Fresh Article

Type Here to Get Search Results !

Jupiter Planet ! बृहस्पति ग्रह से जुड़े रोचक तथ्य व् पूरी जानकारी

0
बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet In Hindi) हमारे सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति का अंग्रेजी नाम जूपिटर रोमन भगवान के नाम पर रखा गया था। बृहस्पति हिंदी नाम यह भारतीय मान्यता के आधार पर रखा गया है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सुर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है।

Jupiter Planet ! बृहस्पति ग्रह से जुड़े रोचक तथ्य व् पूरी जानकारी

बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet Facts In Hindi) की जानकारी
16वीं शताब्दी तक बहुत कम थी। लेकिन यह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है। यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था।

गैलीलियो गैलीली ने बृहस्पति ग्रह के चार चंद्रमा की खोज की थी। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टान कोर हो सकता है। अपनी तेज घूर्णन गति के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल है।


बृहस्पति के विस्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (great red spot) जो कि एक विशाल तूफान है,के अस्तित्व को 17वीं सदी के बाद तब से ही इसे जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। बृहस्पति में कम से कम 79 (2016 तक) चंद्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चंद्रमा भी शामिल है जिसे गैलीलियन चंद्रमा कहा जाता है,जिसे सन 1810 में पहली बार गैलीलियो गैलीली द्वारा खोजा गया था। बृहस्पति का "गैनिमीड" सबसे बड़ा चंद्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चंद्रमा का तात्पर्य उपग्रह से हैं।

बृहस्पति का गठन

बृहस्पति का गठन आमतौर पर गैसों और तरल पदार्थों से हुआ है। चार गैसीय ग्रहों में सबसे बड़े होने के साथ यह 1,42,949 किलोमीटर विषुववृतीय व्यास के साथ सौरमंडल का भी सबसे बड़ा ग्रह है।

बृहस्पति की भौतिक विशेषताएं

बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet Hindi) इतना बड़ा है कि यदि हम बाकी बचे हुए सभी ग्रहों को जोड़ ले फिर भी बृहस्पति के मुकाबले यह सभी ग्रह आधे ही होंगे। यदि बृहस्पति सिर्फ 80 गुना और बड़ा बन जाए तो इसे एक तारा कहा जा सकता है। बृहस्पति मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैसों से मिलकर बना है।

बृहस्पति ग्रह के चार चंद्रमा है और अन्य कई छोटे चंद्रमा भी है,जो बृहस्पति का चक्कर लगाते रहते हैं। अगर हम बृहस्पति की तुलना पृथ्वी से करें,तो बृहस्पति ग्रह में 1300 पृथ्वी समायी जा सकती है। बृहस्पति ग्रह पर हवा की गति लगभग 640 किलोमीटर प्रति घंटा से भी तेज चलती है।

बृहस्पति ग्रह पर अमोनिया जमा हुआ है,जो बादलों का रूप लेता है। इन्हीं कारणों से बृहस्पति की सतह पर सफेद बादल दिखाई देते हैं ऐसा कहा जाता है कि बृहस्पति ग्रह के भीतरी वातावरण में हीरों की बारिश होती है। बृहस्पति ग्रह पर करीबन 300 वर्षों तक एक बड़े लाल रंग का धब्बा दिखाई दिया था। बाद में इसे एक बवंडर नाम दिया गया। पृथ्वी से यह तीन गुना ज्यादा बड़ा था।


बृहस्पति का मैग्नेटिक फील्ड बहुत मजबूत होता है यदि हम बृहस्पति के सतह पर खड़े हो जाए तो हमारा वजन अपने असली वजन से 3 गुना अधिक हो जाएगा। बृहस्पति ग्रह पर चुंबकीय बल पृथ्वी के चुंबकीय बल का 20,000 गुना ज्यादा है। इस ग्रह का बल इतना ज्यादा है कि चंद्रमा के आसपास मौजूद भी किसी पदार्थ को यह अपनी और खींच लेता है।

