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दाह संस्कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़कर क्यों नही देखा जाता है?

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1. अंत‍िम संस्‍कार

जीवन और मृत्यु जिस प्रकार किसी व्यक्ति की आयु चलती रहती है ठीक उसी प्रकार उसकी मृत्यु भी उसके साथ चलता है। इस धरती पर जो भी आया है उसका एक ना एक दिन जाना तय है, मृत्यु के इस सत्य को मनुष्य सहन कर पाए इसलिए भगवान भी अवतार लेकर मनुष्य शरीर का त्याग किया है।

मनुष्य जीवन-मृत्यु के चक्र को समझ सके और आत्मा को सद्गति प्राप्त हो इसलिए हिंदू धर्म (सनातन धर्म) में जीवन से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार बनाए गए हैं। इन 16वों संस्कार में दाह संस्कार सबसे अंतिम संस्कार है, जिसमें मनुष्य के शरीर को पंचतत्वों के हवाले कर दिया जाता है और आत्मा को परमात्मा से मिलने के लिए विदा किया जाता है।


अंतिम संस्कार में कुछ नियम भी बनाए गए हैं जिससे जो व्यक्ति इस दुनिया से चला गया है उसका दुनिया से मोह टूट जाए और जो व्यक्ति जीवित है वह स्वस्थ्य और सुरक्षित रहे तथा सामान्य जीवन जीते हुए अपने सांसारिक कर्मों को निभा सके।

2. कपाल क्रिया

अंतिम संस्कार के नियमों में कुछ बातों का पालन करना जरूरी होता है। अंतिम संस्कार या दाह संस्कार के दौरान जब शव को अग्नि के हवाले किया जाता है तो दाह संस्कार के मध्य में जिस शैय्या या अर्थी पर लिटाकर शव को श्मशान तक ले जाया जाता है उसी शैय्या (अर्थी) का एक बांस निकालकर उस व्यक्ति के शव के सिर पर चोट किया जाता है जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है। बताया जाता है कि ऐसा करने से सांसारिक मोह में फंसा व्यक्ति शरीर के बंधन से मुक्त हो जाता है।

3. लकड़ी के टुकड़े को फेका जाता है

अंतिम संस्कार या शव दाह के अंत में जब परिजन श्मशान से लौटने लगते हैं तो श्मशान में आये परिवार के सभी लोग पांच लकड़ी के टुकड़े उठाते है उनमें से 3 लकड़ी के टुकड़े को दाएं हाथ में तथा 2 टुकड़े को बाएं हाथ में रखते हैं और शव दाह से विपरीत दिशा में खड़े होकर सिर के ऊपर से उन पाचों लकड़ियों को पीछे की ओर फेंकते हैं और वापस घर लौट चलते हैं।


लकड़ी के टुकड़े को फेकने के इस क्रिया के बाद पीछे मुड़कर देखना नही होता है। इन टुकड़ों के फेकने के बारे में ऐसी मान्यता है कि उन पांच लकड़ियों को फेंक कर उस मृत व्यक्ति की आत्मा से कहा जाता है कि अब तुम पंचतत्व में विलीन होकर इस सांसारिक मोह का त्याग करो और अपने आगे के सफर के लिए तुम बढ़ जाओ और हम सब ने भी तुम्हारा मोह त्याग दिया है।

4. पीछे मुड़कर ना देखें

शव दाह के बाद बताया जाता है कि जलती हुई चिता को पीछे मुड़कर देखा नही जाता है, ऐसा करने के पीछे ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का अपने परिजनों से मोह समाप्त नहीं होता है और वह श्मशान में आए अपने परिजनों को देखकर दु:खी होता रहता है।


उस मृत व्यक्ति के सांसारिक मोह से मुक्ति के लिए उसे यह अहसास दिलाया जाता है कि हम आपको भूल चुके हैं और आपके प्रति हमारा जो मोह था वो भी  समाप्त हो चुका है और आप भी मोह को त्याग दीजिये और अपने आगे के सफर पर जाइए। ऐसा कहते हैं कि  चिता को पीछे मुड़कर देखने से आत्मा का मोह बना ही रहता है।

5.अंत‍िम संस्‍कार से लौटने के बाद छूते हैं 5 चीजों को

बताया जाता है कि अंतिम संस्कार से लौटने के बाद लोगों को अपना मार्ग बदलना होता है यानी जिस रास्ते शव को श्मशान लाया जाता हैं ठीक उसके विपरीत रास्ते से उन्हें लौटना होता है। इसके अलावा जो भी लोग श्माशान गए होते हैं उन सभी लोगों को वस्त्र सहित स्नान करना होता है और फिर उन व्यक्तियों को घर में प्रवेश से पूर्व लोहा, जल, अग्नि तथा पत्थर का स्पर्श करना होता है इन चीजों को स्पर्श करने के बाद मिर्च का टुकड़ा दांतों से दबाना होता है।


कई क्षेत्रों में पवित्र होने के लिए घी भी लोगों को पीना होता हैं। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव दूर होता है।

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