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Water Pollution In Hindi | जल प्रदूषण क्या है? कारण, प्रभाव तथा उपाय

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★ जल प्रदूषण कैसे होता है?

जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है।

★ जल प्रदुषण क्या है प्रदूषण के कारण? 

जल प्रदूषण के बढ़ते स्तर के प्रमुख कारण है-

1. औद्योगिक कूड़ा-करकट
2. कृषि क्षेत्र (खेती) में होने वाली अनुचित गतिविधियां
3. नदियों के पानी (मैदानी इलाका) की गुणवत्ता में कमी
4. पानी में शव को बहाने, जीव-जंतुओं (गाय-भैंस) को नदी-तालाबों में नहाने, कचरा फेंकने
5. समुन्द्रों में जहाजों से होने वाले तेल का रिसाव

6. एसिड की बारिश यानी एसिड रैन
7. ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) में बढोत्तरी
8. यूट्रोफिकेशन- किसी भी जलाशय को पोषक तत्वों से समृद्ध यूट्रोफिकेशन करना सुपोषण कहलाता है।
9. औद्योगिक कचरे के निपटान की अपर्याप्त व्यवस्था
10. डीनाइट्रिफिकेशन


पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे रसायन, औद्योगिक, सूक्ष्म जीव, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न प्रदूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है और इसी प्रदूषण को जल प्रदूषण कहते हैं।


इस प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं। जल की गुणवत्ता पर प्रदूषकों के हानिकारक दुष्प्रभावों के कारण प्रदूषित जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता।

जलस्रोतों का प्रदूषण दो तरह से होता है-

1. बिन्दु स्रोत के माध्यम से प्रदूषण
2. विस्तृत स्रोत के माध्यम से प्रदूषण

★ बिन्दु स्रोत प्रदूषण

जब किसी निश्चित क्रिया प्रणाली द्वारा जल दूषित होकर सीधे जलस्रोत में मिलता है तो उसे ही बिन्दु स्रोत जल प्रदूषण कहा जाता हैं। इस प्रदूषण में जलस्रोत में मिलने वाले दूषित जल की प्रकृति एवं मात्रा ज्ञात होती है। और इस दूषित जल का उपचार कर प्रदूषण स्तर को कम किया जा सकता है।

उदाहरण-  किसी औद्योगिक इकाई से निकलने वाला दूषित जल पाइप के माध्यम से सीधे जलस्रोतों में छोड़ा जाता है। घरेलू दूषित जल को किसी नाले के माध्यम से नदी या तालाब में छोड़ना।

★ विस्तृत स्रोत प्रदूषण

कई तरह के मानवीय गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न होने वाले दूषित जल जब भिन्न-भिन्न माध्यमों से होकर किसी स्रोत में मिलता है तो उसे ही विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं। भिन्न-भिन्न माध्यमों से आने के कारण इनको एक जगह एकत्र करना एवं इनका एक साथ उपचारित करना संभव नहीं है।

> इन जलस्रोतों के प्रदूषक बिन्दु भी अलग है

1. नदियों का जल- नदियों में औद्योगिक दूषित जल विभिन्न नालों के माध्यम छोड़ा जाता है इसके अलावा घरेलू उपयोग में आये जल को भी नालों के माध्यम से नदीयों में छोड़ा जाता है। इसके अलावा खेती करने के क्रम में खेतों में डाला गया उर्वरक, कीटनाशक तथा जल के बहाव के साथ मिट्टी कचरा आदि भी नदियों में जाकर मिलते हैं।

2. समुंद्री जल- अधिक्तर नदियां समुद्रों में जाकर मिलती हैं। जिसके कारण नदियों का प्रदूषित जल समुंद्र में जाकर मिल जाता है जिसके कारण समुंद्र भी प्रदूषित हो जाता हैं। नदियों के माध्यम से ही औद्योगिक दूषित जल, कीटनाशक, उर्वरक, भारी धातु, प्लास्टिक आदि समुंद्र में मिलते हैं। इन सब के अलावा सामुद्रिक गतिविधियों जैसे समुंद्री परिवहन, समुद्र से पेट्रोलियम पदार्थों का दोहन आदि के कारण भी समुंद्र प्रदूषित होता है।

ये भी पढ़ें:- प्रदुषण क्या है?

इन जलस्रोतों की भौतिक स्थिति को देखकर ही उनके प्रदूषित होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। जल का रंग, इसकी गंध, स्वाद आदि के साथ जलीय खर-पतवार की संख्या में इजाफा होता है, जलीय जीवों जैसे मछलियों एवं अन्य जंतुओं की संख्या में कमी आना या उनका मरना, सतह पर तैलीय पदार्थों का तैरना आदि जल प्रदूषित होने के संकेत हैं।

★ जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या है?

जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत है कृषि क्षेत्रों यानी खेती करने के क्रम में भू-जल जहाँ रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग हुआ हो । जैसे- उद्योगों में विनिर्माण कार्यों अथा रासायनिक प्रक्रियाओं का अपशिष्ट जल है।

★ दूषित जल स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार हानिकारक है एवं जल का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

दूषित जल के सेवन से हैजा, दस्त, उल्टीयां, चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, टाइफाईड बुखार आदि रोग हो सकते हैं। दूषित जल के सेवन से गर्मी तथा बरसात के दिनों में  इन रोगों के होने का खतरा अधिक होता है। पीने के लिए हमें हमेशा स्वच्छ पानी का प्रयोग करना चाहिए। तथा तालाब के किनारे लगे हैंडपंपों से पानी पीना नही चाहिए।

★ जल को प्रदूषित होने से कैसे बचाएं?

प्रत्येक औद्योगिक इकाई को प्रदूषित जल साफ करने के लिये वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। छोटे-बड़े सभी शहरों में वाटर ट्रीटमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए। जल प्रदूषण रोकने के लिये नदी-नालों को साफ करना आवश्यक है।

★ जल प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है?

जल प्रदूषण से बचने के लिए नदी, तालाबों, कुओं और नालों में गंदगी न फैलाएं, सार्वजनिक जल वितरण के साथ छेड़छाड़ न करें, जल प्रदूषण संबंधी सभी कानूनों का पालन करें।

★ जल जैसे उपयोगी पदार्थ को हम कैसे दूषित कर देते हैं?

औद्योगिक दूषित जल नदियों के माध्यम इसके अलावा मल-मूत्र, कीटनाशक, उर्वरक, प्लास्टिक आदि समुंद्र में मिलते हैं जिसके साथ सामुद्रिक प्रदूषण होता है।

★ जल प्रदूषण के प्रमुख कारक क्या है?

जल प्रदूषण के प्रमुख कारक मान, अम्लीय, क्षारीय, धातुयें, सीसा, मरकरी, क्रोमियम एवं रेडियोधर्मी पदार्थ आते हैं। जैविक मानदण्ड - इसके अंर्तगत बैक्टीरिया, कॉलिफार्म, एलगी एवं वायरस आदि आते हैं। उपरोक्त पदार्थों की जल में एक निश्चित सीमा होती है। इन सबकी सीमा अधिक मात्रा बढ़ने पर जल प्रदूषित होने लगता है।

★ जल के दूषित होने में कौन से कारक जिम्मेदार है?

जल प्रदूषित के जिम्मेदार कारक

लुग्दी एवं कागज उद्योग
चीनी उद्योग
वस्त्र उद्योग
चमड़ा उद्योग
शराब उद्योग
औषधि निर्माण उद्योग
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
रासायनिक उद्योगों

इन सभी उद्योगों से पर्याप्त मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं, इन सभी कार्यों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण जलस्रोतों में ही किया जाता है, जिसके कारण जल प्रदूषित होता है।

★ जल प्रदूषण से कौन कौन सी बीमारी होती है?

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

लूज मोशन
डायरिया
डिसेंट्री
उल्टियां आना 

ये सारी बीमारियां आमतौर पर जल प्रदूषण के कारण ही होती हैं।

★ जल प्रदूषण से बचने के उपाय

1. फैक्टरियों, कारखानों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों (प्रदूषित पदार्थों) के निष्पादन से पूर्व उन पदार्थों का दोषरहित किया जाना चाहिए।

2. नदियों-तालाबों में या अन्य किसी जल स्रोतों में अपशिष्ट पदार्थों को छोड़ना या डालना गैरकानूनी घोषित कर प्रभावी कानून कदम उठाने चाहिए।

3. कार्बनिक पदार्थों के निष्पादन से पूर्व उनका आक्सीकरण करना चाहिए।

4. जल से जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए उनमें रासायनिक पदार्थ, जैसे ब्लीचिंग पाउडर आदि का प्रयोग करना चाहिए।


5. अन्तर्राष्टीय स्तर पर समुद्रों में किये जा रहे परमाणु परीक्षणों पर रोक लगनी चाहिए।

6. व्यक्तियों तथा जन साधारण  के बीच इस जल प्रदूषण के खतरे के प्रति चेतना उत्पन्न करनी चाहिए।


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1 Comments
  1. दिखने में काफी अच्छा भी लगता है आपका ब्लाॅग , रुचिपूर्ण भी लग रहा है लेकिन इसे इतना रंगीन ना बनाकर साधारण तरीके से बनाया जाये , ऐसा लग रहा है जैसे बच्चों के लिए सामग्री को रंगीन बनाकर व फाॅण्ट साइज को बढ़ाकर रुचिपूर्ण बनाया जा रहा है |
    बाकि सब अच्छा है कोई टेंशन नहीं लेना चाहिए |

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आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.