यह ग्रह अपने अक्ष पर बाकी ग्रहों के मुकाबले सबसे तेजी से घूमता है। बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet Information In Hindi) अपने अक्ष पर एक परिक्रमा सिर्फ 10 घंटे में पूरी कर लेता है। बृहस्पति ग्रह अपना रेडियो तरंग इतनी मजबूत छोड़ता है कि उसे धरती पर भी पकड़ा जा सकता है। वैज्ञानिक इन्हीं तरंगों के माध्यम से बृहस्पति पर महासागर होने की जांच कर रहे हैं।

बृहस्पति का रासायनिक संरचना या बनावट

जुपिटर का ऊपरी वायुमंडल 6-92% हाइड्रोजन और 4-12% हिलियम से बना है,यहां प्रतिशत का तात्पर्य अणुओं से है। हाइड्रोजन परमाणु से हीलियम परमाणु का द्रव्यमान 4 गुना ज्यादा है। यह संरचना तब बदल जाती है जब इस के द्रव्यमान के अनुपात को विभिन्न परमाणुओं के योगदान के रूप में वर्णित किया जाता है।

इस तरह से इस का वातावरण लगभग 75% हाइड्रोजन और 24% हिलियम द्रव्यमान द्वारा और शेष 1% द्रव्यमान अन्य तत्वों से मिलकर बना होता है।


जूपिटर के आंतरिक भाग में घने पदार्थ मिलते हैं,इस तरह मौटे तौर पर वितरण 41% हाइड्रोजन, 24% हीलियम और 5% तत्वों के द्रव्यमान का होता है। जूपिटर के वायुमंडल में मीथेन, जल वाष्प, अमोनिया और सिलिकॉन आधारित यौगिक मिले है। जुपिटर में कार्बन, इथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड, फोस्फाइन और सल्फर के होने के संकेत भी मिले हैं।


हाइड्रोजन और हीलियम का वायुमंडलीय अनुपात आद्य और निहारिका की सैद्धांतिक संरचना के बहुत करीब है। जुपिटर के ऊपरी वायुमंडल में नियॉन की मात्रा 20 भाग प्रति दस लाख है जो सूर्य में प्रचुर मात्रा में लगभग 10 याग प्रति दस लाख होती है।

द्रव्यमान

बृहस्पति का द्रव्यमान हमारे सौरमंडल के सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान का 2.5 गुना है। यह इतना बड़ा है की सूर्य के साथ इसका बैरीसेंटर सूर्य की सतह के ऊपर सूर्य के केंद्र से 1.068 सौर त्रिज्या पर स्थित है। जूपिटर का आयतन 1321 पृथ्वीयों के बराबर है, तो भी द्रव्यमान पृथ्वी से मात्र 316 गुना है। बृहस्पति की त्रिज्या सूर्य की त्रिज्या का लगभग 1/10 है और इसका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान का हजारवां हिस्सा मात्र है इसलिए दोनों निकायों का घनत्व समान है।

बृहस्पति की आंतरिक संरचना

जुपिटर का घना कोर तत्वों के एक मिश्रण के साथ बना है,जो कुछ हीलियम युक्त तरल हाइड्रोजन धातु की परत से ढका है और इसकी बाहरी परत मुख्य रूप से आणविक हाइड्रोजन से बनी हुई है। सन 1949 में गुरुत्वाकर्षण माप द्वारा कोर के अस्तित्व का झुकाव दिया गया था जो संकेत कर रहा है कि कोर का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 12 से 65 गुना या बृहस्पति के कुल द्रव्यमान का 6% से 14% है। धातु हाइड्रोजन की परत के ऊपर हाइड्रोजन का पारदर्शी आंतरिक वायुमंडल स्थित है।


