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कब हुए थे भगवान शिव? | भगवान शिव से जुड़ी कुछ रोचक बातें- anokhagyan.in

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भगवान शिव से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य तथा कुछ प्रमुख बातें। शिव भक्तों के लिए ये बाते जानना बहूत जरूरी है कि भगवान शिव कब से है।

★ पौराणिक प्रमाण के अनुसार (According to mythological proof)


> जैन धर्म (Jainism) के 24वें तीर्थंकर  (Tirthankara) महावीर स्वामी का जन्म 599 ईस्वी पूर्व हुआ था। महावीर स्वामी के 250 वर्ष पूर्व भगवान पार्श्वनाथ हुए थे। मतलब आज से 2,869 साल पहले पार्श्वनाथ हुए। पार्श्वनाथ के समय भगवान शिव की पूजा होती थी।
 
> भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसवी पहले हुआ था। मतलब आज से 5,132 साल पहले कृष्ण हुए थे। उनके काल में भी भगवान शिव की पूजा होती थी।

> भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईस्वी पहले हुआ था। मतलब आज से 7,134 साल पहले भगवान राम हुए थे। उनके काल में भी भगवान शिव की पूजा होती थी। भगवान श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी।
 
> माथुर ब्राह्मणों (Mathur Brahmins) के इतिहास अनुसार भगवान श्रीराम के पूर्वज वैवस्वत मनु का काल 6673 ईसा पूर्व का है जिनके काल में जल प्रलय हुई थी। मतलब आज से 8,693 वर्ष पहले उनका अस्तित्व था। इसका मतलब ये हुआ कि उनके काल में भी भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा होती थी।
 
> सम्राट ययाति का उल्लेख वेद (Veda) और पुराणों (Puranas) में मिलता है। अनुमानित रूप से 7200 ईस्वी पूर्व उनका अस्तित्व था। इसका मतलब यह हुआ कि 9,220 साल पहले वे हुए थे। उनके समय में भी भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का प्रचलन था। ययाति प्रजापति ब्रह्मा की 10वीं पीढ़ी में से थे। 
 
> माथुरों के इतिहास के अनुसार स्वायंभुव मनु लगभग 9057 ईस्वी पूर्व (पहले) हुए थे। संभवत: इससे पहले भी हो सकते हैं। इसका मतलब 11007 साल पहले या लगभग 12 हजार साल पहले। उनके काल में भी भगवान शिव की पूजा होती थी। 
 
> प्रजापति ब्रह्मा के होने की बात लगभग 12 से 13 हजार ईस्वी पहले से कही जाती है। इसका मतलब 15 हजार साल पहले। इससे पहले ब्रह्मा और भी कई हुए हैं। इसका मतलब प्रजापति ब्रह्मा के काल में भी भगवान शिव की पूजा का प्रचलन था।
 
 
> Mythological history (पौराणिक इतिहास) में भगवान नील वराह (Neil Varah) के अवतार का काल लगभग 16 हजार ईस्वी पूर्व का माना गया है। मतलब 18 हजार वर्ष पूर्व। वराह कल्प के प्रारंभ (शुरुआत) में भी भगवान शिव थे। 
 
> Rebound of Hindu religion (हिन्दू धर्म की पुन: शुरुआत) वराह कल्प से ही मानी जाती है जो कि 13,800 विक्रम संवत पहले प्रारंभ हुआ था। यानी वराह कल्प से पहले Mahat kalpa (महत् कल्प), hiranya garbha kalpa (हिरण्य गर्भ कल्प), brahma kalpa (ब्रह्म कल्प) और Padma Kalpa (पद्म कल्प) बीत चुके हैं। 

★ पुरातात्विक प्रमाण के अनुसार (According to archaeological evidence)


