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मरने के बाद आत्मा कहां जाती है | मृत्यु के बाद का सफर

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मानव शरीर, इस मानव शरीर को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह शरीर नश्वर है, जिसने जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते हैं। भले ही वह कोई मनुष्य हो या अन्य कोई जीवित प्राणी। अंत में सबको अपना शरीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना ही पड़ता है।

इस सच से हम सभी लोग भली-भांति परिचित हैं लेकिन मरने के बाद जब शव को अंतिम विदाई दी जाती है तो ऐसे में उस व्यक्ति के आत्मा का क्या होता है? यह बात अभी तक कोई नहीं समझ पाया है। एक बार अपने शरीर को त्यागने के बाद आत्मा का वापस अपने उस शरीर में प्रदार्पित होना असंभव है इसीलिए मौत के बाद की दुनिया कैसी है यह अभी तक एक रहस्य ही बना हुआ है। जिसे आज तक कोई समझ नही पाया हैं।

हमलोगों ने कई किस्से-कहानियों या फिर अफवाहों में तो मृत्यु के बाद आत्मा को मिलने वाली यात्नाएं या फिर विशेष प्रकार की सुविधाओं के बारे में तो कई बार सुना है लेकिन वास्तविकता में इस बात को अभी तक कोई यह नहीं जान पाया है कि क्या वास्तव में इस मृत्यु लोक दुनिया के बाद भी एक ऐसी दुनिया है जहां आत्मा को संरक्षित कर रखा जाता है अगर नहीं तो जीवन का अंत हो जाने के बाद आत्मा कहां चली जाती है?


श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा अमर है, आत्मा का कभी अंत नहीं होता, वह सिर्फ शरीर रूपी वस्त्र बदलती है। वैसे तो कई बार आत्माओं की अमर यात्रा के विषय में सुना जा चुका है लेकिन फिर भी यह सबसे अधिक रोमांच और जिज्ञासा से जुड़ा मसला है।

★ मृत्यु के बाद कहां जाती है आत्मा

गरूड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्माओं के साथ होने वाले व्यवहारों की व्याख्या लिखा हुआ है। गरुड़ पुराण के अनुसार जब आत्मा शरीर का त्याग करती है तो उस आत्मा को लेने दो यमदूत आते हैं।

इंसान अपने जीवन में जो कार्य करता है उसी अनुरूप उस व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा को यमदूत अपने साथ ले जाते हैं। अगर मरने वाला इंसान सज्जन है, पुण्यात्मा, अच्छे कर्मों वाला है तो उस व्यक्ति के प्राण निकलने में कोई कष्ट या पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो इंसान पापी हो, अधर्मी हो, दुराचारी हो तो उसे पीड़ा और कष्ट सहनी पड़ती है।

गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद यमदूत आत्मा को केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान उस आत्मा को यह दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं। इसके बाद उस व्यक्ति के आत्मा को फिर उसी जगह में छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपने शरीर का त्याग किया था। इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह आत्मा वहीं रहता है। 13 दिन के उत्तर कार्यों के बाद वह आत्मा फिर यमलोक की यात्रा करता है।

★ इसे मौत का रास्ता कहते हैं

पुराणों की माने तो जब भी कोई व्यक्ति मरता है और आत्मा उस व्यक्ति के शरीर को त्याग कर अपनी यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उस आत्मा को तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। उस आत्मा को उन तीनों मार्गों में से किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उस आत्मा के शरीर त्याग करने से पूर्व के कर्मों पर निर्भर करता है। 

ये तीन मार्ग इस तरह से हैं:- अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग। 

1. अर्चि मार्ग:- अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा पर ले जाता है।

2. धूम मार्ग:- धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है।

3. उत्पत्ति-विनाश मार्ग:- यह मार्ग नर्क की यात्रा पर ले जाता है।

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