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नई शिक्षा नीति-2020 - anokhagyan.in

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को एक नई दिशा देगी। नरेंद्र मोदी ने कहा कि शिक्षकों में नई नीति के क्रियान्वयन को लेकर उत्साह है तथा 1 सप्ताह में 15 लाख से अधिक सुझाव सरकार को मिले हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा है कि नई शिक्षा नीति से भारत के नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं और यह 21वीं सदी के भारत को नई शिक्षा प्रदान करेगी।


शिक्षा क्या है?

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया।

अगर इसका व्यापक अर्थ है देखें तो शिक्षा किसी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास होता है. शिक्षा से मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है.

शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में बृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य एवं योग्य बनाया जाता है.


नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है.


नई शिक्षा नीति क्या है?

नई शिक्षा नीति(NEP) 2020 भारत की शिक्षा नीति है. भारत सरकार द्वारा इसे 29 जुलाई, 2020 को घोषित किया गया. यह भारतीय शिक्षा प्रणाली को 1986 में जारी हुई शिक्षा नीति के बाद पहला नया बदलाव प्रदान करती है. ये शिक्षा के क्षेत्र में देश की दशा और दिशा तय करती है. जानकारों की राय में यह हर 10 से 15 वर्ष में ऐसी नीति बनाई जानी चाहिए। लेकिन इस बार बनने में 34 वर्ष का समय लग गया. नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए केंद्र ने वर्ष 2030 तक का लक्ष्य रखा है.


5+3+3+4 क्या है?

पुराने शिक्षा नीति में 10+2  की परंपरा थी लेकिन नई शिक्षा नीति में 10+2 खत्म हो जाएगी। उसकी जगह भारत सरकार 5+3+3+4  की बात कर रही है.


5+3+3+4 में 5 का मतलब क्या है?

5 का मतलब है 3 साल प्री-स्कूल के और वर्ग(Class) 1 और 2.

3 का मतलब है वर्ग(Class) 3, 4 और 5.

अगले 3 का मतलब है वर्ग(Class) 6, 7 और 8.

और अंतिम चार का मतलब है वर्ग(Class) 9, 10, 11 और 12.


अब बच्चे 6  वजाय 3 साल की उम्र में फॉर्मल स्कूल जाने लगेंगे। इसके तहत प्ले स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।

पहले 6 साल से 14 साल के बच्चों के लिए आरटीई लागू किया गया था, लेकिन अब नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 डिजाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव शामिल किया गया है, जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है.

एनईपी(NEP) 2020 के अंतर्गत HHRO द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।

इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों(Students) के लिए आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।


लैंग्वेज फार्मूला या भाषाई विविधता का संरक्षण

नई शिक्षा नीति में 3 लेंग्वेज फॉर्मूले की बात कही गई है, कक्षा 5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई की बात की गई है। और ये भी कहा गया है कि संभव हो, तो कक्षा आठ तक इसी प्रक्रिया को अपनाया जाए। संस्कृत भाषा के साथ तमिल, तेलुगु और कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई पर भी बल दिया गया है।


सेकेंडरी सेक्शन में विद्यालय चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।


स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों(Students) के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा। किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।


बोर्ड एग्जाम

पिछले 10 वर्षों में बोर्ड एग्जाम में कई बदलाव किए गए। कभी नंबर की बजाय ग्रेड्स की बात की गई, तो कभी दसवीं की परीक्षा को वैकल्पिक किया गया।

लेकिन अब नई शिक्षा नीति में बोर्ड एग्जाम होंगे, और दो बार होंगे। परीक्षा का स्वरूप बदल कर अब छात्रों की 'क्षमताओं का आकलन' किया जाएगा ना, कि उसके यादाश्त का। बोर्ड परीक्षा के अतिरिक्त राज्य सरकारें कक्षा 3, 5 और 8 में भी परीक्षाएं लेगी।


शारीरिक शिक्षा

स्कूलों में सभी स्तरों पर छात्रों को नियमित रूप से खेलकूद, नृत्य, योग्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी।