> हड़प्पा (Harappa) और मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) की खुदाई में ऐसे अवशेष प्राप्त हुए हैं जो भगवान शिव की पूजा के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। सिंधु घाटी से नंदी और शिवलिंग का पाया जाता इसका प्रमाण है। IIT Kharagpur और भारतीय पुरातत्व विभाग (Indian Archeology Department) के वैज्ञानिकों के नए शोधानुसार मुताबिक यह सभ्यता 8,000 वर्ष पुरानी थी।
 
 
> According to archaeological findings (पुरातात्विक निष्कर्षों के अनुसार) प्राचीन शहर मेसोपोटेमिया, असीरिया, मिस्र (Egypt), सुमेरिया, बेबीलोन और रोमन सभ्यता में भी शिवलिंग की पूजा किए जाने के साक्ष्य मिले हैं।
 
> आयरलैंड के तारा हिल (Tara Hill of Ireland) में स्थित एक लंबा अंडाकार रहस्यमय पत्थर (A long oval mysterious stone) रखा हुआ है, जो शिवलिंग की तरह ही है। इसे भाग्यशाली पत्थर (Lucky stone) कहा जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि मक्का का संग-ए-असवद (Mecca's Sang-e-Aswad) भी एक शिवलिंग ही है जो बहुत ही प्राचीन है।
 
 
> हाल ही में सद्गुरु Jaggi Vasudev तुर्की गए हुए थे। वहां उन्होंने एक रूमी के मकबरे (Rumi's Tomb) के बाहर Garden (बगीचा) में एक अजीब तरह का गोल पत्थर देखा। बाद में उन्होंने उसकी खोज की तो पता चला कि वह 4,700 साल पुराना शिवलिंग है।
 
> हमारे देश भारत में भी हजारों साल पुराने (Thousands of years old) सैंकड़ों शिवलिंग हैं जिनकी मंदिरों (Temples) में पूजा-अर्चना हो रही है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग इसका उदाहरण हैं। इसके अलावा नदी के तटों और शहरों से दूर-दराज के क्षेत्र में भी हजारों साल पहले बने शिव मंदिर आज भी विद्यमान हैं।
 
 
> अरब के Mushrik, Yazi, Saabine, Subi और इब्राहीमी (Abraham) धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस्लाम से पूर्व (पहले) मध्य एशिया (Central Asia) का मुख्य धर्म (Main religion) पीगन था। मान्यता अनुसार यह धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा ही थी जिसमें भगवान शिव की पूजा प्रमुख थी।
 
> Iran को प्राचीन काल में पारस्य देश (Pardon country) कहा जाता था। इसके निवासी अत्रि कुल के माने जाते हैं। अत्रि ऋषि भगवान शिव के परम भक्त थे। अत्रि ऋषि के एक पुत्र का नाम दत्तात्रेय है। अत्रि लोग ही सिन्धु पार करके पारस चले गए थे, जहां उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया।
 
 
> विद्वानों (Scholars) ने वेदों के रचनाकाल (Creation time) की शुरुआत 4500 ईस्वी पूर्व (पहले) से मानी है। इस मान से लिखित रूप में आज से 6,520 साल पहले पुराने हैं वेद। इससे पहले हजारों वर्ष तक वेद वाचिक परंपरा (Factic tradition) में ही रहे। मतबल पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को वेद कंठस्थ कराकर वेदों के ज्ञान को जिंदा बनाए रखती थी। वेदों में भी भगवान शिव का उल्लेख मिलता है। 
 
> अंत में भगवान शिव को Adidev, Adinath और Adiyogi भी कहा जाता है। आदि का अर्थ सबसे प्राचीन प्रारंभिक, प्रथम और आदिम। भगवान शिव आदिवासियों के देवता हैं।
 
 
> शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें Early plow (प्रारंभिक सप्तऋषि) माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण पृथ्वी पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म (Religion) और संस्कृतियों (cultures) की उत्पत्ति हुई। कहते हैं कि भगवान शिव ने इन शिष्यों का लगभग 40 हजार वर्ष (साल) पहले तैयार किया था।

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