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इस गांव को कहा जाता है काले जादू का गढ़

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आधुनिक भारत में एक ऐसा गांव है जहां लोग जाने से डरते हैं। जी हां हमलोग बात कर रहे है पश्चिम बंगाल और असम के कुछ इलाकों के बारे में। यहां के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां जादू-टोने के डर से लोग जाने से घबराते हैं। 

आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं असम के छोटे से गांव मायोंग के बारे में, जिसे काले जादू का गढ़ बोला जाता है। मायोंग में आज भी काले जादू का खौफ इस कदर फैला हुआ है कि बाहरी लोग यहां जाने से डरते हैं।

हालांकि मायोंग गांव के आसपास वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी है, जिसके चलते वहां लोग सफारी करने आते हैं। लेकिन मायोंग गांव में काले जादू का खौफ इस कदर फैला हुआ है कि लोग इस गांव में जाने से कतराते हैं। ये गांव तंत्र साधना के केंद्र मां कामाख्या मंदिर से महज 40-50 किलोमीटर की दूरी पर है।

★ मायोंग गांव से ही हुई थी पूरी दुनिया में काले जादू की शुरुआत

मायोंग गांव को काले जादू का गढ़ कहा जाता है। इस गांव के हर घर में आज भी जादू किया जाता है। इस गांव के बारे में ऐसा माना जाता है कि पूरी दुनिया में काले जादू की शुरुआत इसी जगह से हुई है। असम का ये छोटा सा गांव मायोंग गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर दूर है।


असम के इस मायोंग गांव का इतिहास महाभारत से जुड़ा है। मायोंग गांव के बारे में लाेगों का ऐसा मानना है कि ये गांव भीम के बेटे घटोत्कच का है। घटोत्कच को यहां का राजा माना जाता है।

★ काले जादू का प्रयोग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है

असम के इस गांव का नाम मायोंग है, मायोंग शब्द के बारे में कहा जाता है कि ये शब्द संस्कृत के माया शब्द से बना है। हालांकि मायोंग में अब काले जादू का प्रयोग किसी को परेशान करने के लिए नहीं किया जाता है बल्कि यहां के लोग अब इसका उपयोग सिर्फ बीमारियों को दूर करने के लिए करते हैं।


इस गांव में बीमार हुए इंसान की पीठ पर थाली रख कर मंत्र के उच्चारण के साथ मिट्टी मारी जाती है, इसके बारे में कहा जाता है ये यहां बीमारियों को दूर करने का पारंपरिक तरीका है।

★ आज भी मौजूद है इस गांव में पांडुलिपियां

इस मायोंग गांव में दो तरह के कुंड है पहला अष्टदल कुंड और दूसरा योनि कुंड।

● योनि कुंड:- इस कुंड पर हिंदू अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए साधना किया करते है।
● अष्टदल कुंड:- इस कुंड पर बौद्ध अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए साधना किया करते थे।

मायोंग के संग्रहालय में 12वीं सदी की कई पांडुलिपियां मौजूद हैं। यहां मौजूद पांडुलिपियां तंत्र-मंत्र के वे कीमती दस्तावेज हैं जिनका मूल्य केवल इस भाषा को समझने वाले व्यक्ति ही बता सकते हैं।


इन पांडुलिपियों के एक जानकार के अनुसार इन पांडुलिपियों में किसी को वश में करने के लिए, उड़ने के लिए तथा किसी को मारने के लिए काले जादू का प्रयोग किस तरह किया जाए ये सारी जानकारियां इनमें मौजूद हैं।

★ यहां से किया जाता है काला जादू

इस मायोंग गांव में बूढ़े मायोंग नामक एक जगह है जिसे काले जादू का गढ़ (केंद्र) माना जाता है। इस जगह पर भगवान शिव तथा माता पार्वती के अलावा भगवान गणेश की भी तांत्रिक प्रतिमा है। इन प्रतिमाओं के सामने प्राचीन समय मे नर बलि दी जाती थी।


इसके अलावा यहां पर एक योनि कुंड भी है, इस योनि कुंड के आसपास कई मंत्र लिखे हैं। बताया जाता है कि इसी जगह पर सबसे अधिक काले जादू के प्रयोग किए गए। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि काले जादू की मंत्र शक्ति के कारण ये योनी कुंड हमेशा पानी से पूरी तरह लबालब रहता है।

★ मुगलों को कर दिया था गायब

असम के क्षेत्रों में कहानी आम है कि 1332 ई. में असम पर कब्जा करने आये मुगल बादशाह मोहम्मद शाह ने अपने घुड़सवारों के साथ चढ़ाई की थी।


उस समय असम में हजारों की संख्या में तांत्रिक मौजूद थे, तब उन तांत्रिकों ने मायोंग को बचाने के लिए वहां पर एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी, जिसे पार करते ही मुगल बादशाह मोहम्मद शाह की पूरी सेना गायब हो गई। पूरी सेना को गायब करने का ये तथ्य इस मायोंग गांव को और भी मायावी बनाने का काम करता है।

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