जुपिटर के अंदर कोर की ओर जाने से ताप और दाब में तेजी से वृद्धि होती है ऐसा माना जाता है कि 10,000 k (केल्विन) तापमान और 200 gpa (गीगा पास्कल) दबाव के चरण संक्रमण क्षेत्र पर,जहां हाइड्रोजन अपने क्रांतिक बिंदु से अधिक गर्म होती है- धातु बन जाती है। कोर की सीमा पर तापमान 34,000 k (केल्विन) और आंतरिक दबाव 3,000 से 5,500 gpa (गीगा पास्कल) होने का अनुमान है।

बृहस्पति का वायुमंडल

जुपिटर पर सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रहीय वायुमंडल है,जो ऊंचाई में 5,000 किलोमीटर तक फैला है। जुपिटर का कोई धरातल नहीं है,इसलिए साधारणतया वायु मंडल के आधार को उस बिंदु पर माना जाता है जहां वायुमंडलीय दाब 10 बार इकाई के बराबर या पृथ्वी के सतही दबाव का 10 गुना हो।

जूपिटर का बादल परत

जूपिटर हमेशा अमोनिया क्रिस्टल और संभवतः अमोनिया हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढका रहता है। यह बादल ट्रोपोपाउस में स्थित है। बादल परत की गहराई लगभग 50 किलोमीटर है और यह बादलों के कम से कम दो पटावों (desks) से मिलकर बनी है। जुपिटर के वातावरण में बिजली की चमक के प्रमाण मिलने से लगता है कि अमोनिया परत के भीतर जलीय बादलों की एक पतली परत हो सकती है।

बृहस्पति का विशाल लाल धब्बा

जुपिटर पर विशाल आकृति वाला लाल धब्बा या ग्रेट रेड स्पोट है। यह लाल धब्बा धरती से भी बड़ा एक प्रति चक्रवाती तूफान है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में 22° पर स्थित है। इस ग्रेट रेड स्पोट के अस्तित्व को 1831 से या इससे भी पहले सन 1775 से जान लिया गया था।


गणितीय मॉडल बताते हैं कि यह तूफान शाश्वत है। इस तूफान को 12 सेंटीमीटर एपर्चर या उससे ज्यादा के भू आधारित दूरदर्शी से आसानी से देखा जा सकता है। इस धब्बे का आकार अंडाकार है। यह अंडाकार धब्बा 6 घंटे की अवधि के साथ वामावर्त घूर्णन करता है।

इसकी लंबाई 24-60,000 किलोमीटर और चौड़ाई 12-14,000 किलोमीटर है। यह इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वियां समा जाए। बृहस्पति पर सफेद और भूरे रंग के बेनाम अनेकों छोटे धब्बे हैं।
    सफेद धब्बा- सफेद धब्बे ऊपरी वातावरण के भीतर अपेक्षाकृत शांत बादल से मिलकर बने हैं।
      भूरा धब्बा- भूरे धब्बे गर्म होते हैं और सामान्य बादल परत केे भीतर बनते हैं।

      बृहस्पति का ग्रहीय छल्ला

      जुपिटर में एक धुंधली वलय प्रणाली है जो मुख्यतः तीन भागों से बनी है। अंदरूनी छल्ला,अपेक्षाकृत चमकीला मुख्य छल्ला और बाहरी पतला छल्ला। इसका मुख्य छल्ला ऐड्रास्टिया (adrastea) और मीटस (metis) चंद्रमा की सामग्री के छिटकने से बना है। यह आमतौर पर चांद पर वापस गिरने वाली वह सामग्री है जिसे बृहस्पति के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण अपनी ओर खींच लिया है। इस घूमती सामग्री की कक्षा की दिशा जूपिटर की ओर है।

      जूपिटर का चुंबकीय क्षेत्र (मेग्नेटोस्फेयर)

      बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 14 गुना शक्तिशाली है। भूमध्य रेखा पर 6.2 गॉस (0.72 मिली टेस्ला mt) तक का विचरण इसे सौरमंडल का सबसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बनाता है (सौर धब्बों को छोड़कर)। जूपिटर का चुंबकीय क्षेत्र, मेग्नेटोपाउस से घिरा है जो मेग्नेटोशिल्थ के अंदरूनी किनारे पर स्थित है।

