हेलो दोस्तों आज के इस लेख में, मैं आपलोगों को सौर वायु (पवन) के बारे में जानकारी देने जा रहा हूँ, तो उम्मीद करता हूँ की ये लेख आपलोग ध्यान से पढ़ें।
प्रश्न: सौर वायु या सौर पवन किसे कहते है?
> सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज्मा की बौछार को सौर वायु (Solar Wind) कहते हैं।
ये भी पढ़ें:- Solar System ! सौर मंडल के बारे में जानकारी
यह आवेशित कण अंतरिक्ष में चारों तरफ फैल जाते हैं। ये कण मुख्यतः प्रोटोन्स और इलेक्ट्रॉन (संयुक्त रूप से प्लाज्मा) के बने होते हैं जिनकी उर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट तक हो सकती है।
प्रश्न: हेलियोस्फीयर किसे कहते है?
अमेरिका के सैन अंटोनियो स्थित साउथ वेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के कार्यपालक निदेशक डेव मैक्कोमास के अनुसार सूर्य से लाखों मील/घंटे के वेग से चलने वाली ये सौर वायु (solar wind facts in hindi) सौर वायुमंडल के आसपास एक सुरक्षात्मक बुलबुला निर्माण करती है, जिसे "हेलियोस्फीयर" कहा जाता है।
हेलियोस्फीयर पृथ्वी के वातावरण के साथ-साथ सौरमंडल की सीमा के भीतर की दशाओं को तय करती है। हेलियोस्फीयर में सौर वायु सबसे गहरी होती है।
सौर वायु (solar wind about in hindi) सूर्य से निकलने का एक संभव कारण कोरोना का तीव्र तापमान होता है। कोरोना सूर्य की सबसे बड़ी और बाहरी परत (पर्त) होती है।
कोरोना का तीव्र तापमान अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है। सौर वायु सूर्य से लगभग 400 से 700 डिग्री किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से बाहर निकलती है।
एक अनुमान के अनुसार कोरोना के तापमान के अतिरिक्त इन कणों को सूर्य से छिटक कर अंतरिक्ष को अग्रसर करने हेतु किसी अन्य स्रोत से भी गतिक ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न: हेलियोपॉज किसे कहते है?
यह बौछार सौर मंडल के प्रत्येक ग्रह पर अपना प्रभाव छोड़ती है इसके साथ ही यह सौरमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच एक सीमा रेखा भी बनाती है। इस सीमा रेखा को "हेलियोपॉज" कहते हैं।
यह आकाशगंगा के बाहर से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों को बाहर ही रोक देती है। इन किरणों में अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकिरण होते हैं, जो हानिकारक भी हो सकते हैं।
सौर वायु (solar wind information in hindi) के आश्चर्यजनक दृश्यों में ऑरोरे नामक भूचुम्बकीय तूफान होते हैं जो बार विद्युत आपूर्ति ग्रिड को हानि भी पहुंचाते हैं। अंतरिक्ष में भ्रमण करते उपग्रहों एवं एस्ट्रोनॉटस को भी इन्हीं से खतरा होता है। सूर्य से 6.7 अरब टन सौर वायु प्रति घंटा की दर से बाहर निकलती है।
23-24 मई 2005 को अमेरिकी अंतरिक्ष यान वाइजर-1 इस सौर वायु के कारण टर्मिनेशन शॉक तक पहुंच गया था।
वायेजर-1 से भेजे गए आंकड़ों से वैज्ञानिकों को यह अनुमान लगा था कि सौर वायु स्थानीय अंतरिक्ष वातावरण में अधिक बड़ी शक्ति नही होती है।
सौर वायु से संबंधित अंतरिक्ष यान
NASA (नासा) के अनुसार कुछ समय से लगातार सिमटती जा रही सौर वायु (solar wind) के अध्ययन हेतु आईबेक्स नामक अंतरिक्ष यान छोड़ा गया है। यह यान सौर वायु के बारे में जानकारी प्राप्त करेगा जो विभिन्न ग्रहों की ब्रह्मांडीय किरणों से सुरक्षा करती है।
नासा द्वारा सूर्य के कोरोना व सौर वायु का रहस्य जानने के लिए एक अंतरिक्ष यान प्रस्तावित है। सोलर प्रोब प्लस नामक अंतरिक्ष यान वर्ष 2025 में भेजा जाएगा।
ये भी पढ़ें:- Scattered Disc ! बिखरा चक्र के बारे में जानकारी
यह अंतरिक्ष यान सूर्य के काफी निकट तक पहुंचेगा और उसका डिजाइन व निर्माण कार्य अनुभवी ए. पी.एल (एप्लाइड फिजिक्स लैब) द्वारा किया जाएगा।
ये यान सूर्य के काफी निकट पहुंचकर लगभग 70 लाख किलोमीटर दूरी पर रहकर अपना कार्य करेगा। सूर्य के कोरोना व सौर वायु के बारे में इससे काफी तथ्य उजागर होने की संभावनाएं है।
* सौर पवन (वायु) ऊर्जा चलित छोटे-छोटे कणों की एक पूरी धारा होती है जो सूर्य से 1.6 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटा की गति से निकलती रहती है।
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.