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70 हजार 'नर कंकालों' से बना चर्च | दुनिया का सबसे डरावना और रहस्यमयी चर्च

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आपलोगों ने दुनियाभर के कई तरह के जगहों, स्थानों, महलों, मंदिरों आदि के बारे में सुना या पढ़ा होगा लेकिन ये जो लेख है वो एक चर्च से जुड़ी हुई है। जी हां, दोस्तों आज के इस लेख में हमलोग एक रहस्यमयी और डरावने चर्च के बारे में बातें करेंगे।

चर्च का नाम या चर्च के बारे में तो आपलोगों ने जरूर सुना होगा। लेकिन आज मैं आपलोगों को दुनिया का सबसे डरावना और रहस्यमई चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं। इस रहस्यमयी चर्च की चर्चा दुनियाभर में होती है।

क्योंकि इस चर्च को सजाने में 70,000 नर कंकालों का इस्तेमाल किया गया है। इन नर कंकालों से इस चर्च को सजाया गया है। दिखने में यह चर्च बहुत ही डरावना है इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में पर्यटक इस चर्च को देखने आते हैं। यह डरावना और रहस्यमयी चर्च चेक गणराज्य (यूरोप महाद्वीप में स्तिथ एक देश) की राजधानी प्राग में स्थित है। इस चर्च का नाम है सेडलेक ऑस्युअरी।

★ 'Church of Bones' के नाम से मशहूर है ये चर्च

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्राग के इस रहस्यमयी चर्च को को सजाने के लिए 40,000-70,000 लोगों की हड्डियों का इस्तेमाल किया गया है। आपलोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि यहां चर्च के अंदर छत से लेकर झूमर तक इंसान की हड्डियां ही नजर आती है। इस चर्च की पूरी दुनिया में चर्चा होती है। 
यह रहस्यमयी चर्च पूरे विश्वभर में 'Church of Bones' (हड्डियों का चर्च) के नाम से भी जाना जाता है। चर्च ऑफ बोन्स के बारे में बताया जाता है कि इसको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस चर्च ऑफ बोन्स का निर्माण आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले यानी 1817 में किया गया था।

★ नर कंकाल का रहस्य

नर कंकाल यानी इंसान की हड्डियों से इस चर्च को सजाने के पीछे एक रहस्य बताया गया है। वर्ष 1278 में बोहेमिया के राजा ओट्टोकर द्वितीय ने हेनरी नाम के एक संत को यरुशलम (ईसाईयों की पवित्र भूमि) भेजा था। यरुशलम को ईसा मसीह की कर्मभूमि भी कहा जाता है। ईसा मसीह को यरूशलेम में ही सूली पर चढ़ाया गया था। हेनरी जब यरूशलेम से वापस लौटे तो वो अपने साथ वहां की पवित्र मिट्टी से भरा एक जार भी लेकर आए।

★ दूर-दूर से आते है लोग

हेनरी ने येरुशलम की उस मिट्टी को एक कब्रिस्तान के ऊपर डाला तो वह कब्रिस्तान लोगों के दफनाने की पसंदीदा जगह बन गई। इसी बीच 14वीं या 15वीं सदी में प्लेग या ब्लैक डेथ नामक एक महामारी फैल गई, इस महामारी की वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए। उन मरे हुए लोगों को भी प्राग के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

उस महामारी में मरे काफी लोगों को उस कब्रिस्तान में दफनाने की वजह से कब्रिस्तान में बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी। इसलिए उन लोगों के हड्डियों और कंकालों को निकालकर उनसे इस प्राग के चर्च को सजा दिया गया। इसी कारण यह चर्च पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया और बड़ी संख्या में लोग इस चर्च को देखने आने लगे। देखने में यह चर्च बहुत ही डरावना लगता है।

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