      जूपिटर का परिक्रमा एवं घूर्णन

      • बृहस्पति से सूर्य की औसत दूरी 70 मिलियन किलोमीटर (5.2 खगोलीय इकाई) है तथा सूर्य का एक पूर्ण चक्कर हरेक 11.6 वर्ष में लगाता है।
      • जुपिटर ग्रह शनि की तुलना में दो तिहाई कक्षीय अवधि,सौरमंडल के इन दो बड़े ग्रहों के मध्य 5:2 का परिक्रमण तालमेल बनाता है। अर्थात जुपिटर सूर्य के पाँच चक्कर और शनि के दो चक्कर समान समय मे लगाते हैं।
      • बृहस्पति की कक्षा पृथ्वी की तुलना में 1.31° झुकी हुई है।
      • इसका विकेन्द्रता- 0.048 है।
      • इस ग्रह के उपसौर और अपसौर के बीच का फ़र्क 7.5 किलोमीटर है।
      • जूपिटर का अक्षीय झुकाव 3.13° है।
      • बृहस्पति अपने अक्ष पर एक घूर्णन 10 घंटे से थोड़े कम समय में पूरा करता है।
      • सूर्य से बृहस्पति ग्रह की दूरी 778,412,020 किलोमीटर (पृथ्वी से 5 गुना ज्यादा)।
      • सूर्य से कम दूरी 740,276,600 किलोमीटर।
      • सूर्य से ज्यादा दूरी 816,081,400 किलोमीटर।

      बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा

      बृहस्पति के 79 प्राकृतिक उपग्रह है इनमें से 10 किलोमीटर से कम व्यास वाले 50 उपग्रह है। इन सभी को 1985 के बाद खोजा गया। इन चांदो में ज्यादातर के नाम और रोमन भगवानों के नाम पर दिए गए हैं। बृहस्पति के 4 सबसे बड़े चंद्रमा आयो, यूरोपा, गैनिमीड और कैलिस्टो की खोज गैलीलियो ने की थी।


      बृहस्पति का एक चंद्रमा "गैनिमीड" सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह चंद्रमा बुध और शुक्र ग्रह से भी बड़ा है। यह एकमात्र चंद्रमा है जिसका खुद का चुंबकीय बल है। गैनिमीड की कक्षाएं,एक विशिष्ट स्वरूप बनाते हैं जिसे 'लाप्लास रेजोनेंस' के नाम से जाना जाता है।

      बृहस्पति की रिंग्स

      बृहस्पति के चारों ओर रिंग्स की खोज नासा ने,1979 में किया था। इसके चारों और तीन रिंग है जो गोल है। इसका मुख्य रिंग चपटी है और लगभग 30 किलोमीटर मोटी 6400 किलोमीटर चौड़ी है। इस रिंग्स को बृहस्पति का सुरक्षा कवच कहते है।

      बृहस्पति पर जीवन की संभावना

      मिलर-उरे-प्रयोग ने 1953 में प्रदर्शन किया कि आद्य पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद बिजली और रासायनिक यौगिकों का एक संयोजन ऐसे कार्बनिक यौगिक (एमिनो एसिड सहित) बना सकते हैं जो जीवन रूपी इमारत की ईंटों के जैसे काम आ सकते हैं।

      बृहस्पति के वायुमंडल में एक शक्तिशाली ऊर्ध्वाधर वायु परिसंचरण प्रणाली है। यह माना जाता है कि पृथ्वी की तरह बृहस्पति पर जीवन की, अधिक संभावना नहीं है, वहां के वायुमंडल में पानी की केवल छोटी सी मात्रा है। 

      जुपिटर के वायुमंडल के जितने नीचे जाएंगे, तापमान गर्म होता जाएगा। इसके सतह का तापमान 21 डिग्री सेल्सियस है और वायुमंडल का दबाव पृथ्वी के 10 गुना ज्यादा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह पर जीवन की संभावना हुई तो वह हवा के माध्यम से संभव हो सकेगा। अभी तक इस ग्रह पर जीवन का कोई संकेत नहीं मिला है।

