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मृत्यु के बाद की अवस्थाएं | मरने के तुरंत पहले और बाद क्या होता है?

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मृत्यु क्या है? जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु, जिसे कोई झुटला नहीं सकता है। जो भी भूलोक या मृत्युलोक में आया है उसे एक ना एक दिन अपने शरीर को छोड़कर जाना ही पड़ता है। शरीर में मौजूद उर्जा (Energy) जिसे आत्मा कहते हैं वह ऊर्जा समाप्त नहीं होती बल्कि रूपान्तरित होती रहती है।
जैसे इंसान पुराने वस्त्र को बदल नया वस्त्र धारण करता है। ठीक उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग नया शरीर धारण करती है। परिवर्तन संसार का नियम है जो भी आया है उसे जाना ही पड़ता है। मृत्यु के बाद जब आत्मा शरीर से निकलती है तो यह ऊर्जा कुहासे के समान प्रतीत होती है इस आत्मा की छवि ठीक उसी प्रकार की होती जिस तरह मृत व्यक्ति का शरीर होता है। मौत के कुछ समय तक उस आत्मा को भी अजब-गजब अनुभव से गुजरना होता है जो उस आत्मा के लिए भी दु:खद और कष्टकारी होती है।

1. अचेत अवस्था (Unconscious state)

मरने के बाद आत्मा उस शरीर से निकलकर कुछ देर तक अचेत अवस्था में रहती है। उस आत्मा को इस प्रकार का अनुभव होता है जैसे कठिन परिश्रम से थका हुआ कोई मनुष्य गहरी नींद में होता है लेकिन कुछ क्षण बाद वह आत्मा अचेत अवस्था से सचेत हो जाती है और उठकर खड़ी हो जाती है।

2. समान व्यवहार (Similar Behavior)

मृत्यु के बाद जब व्यक्ति के शरीर से आत्मा निकलती है तो उस आत्मा को कुछ समय तक पता ही नहीं होता है कि वह अपने मृतरूपी शरीर से अलग है। वह आत्मा ठीक उसी प्रकार व्यवहार करती है जैसे उस जीवित शरीर का व्यहार था।

3. बेचैनी और छटपटाहट (Restlessness and palpitation)

व्यक्ति के मरने के बाद जब आत्मा शरीर से निकलकर खड़ी हो जाती है तथा अपने सगे-संबंधियों को पुकारती रहती है, लेकिन उस आत्मा की आवाज कोई सुन नहीं पाता है। उस आत्मा की आवाज़ ना सुन पाने के कारण उसे बेचैनी और छटपटाहट होने लगती है।

इससे आत्मा परेशान हो जाती है तथा वह परेशान होकर अपने परिजनों तथा सगे-संबंधियों से कुछ कहना चाहती है पर उस आत्मा की आवाज बस उस तक ही गूंजकर रह जाती है। जीवित प्राणी उस आत्मा की आवाज़ को क्यों नही सुन सकता क्योंकि वह आवाज़ भौतिक नहीं अभौतिक ध्वनि होती है और इंसान केवल भौतिक चीजों को ही महसूस कर सकता है।

4. नहीं होता है संचार (Communication does not happen)

आत्मा जो सालों से शरीर में रहते है उस कारण सांसारिक माया का आवरण उस आत्मा पर पड़ा होता है उससे मोहवश दु:खी होकर आत्मा कभी अपने मृत शरीर को तो कभी अपने सगे-संबंधियों को देखकर उनसे बात करना चाहती है लेकिन उस आत्मा का ये प्रयास विफल होता है।

5. शरीर में प्रवेश का प्रयास (Attempt to enter the body)

मृत्यु के बाद व्यक्ति के शरीर का वो आत्मा कोशिश करती है कि वह फिर से अपने शरीर में प्रवेश कर जाए लेकिन यम के दूत उस आत्मा को शरीर में प्रवेश नहीं करने देते। धीरे-धीरे उस व्यक्ति की आत्मा यह स्वीकर करने लगती है कि अब उसका जाने का वक्त हो गया है। धीरे-धीरे मोह का बंधन कमजोर होने लगता है और वह आत्मा मृत्यु लोक विदा होने के लिए तैयार हो जाती है।

6. आत्मा को होती है दु:खी (The soul is sad)

अपने उस शरीर के मृत हो जाने पर आत्मा अपने परिजनों को रोते-बिलखते देख दु:खी होती है और खुद भी वह दु:ख से व्यकुल होकर रोती है, लेकिन उस आत्मा के वश में कुछ नहीं होता। वह आत्मा लाचार होकर सब कुछ देखने और अपने सम्पूर्ण जीवन काल में किए गए कर्मों को याद करके दु:खी होती है। यम के दूत उस आत्मा से कहते हैं कि चलो अब यहां से चलने का वक़्त आ गया है और उस आत्मा के जीवन भर के कर्मों के अनुसार उसे लेकर यमदूत यममार्ग की ओर चल पड़ते हैं।

7. कर्म के आधार पर होता है अगला जन्म (Next birth takes place on the basis of karma)

भूलोक या मृत्युलोक छोड़ने के कुछ ही समय में आत्मा मृत्युलोक की सीमा को पार कर एक ऐसे मार्ग में पहुंच जाती हैं जिस लोक में ना सूर्य की रोशनी होती है ना चांद की चांदनी। उस लोक में चारों तरफ अंधेरा होता है। यहां वह आत्मा अपने जीवनरूपी कर्मों और इच्छाओं के अनुसार कुछ समय तक विश्राम करती है। उसके बाद कुछ आत्माएं जल्दी शरीर धारण कर लेती हैं तो कुछ आत्मा लंबे समय तक विश्राम के बाद अपनी इच्छा के अनुसार नया शरीर धारण करती है।

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