दुनिया पर राज करने वाला ब्रिटेन अंततः एक छोटा सा राज्य बन कर रह गया।
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.