      Jupiter Planet या बृहस्पति ग्रह से जुड़े रोचक तथ्य

      • इसका द्रव्यमान:  18,98,130 खरब किलोग्राम (पृथ्वी से 317.83 गुना ज्यादा)।
      • भूमध्य रेखीय व्यास 1,42,984 किलोमीटर।
      • ध्रुवीय व्यास 1,33,709 किलोमीटर।
      • भूमध्य रेखा की लंबाई 4,39,264 किमी।
      • ज्ञात उपग्रह: 79
      • सूर्य से दूरी: 77 करोड़ 83 लाख 40 हजार 821 किमी या 5.2 AU
      •  सूर्य से पृथ्वी की दूरी: 1 AU
      • सतह का औसतन तापमान: -108℃
      • बृहस्पति के वायुमंडल और सतह पर मुख्य रुप से हाइड्रोजन,हिलियम और अन्य तरल पदार्थ का विशाल भंडार है।
      • जूपिटर को गैसीय ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।
      • बृहस्पति का आंतरिक व्यास: 139,822 किमी।
      • ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति ग्रह को सर्वप्रथम 7वीं या 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बेबीलोन के द्वारा खोजा गया था।
      • बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी से 317.83 गुना ज्यादा है।
      • बृहस्पति अपने अक्ष (धूरी) का चक्कर 9 घंटे 55 मिनट में पूरी करता है।
      • बृहस्पति ग्रह 90% हाइड्रोजन,10% हीलियम और कुछ मात्रा में मीथेन,पानी,अमोनिया और चट्टानी गैसों से बना है।
      • बृहस्पति ग्रह को the great read spot के लिए भी जाना जाता है; जिसकी खोज 17वी शताब्दी में की गई थी। यह विशालकाय रेड स्पॉट जुपिटर की सतह पर उठने वाली धूल भरी आंधी है।
      पिछले 350 सालों में इस ग्रह पर एक बवंडर चल रहा है जो बादलों से बना हुआ है।


      चित्र में देखने पर यह लाल धब्बे के रूप में नजर आता है और इसे जुपिटर की लाल आँख भी कहते हैं।

      • Jupiter को पृथ्वी से नंगी आंखों के द्वारा देखा जा सकता है।
      • जुपिटर ग्रह पर बादल का रंग नारंगी और भूरे रंग के होते हैं। क्योंकि यह अमोनिया क्रिस्टल और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइट के बने होते हैं।
      • बृहस्पति के कुल 79 चंद्रमा में से 4 की खोज गैलीलियो गैलीली के द्वारा सन 1610 में की गई थी इनका आकार कुल 79 चंद्रमाओं में सबसे बड़ा है जिन्हें  गैलीलियो उपग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
      • गैनिमीड को 7 जनवरी 1610 में गैलिलियो द्वारा खोजा गया था।
      • गैनिमिड चंद्रमा का व्यास 5262.4 किलोमीटर और द्रव्यमान 1.48*10^23kg है। 
      • गैलीलियन उपग्रह - आयो, यूरोपा, गैनिमिड और कैलिस्टो आदि आते हैं।
      • बृहस्पति के कई क्षेत्रों में 360 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलना आम बात है।
      • बृहस्पति के यूरोपा उपग्रह को काफी खास माना गया है,क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर एक विशाल पानी का समुंद्र है जिसकी गहराई 100 किलोमीटर से भी ज्यादा हो सकती है।
      • बृहस्पति का अध्ययन करने के लिए अब तक नासा ने कुल 8 अंतरिक्ष यानों का उपयोग किया है। जिन्हें 1979 से 2007 के बीच नासा द्वारा जुपिटर ग्रह की कक्षा में भेजा गया था। जिनके नाम क्रमशः पायोनियर 10,पायोनियर saturn, वॉयजर 1, वॉयजर 2, ulysses, गैलीलियो, कासीनी और न्यू होरीज़ोंस है।
      • कई प्राचीन सभ्यताएं इस ग्रह के बारे में जानती थी। रोमन के अनुसार बृहस्पति शनि ग्रह का बेटा है और देवताओं का राजा है। इसके अलावा रोमन जुपिटर को ओलंपस के सम्राट तथा रोमन साम्राज्य के रक्षक भी मानते थे।

