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कैसे हुई थी भगवान शिव की उत्पत्ति | ये है भोलेनाथ के जन्म से जुड़ा रहस्य - anokhagyan.in

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आज हमलोग बाते करते वाले है भगवान शिव के बारे में भगवान शिव के सभी भक्तों के मन में हमेशा यह जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती रहती है कि आखिर भगवान शिव का जन्म हुआ कैसे...? कैसे भगवान शिव उत्पन्न हुए? भगवान शिव के जन्म से जुड़े रहस्य को जानने की इच्छा शिव भक्तों को अवश्य रहती है।


ऐसा कहते हैं की भगवान शिव स्वयंभू हैं। इसका मतलब यह हुआ कि जिनका ना कोई आदि है और ना ही कोई अंत हो। तभी तो भगवान शिव को अजर, अमर, अविनाशी कहा जाता है। लेकिन हमेशा शिव भक्तों के मन में यह जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती रहती है कि आखिरकार भगवान शिव का जन्म हुआ कैसे...? कैसे भगवान शिव उत्पन्न हुए? तो आज हमलोग महादेव के जन्म से जुड़े रहस्य को जानेंगे। आज हमलोग पुराणों में वर्णिक भगवान शिव के जन्म से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानेंगे...

★ भगवान शिव के जन्म से जुड़ी है यह कथा

क्या आपलोग जानते हैं की कैसे हुई थी भगवान शिव की उत्पत्ति? ये है भगवान भोलेनाथ के जन्म से जुड़ा रहस्य

भगवान भोलेनाथ के जन्म से जुड़ी हुई कई कथाएं प्रचलित हैं उनमें से एक कथा ये है - एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने को लेकर दोनों के बीच जमकर बहस हुई। उन दोनों के बीच बहस चल ही रही थी कि तभी उन्हें एक रहस्यमयी खंभा (Mysterious pillar) दिखाई दिया। जिसका कोई छोर नज़र नहीं आ रहा था।


तभी एक आकाशवाणी हुई और भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु दोनों को खंभे का पहला व आखिरी छोर ढूंढने की चुनौती दी गई। तब भगवान ब्रह्मा जी ने एक पक्षी (Bird) का रूप धारण किया और भगवान विष्णु ने एक वराह का। और तब दोनों खम्भे का पहला और आखिरी छोर ढूंढने के लिए निकल पड़े। कठिन प्रयास करने के बाद भी दोनों असफल रहे। और दोनों हार मानकर जब लौटे तो वहां उन्होंने भगवान शिव को पाया।


तब भगवान ब्रह्मा और विष्णु को यह एहसास हुआ कि ब्रह्माण्ड का संचालन एक सर्वोच्च शक्ति द्वारा हो रहा है। जो भगवान शिव ही हैं। इस कथा में यह खंभा भगवान शिव के कभी न खत्म होने वाले स्वरूपों को दर्शाता है। यानि भगवान शिव अनंत हैं यानि जिसका ना आदि है और ना ही अंत।

★ कूर्म पुराण के अनुसार

भगवान शिव के जन्म से जुड़ी एक कथा कूर्म पुराण में भी मिलती है। कूर्म पुराण के मुताबिक - सृष्टि को उत्पन्न करने में भगवान ब्रह्मा को और सृष्टि के संचालन में कठिनाई होने लगी तो वह रोने लगे। तब भगवान ब्रह्मा जी के आंसुओं से भूत-प्रेतों (Ghost-ghosts) का जन्म हुआ था और उसके बाद भगवान ब्रह्मा के मुख से रूद्र यानि भगवान शिव का जन्म हुआ। इसीलिए भूत-प्रेतों को भगवान शिव का सेवक माना गया है।

★ विष्णु पुराण के अनुसार

विष्णु पुराण में भी भगवान शिव के जन्म से जुड़ी हुई बातों के बारे में वर्णन मिलता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि शिव, भगवान विष्णु के मस्तक के तेज (Cephalic sharp) से उत्पन्न हुए। सिर्फ जन्म ही नहीं बल्कि पौराणिक ग्रंथों और पुराणों में भी भगवान शिव से जुड़ी अनेकों कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव के 11 अवतार होते हैं। इन 11 अवतारों के उत्पन्न व प्रकट होने की अलग-अलग कहानियां व कथाएं हैं।

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