ज़िंदगी की हकीकत
कल तक सब था पास मेरे
आज मैं खड़ा अकेले
इस दुनिया की भीड़ में
ज़ी रहा हूँ कैसे
तन्हा-तन्हा रहता हूँ
फिरता हर वक़्त मैं
कल तक जो साथ खड़े थे
आज वो साथ नही है मेरे
पैसों की ताकत देखी मैंने
रिश्तों के सामने
रिश्ता लगे कमजोर, पैसों के सामने
पैसों के चक्कर में,
बदल गये मेरे अपने भी..
छोड़ गये मुझको अपने सब सारे
इस भीड़ में तन्हा अकेले
आज जाना हूँ मैंने,
इस पैसे की ताकत को
रिश्ते-नाते इस दुनिया में,
बस रहते है नाम के..
अब ना है भरोसा
ना करता ऐतबार किसी पे
ज़िंदगी में चलूंगा अकेले
भले ही मौत आये जैसे।
Written by: Suraj Singh Raja
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आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.