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Funeral Procession ! शव यात्रा के समय राम नाम सत्य क्यों बोला जाता है

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बहुत समय पहले से हमलोग देखते और सुनते आ रहे हैं कि जब भी कोई मनुष्य मरता है तो सब उसके शव (funeral procession in hindi) को शमशान में ले जाने के समय उनके परिवार वाले ‘राम नाम सत्य है’ बोलते हैं। राम नाम सत्य है बोलते हुए मृतक के शरीर को शमशान की ओर ले जाते हैं।

परंतु राम नाम सत्य बोलने के पीछे का उद्देश्य कुछ ही लोग जानते हैं। बाकी लोग ऐसे ही इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) में किए जाने वाले संस्कारों के पीछे धार्मिक और वौज्ञानिक कारण बताए गए हैं। आज के इस लेख में हमलोग जानेंगे कि शवयात्रा के समय इसमें शामिल होने वाले लोग ‘राम नाम सत्य है’ क्यों बोलते हैं?


किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के समय लगाए जाने वाले नारे ‘राम नाम सत्य है’ के संबंध में महाभारत के धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को जब शमशान (funeral procession synonym) ले जाते हैं तब रास्ते में ‘राम नाम सत्य है’ कहते जाते है, परंतु शव को जलाने के बाद जैसे ही घर लौटते है तो राम नाम को भूलकर मोह-माया में लीन हो जाते हैं।

उस मृतक के घर वाले ही सबसे पहले उसके धन को संभालने की चिंता में लगते हैं। युधिष्ठिर ने कहा है कि हर रोज कोई न कोई प्राणी मरता हैं लेकिन उनके परिजन उनके संपत्ति को ही चाहते हैं। इन बातों से बढ़कर और अधिक आश्चर्य क्या हो सकता है?


दरअसल मृत व्यक्ति को श्मशान (funeral procession hindi) ले जाने के वक़्त ‘राम नाम सत्य है’ यह नारे मृतक को सुनाना नहीं होता है, बल्कि उस मृत व्यक्ति के साथ में चल रहे उसके परिजन, मित्र तथा आस-पास से गुजर रहे लोग इस बात से पूरी तरह परिचित हो जाएं कि राम का नाम ही सत्य है। 

इसलिए व्यक्ति के मृत शरीर को श्मशान ले जाने के क्रम में "राम नाम सत्य है" कहने की परंपरा शुरू की गई थी कि जब उस व्यक्ति के मरने के बाद उसके पीछे उसके परिजन उसके सम्पति के लिए वाद-विवाह करते हैं और संपत्ति का बंटवारा करते हैं।


लेकिन सभी व्यक्तियों को यह भी मालूम होना चाहिए कि राम का नाम सत्य है यानि जिसने इस पृथ्वी पर जन्म लिया, उसकी मृत्यु निश्चित है। मान्यता यह है कि इन्हीं सब कारणों की वजह से शवयात्रा में ‘राम नाम सत्य है’ बोला जाता हैं।


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