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महाराणा प्रताप से जुड़े तथ्य व जानकारी | Maharana Pratap Facts In Hindi

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महाराणा प्रताप (Maharana Pratap History In Hindi) इनका नाम कौन नही जानता है। भारत राष्ट्र के महान और प्रतापी शूरवीर है महाराणा प्रताप। महाराणा प्रताप जी का नाम भारत में जन्म लेने वाले शूरवीरों में सबसे ऊपर आता है। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap In Hindi) जी का इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत माता ने ऐसे अनेक वीरों को जन्म दिया है जिन्होंने मरते दम तक अपने राष्ट्र की रक्षा की है।

मुगल जब भी महाराणा प्रताप का नाम सुनते थे उनके माथे से पसीना टपकने लगता, क्योंकि महाराणा प्रताप जी ऐसे राजा थे जो कभी भी किसी शत्रु के आगे नहीं झुके थे।


मुगल शासक अकबर के शरीर का जितना वजन था उससे अधिक वजन का तो महाराणा प्रताप जी के भाले का था। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap Cast) मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। राणा ने अपने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की।

महाराणा प्रताप (Maharana Pratap Facts In Hindi) जी की बहादुरी को देखकर उनका सबसे बड़ा दुश्मन मुगल बादशाह अकबर भी उनका कायल हो गया था। महाराणा प्रताप जी को वीरता और स्वाभिमान की प्रतिमूर्ति माना जाता है। आइये आज के इस लेख में जानते है महाराणा प्रताप जी के जीवन से जुड़े तथ्यों के बारे में और अपने ज्ञान को थोड़ा और बढ़ाये।

★ महाराणा प्रताप का जन्म एवं बचपन

जिस इंसान के नाम से पूरा मुगल डरता था उस महान और प्रतापी योद्धा महाराणा प्रतापजी (Maharana Pratap Birth) का जन्म 9 मई 1540 को मेवाड़ के कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था।

महाराणा प्रतापजी (Maharana Pratap Parents) के पिता का नाम उदय सिंह था तथा माताजी का नाम जैवन्ताबाई था। महाराणा प्रताप के बचपन का नाम “कीका” था और इनके पिताजी उदय सिंह जी प्यार से इन्हें इसी नाम से पुकारा करते थे। इनके पिता आगे चलकर महाराणा प्रताप जी को मेवाड़ का साम्राज्य सौंप दिया गया।

# महाराणा प्रतापजी के बारे में कुछ रोचक तथ्य व  जानकारी

1. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महाराणा प्रताप जी युद्ध में एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।


2. यह बात जानकर आपको बेहद आश्चर्य होगा कि एक बार जब अब्राहम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे, तब उन्होंने अपनी माँ से पूछा कि - माँ मैं हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आऊं ? तब उनकी माँ ने जवाब दिया कि - ”उस महान देश हिंदुस्तान की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना।” लेकिन बदकिस्मती से अब्राहम लिंकन का वो दौरा रद्द हो गया। यह बात की जानकारी आप किताब “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ में आप पढ़ सकते हैं।

3. महाराणा प्रतापजी (Maharana Pratap Sword Weight) के भाले के वजन की बात अगर करे तो उनके भाले का वजन 80 किलोग्राम था और उनके कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था। महाराणा प्रताप जी के कवच, भाला, ढाल, और हाथों में तलवार का अगर कुल वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4. मुगल बादशाह मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर को महाराणा प्रताप जी (Maharana Pratap About In Hindi) का इतना डर था कि अकबर को सपनों में भी महाराणा प्रताप जी दिखाई देते थे।

5. आज भी महाराणा प्रताप की कवच, तलवार आदि चीजों को उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं, जहां जाकर आप देख सकते है।

6. मुगल बादशाह अकबर ने एक बार कहा था कि अगर महाराणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो बदले में वो आधे हिंदुस्तान के वारिस होंगे, पर उस पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी। लेकिन महाराणा प्रतापजी ने अपने ऊपर किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया।


7. हल्दी घाटी की युद्ध (Battle Of Haldighati) में मेवाड़ की ओर से 20,000 सैनिक और अकबर की ओर से 85,000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए।

8. महाराणा प्रतापजी (Maharana Pratap Horse Name) के घोड़े का नाम चेतक था। महाराणा जी घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है।

9. महाराणा प्रतापजी ने जब अपने महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारों लोगों ने भी अपना घर छोड़ा और दिन रात महाराणा जी कि फौज के लिए तलवारें बनाईं। इसी समाज को आज गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार के नाम से जाना जाता है। मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगों को और उनके सोच को।

10. हल्दी घाटी की लड़ाई के 300 वर्ष बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई। आखिरी बार हल्दी घाटी में तलवारों का जखीरा वर्ष 1985 में मिला था।

11. क्या आप जानते है कि महाराणा प्रतापजी को शस्त्रास्त्र की शिक्षा “श्री जैमल मेड़तिया जी” ने दी थी, जो 8,000 राजपूत वीरों को लेकर 60,000 मुगलों से लड़े थे। उस युद्ध में 48,000 सैनिक मारे गए थे । जिनमें से 8,000 राजपूत और 40,000 मुग़ल सैनिक थे।


12. क्या आप जानते है महाराणा प्रताप जी के देहांत पर मुगल बादशाह अकबर भी रो पड़ा था।

13. हल्दी घाटी के युद्ध में मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था। भील समाज के लोग महाराणा प्रतापजी को अपना बेटा मानते थे और महाराणा प्रताप जी भी बिना किसी भेदभाव के उन के साथ रहते थे। आज भी मेवाड़ के राजचिह्न पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील।

14. महाराणा प्रतापजी का घोड़ा चेतक महाराणा प्रताप को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीरगति को प्राप्त हुआ। चेतक की एक टांग टूटने के बाद भी वह 26 फिट का दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का एक पेड़ है, जिस जगह पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ आज चेतक मंदिर है।

15. महाराणा प्रताप जी का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था युद्ध के समय उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगा दीजाती थी। यह हेतक और चेतक नामक दो घोड़े थे।

16. मृत्यु से पूर्व महाराणा प्रतापजी ने अपना खोया हुआ 85 प्रतिशत मेवाड़ फिर से जीत लिया था। सोने, चांदी और महलों को छोड़कर राणा 20 वर्ष मेवाड़ के जंगलों में घूमे थे।


17. महाराणा प्रतापजी (Maharana Pratap Height) के शरीर का वजन 110 किलोग्राम और उनकी लम्बाई 7 फुट 5 इंच थी, महाराणा प्रताप जी अपने हाथों में दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे।

★ महाराणा प्रताप जी की मृत्यु

18. मुगल बादशाह अकबर ने महाराणा प्रताप (Maharana Pratap vs Akbar) पर 30 वर्षों तक जीतने का प्रयास किया, किंतु कभी भी अकबर राणा पर विजय हासिल ना कर सका। 29 जनवरी 1597 को महाराणा प्रताप जी की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई और इस बात की खबर जब मुगल सम्राट अकबर को मिली तो वह भी रो पड़ा था।


निष्कर्ष: हमें गर्व है कि हम उस भारतवर्ष में जन्म लिए है जहाँ महाराणा प्रताप जी जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। Anokhagyan और मेरी की ओर से महाराणा प्रताप जी को शत-शत नमन… महाराणा प्रताप जी के बारे में जानकारी और तथ्य को अपने दोस्तों और परिजनों के साथ शेयर करना ना भूले।

ये लेख आपको पसंद आया है तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं ताकि मैं महाराणा प्रताप जी के बारे में और अधिक जानकारी आपके साथ साझा कर सकूं, धन्यवाद्।



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