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ब्रह्मास्त्र से शक्तिशाली अस्त्र | तीन ऐसे अस्त्र जो ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली है

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हेलो दोस्तों आपलोगों ने आज तक बहुत सारे अस्त्र-शस्त्र के बारे में सुना होगा लेकिन कभी ये सुना है कि सबसे शक्तिशाली अस्त्र कौन सा है.. आपलोगों को लगेगा ब्रह्मास्त्र। यही न.. तो आपलोग गलत है।

ब्रह्मास्त्र से भी शक्तिशाली बहुत सारी अस्त्रें है आज के इस लेख में आज हमलोग सिर्फ तीन ही के बारे में जानेंगे और बाकी के अस्त्रों के बारे में हमलोग अगले लेख में जानेगें।

तो चलिए हमलोग जानते है कि ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली तीन ऐसे कौन से अस्त्र है-

1. नारायणास्त्र (भगवान विष्णु का अस्त्र)


यह अस्त्र भगवान विष्णु का अस्त्र है इस अस्त्र को भगवान विष्णु असुरों के वध करने के लिए प्रयोग करते हैं। नारायणास्त्र बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और विनाशकारी अस्त्र है। इस अस्त्र की शक्ति की कोई सीमा नही है ये असीम शक्तियों वाला अस्त्र है इसलिए इसे कोई भी साधारण व्यक्ति संभाल नहीं सकता है। 

इस अस्त्र के बारे में पौराणिक कथाओं में कहा जाता है की यदि नारायणास्त्र का एक बार प्रयोग हो जाता था तो इसे रोकन किसी के बस की बात नही थी। नारायणास्त्र को यदि कोई व्यक्ति एक बार चला देता था तो यह अस्त्र किसी भी प्रकार से शत्रु का वध करके ही वापस आता था।

इस नारायणास्त्र को लेकर एक कथा महाभारत से मिलती है कि जब महाभारत में द्रोणाचार्य के वध का समाचार अश्वत्थामा को मिलता है तो वह प्रतिशोध की भावना में इसी नारायणास्त्र को पांडवो के उपर चला देता है, जिससे पूरे कुरुक्षेत्र में भय व्याप्त हो जाता है।

इस नारायणास्त्र को रोकना किसी के भी बस की बात नही थी इसे रोकना अंसभव था तब भगवान श्रीकृष्ण ने इस अस्त्र को शांत करने के लिए सभी को अपने अस्त्र और शस्त्रों को रखने के लिए कहा और सभी को इस नारायणास्त्र के प्रति समर्पण होने का निर्देश दिया।

इस नारायणास्त्र को केवल समर्पण भाव के द्वारा ही रोका जा सकता था, अगर नारायणास्त्र को रोकने के लिए कोई व्यक्ति गलती से कोई दूसरा अस्त्र चला दे तो भयंकर विनाश निश्चित तो था ही साथ ही ये नारायणास्त्र उसका भी विनाश कर देता।

2. ब्रह्मशीर्ष अस्त्र (भगवान ब्रह्मा का अस्त्र)

ब्रह्मास्त्र के बारे में तो आपलोगों ने सुना ही होगा। सनातन ग्रंथो के अनुसार ब्रह्मास्त्र भगवान ब्रह्मा के एक मुख को प्रदर्शित करता है। वहीं ब्रह्मशीर्ष अस्त्र भगवान ब्रह्मा के सभी सिरों और मुखों को प्रदर्शित करता है।

भगवान ब्रह्मा के चारों सिरों को प्रदर्शित करने वाला ये ब्रह्मशीर्ष अस्त्र बहुत ही शक्तिशाली बन जाता है, ब्रह्मास्त्र से चार गुना अधिक शक्तिशाली इस अस्त्र के बारे में ये भी समाझा जा सकता है कि अगर ब्रह्मास्त्र परमाणु बम है तो ये ब्रह्मशीर्ष अस्त्र आज के हाइड्रोजन बम के बराबर है। परमाणु बम और हाइड्रोडजन बम कितने घातक होते हैं इसके बारे में तो आपलोग भली-भांति जानते है।

ब्रह्मशीर्ष अस्त्र के बारे में ऐसा माना जाता है कि जब भी ये अस्त्र चलाया जाता था तो उस क्षेत्र के आकाश से अग्निवर्षा होने लगती थी, जिस भूमि पर इस अस्त्र का प्रभाव पड़ता था वहां की भूमि पर कई वर्षों तक कोई फसल नहीं उग सकती थी।

इसलिए जब भी इस ब्रह्मशीर्ष अस्त्र के प्रयोग की बात आती थी तो बहुत ही सोच-समझकर इस अस्त्र का प्रयोग किया जाता था, एक बार अगर ये ब्रह्मशीर्ष अस्त्र चल जाये तो ये अपना काम करके ही वापस आता था।

इस ब्रह्मशीर्ष अस्त्र को लेकर उल्लेख महाभारत काल मे भी मिलता है कि जब पांडवो का संपूर्ण विनाश करने के उद्देश्य में विफल होने के बाद अश्वत्थामा ने इस ब्रह्मशीर्ष अस्त्र का उपयोग अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे के वध के लिए किया था, जिसके जवाब में अर्जुन ने भी इसी ब्रह्मशीर्ष अस्त्र का उपयोग करके अश्वत्थामा का ये प्रयास विफल कर दिया था।

अर्जुन को ब्रह्मशीर्ष को जागृत करने से वापस लेने तक का सम्पूर्ण ज्ञान था। जबकि अश्वत्थामा को गुरु द्रोणाचार्य ने केवल ब्रह्मशीर्ष को जागृत करने का ज्ञान दिया।

3. ब्रह्मदण्ड अस्त्र

ब्रह्मदण्ड अस्त्र इस अस्त्र का उल्लेख पौराणिक काल में बहुत कम मिलता है। इस अस्त्र के बारे में कहा जाता है कि इस ब्रह्मदण्ड अस्त्र का बहुत कम उपयोग होता था क्योंकि इस अस्त्र के प्रभाव से जन-जीवन के नष्ट होने का भय रहता था। इस अस्त्र का भी उल्लेख महाभारत काल मे मिलता है जब महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने इस ब्रह्मदण्ड अस्त्र का प्रयोग अंगराज कर्ण पर किया था, तब अंगराज कर्ण ने इसे निष्प्रभाव कर दिया था।

ब्रह्मदण्ड अस्त्र के बारे में कहा जाता है कि इस ब्रह्मदण्ड अस्त्र को केवल मंत्रों द्वारा ही संधान (निशाना बैठाना) किया जा सकता था, और इस अस्त्र की शक्ति अपार थी। इस ब्रह्मदण्ड अस्त्र को लेकर ये माना जाता है कि ये अस्त्र 14 आकाशगंगाओं को नष्ट करने में सक्षम था।

इस ब्रह्मदण्ड अस्त्र को हम आज के एंटीमैटर बम्ब के बराबर शक्तिशाली मान सकते हैं, जो पदार्थ से चिपकते ही उसे हमेशा नष्ट करने के लिए पागल रहता है। 

यह ब्रह्मदण्ड अस्त्र इतना अधिक शक्तिशाली था की यह ब्रह्मास्त्र तथा ब्रह्मशीर्ष जैसे अस्त्रों को भी प्रभावहीन कर सकता था। इस अस्त्र का उल्लेख रामायण में भी मिलता है।

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