      हिंदू मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति देवताओं का गुरु है।

      • जुपिटर का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 16 गुना ज्यादा है। 
      • अपने शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के कारण जूपिटर सौरमंडल के ग्रहों को बाहरी उल्काओं के हमले से बचाए रखता है; क्योंकि यह उन्हें अपनी तरफ खींच लेते हैं। जुपिटर को सौरमंडल का "वैक्यूम क्लीनर" कहा जाता है।
      • सूर्य, चंद्रमा और शुक्र के बाद बृहस्पति चौथा सबसे चमकीला पिंड है,जो पृथ्वी के आसमान से नजर आता है।
      • जुपिटर अपने विशाल आकार के कारण सूर्य की और 600,000 मिलियन मील से लेकर 2 मिलियन मिल के बीच के स्थान को प्रभावित करता है।
      • यह अपार चुंबकीय क्षेत्र अपने ध्रुवों पर शानदार qurora बनाता है।
      • यूरोपा मून बृहस्पति के इस चंद्रमा पर वैज्ञानिकों का दावा है कि इस पर जीवन की संभावनाएं हो सकती है।
      • जुपिटर के वायु मंडल के पहले नमूने को 7 दिसंबर 1995 को नासा के गैलिलियो ऑर्बिटर द्वारा एकत्र किया गया था।
      • नासा के वैज्ञानिकों द्वारा जुपिटर ग्रह का उपरी वातावरण क्लाउड बेल्ट और जोन में विभाजित किया गया है, यह एरिया मुख्य रूप से अमोनिया, क्रिस्टल, सल्फर और दो यौगिकों से मिलकर बना है।
      • जुपिटर के चंद्रमाओं को jovian उपग्रह भी कहा जाता है। 
      • बृहस्पति ग्रह पर भी शनि ग्रह की तरह छल्ले बने हुए हैं।
      • बृहस्पति ग्रह के छल्ले मुख्य रूप से धूमकेतु और क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े व धूल कण है जो बृहस्पति ग्रह के द्वारा अपने वायुमंडल से बाहर निकाले गए थे।
      • जुपिटर ग्रह के छल्ले क्लाउड टॉप से लगभग 92,000 किलोमीटर ऊपर से शुरू होता है और ग्रह से 225,000 किलोमीटर से अधिक तक फैला है।
      • बृहस्पति ग्रह का न्यूनतम तापमान: -148 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।
      • जुपिटर ग्रह के आंतरिक भाग में तीन क्षेत्र शामिल है-

          • पहली- एक चट्टानी कोर- यह ठोस तत्वों से बना है।
          • दूसरी- विद्युत प्रवाहकीय- तरल हाइड्रोजन की एक परत है।
          • तीसरी- हिलियम के साथ साधारण हाइड्रोजन होता है, जो ग्रह के वायुमंडल में संक्रमण करता है।


      • जूपिटर तक सूर्य के प्रकाश को पहुंचने में 43 मिनट लगते हैं।
      • जुपिटर प्लेनेट के पास सौरमंडल का सबसे बड़ा महासागर है जो पानी की बजाय तरल हाइड्रोजन से बना है।
      • जुपिटर का एक वर्ष पृथ्वी के 12 वर्ष के बराबर है। 43. जुपिटर ग्रह पृथ्वी की तुलना में 318 गुना अधिक भारी है।
      • जूपिटर को एक तारा बनने के लिए 65% और बड़ा होना पड़ेगा।

      Anokhagyan.in visit करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, उम्मीद करता हूँ की आपलोग को आज का यह पोस्ट पसंद आया होगा | धन्यवाद



      Post a Comment

      0 Comments