केवल एक परीक्षा से मूल्यांकन ना हो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पढ़ाई से मिल रहे तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षाएं इस तरह होनी चाहिए की छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि कोशिश यही होनी चाहिए की एक परीक्षा से विद्यार्थियों का मूल्यांकन न किया जाए।


पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार

★ नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार कला, विज्ञान और व्यवसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम गतिविधियों के बीच अधिक अंतर नहीं होगा।

★ वर्ग(Class) 6 से ही शैक्षणिक पाठ्यक्रम में व्यवसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा, इसमें Internship की व्यवस्था की जाएगी।

NCERT(National Council Of Education Research And Training) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा तैयार की जाएगी।

★ कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि सुधारों को शामिल किया जाएगा।

★ छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए 'परख' नामक 'राष्ट्रीय आकलन केंद्र' की स्थापना की जाएगी।

★ छात्रों को अपने भविष्य(Future) से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिए AI(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग।


शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार

◆ नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन। शिक्षकों द्वारा समय-समय पर किए गए कार्य प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।

◆ शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद वर्ष 2022 तक NPST (नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड ऑफ टीचर्स) 'शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यवसायिक मानक' का विकास किया जाएगा।

◆ नई शिक्षा नीति के अंतर्गत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT (National curriculum framework teacher education) अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा का विकास किया जाएगा।

◆ 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत B.Ed डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।


उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान

■ नई शिक्षा नीति में अब ग्रेजुएशन(UG) में छात्र 4 साल का कोर्स पढ़ेंगे, अगर छात्र बीच में कोर्स छोड़ना चाहता है, तो बीच में कोर्स छोड़ने की गुंजाइश भी दी गई है।

कोर्स को कुछ इस तरह बांटा गया है:-

★ पहले साल में कोर्स छोड़ने पर सर्टिफिकेट मिलेगा।

★ दूसरे साल के बाद कोर्स छोड़ने पर एडवांस सर्टिफिकेट मिलेगा।

★ तीसरे साल के बाद कोर्स छोड़ने पर डिग्री।

★ अंत में 4 साल की डिग्री होगी शोध के साथ।


■ इसी तरह पोस्ट ग्रेजुएट(PG) में भी 3 तरह के विकल्प होंगे:-

★ पहला विकल्प होगा 2 साल का मास्टरर्स, ये उनके लिए होगा जिन्होंने 3 साल का डिग्री कोर्स किया है।

★ दूसरा विकल्प यह होगा कि 4 साल के डिग्री कोर्स शोध के साथ करने वाले छात्रों के लिए ये छात्र मास्टरर्स अलग से कर सकते हैं।

★ तीसरा विकल्प यह होगा कि 5 साल का इंटीग्रेटेड प्रोग्राम, जिसमें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों एक साथ ही हो जाए।


पीएचडी के लिए आप अनिवार्यता होगी 4 साल की डिग्री शोध के साथ। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत एम.फिल. कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।


भारतीय उच्च शिक्षा आयोग

NEP(National education policy) नई शिक्षा नीति में देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) की परिकल्पना की गई है 

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक एकल निकाय के रूप में कार्य करेगा।


भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) के कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु चार निकाय

★ HECI (राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामकीय परिषद):- यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक नियामक का कार्य करेगा।

★ GEC (सामान्य शिक्षा परिषद):- यह उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अपेक्षित सीखने के परिणामों का ढाँचा तैयार करेगा।

★ NAC (राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद):- यह संस्थानों के प्रत्यायन का कार्य करेगा, जो मुख्य रूप से बुनियादी मानदंडों, सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण, सुशासन और परिणामों पर आधारित होगा।

★ HGFC (उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद):- यह निकाय कॉलेजों(Colleges) एवं विश्वविद्यालयों(Universities) के लिए वित्तपोषण का कार्य करेगा।


Amazing Facts

★ अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी। जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।

★ NEP, 2020 के अंतर्गत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा गया है।

★ नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।


नई शिक्षा नीति में शिक्षामित्रों का क्या होगा?

केंद्र सरकार की तरफ से लगाई गई नई शिक्षा नीति (NEP-2020) में शिक्षामित्रों का पूरी तरह से अस्तित्व समाप्त कर दिया जाएगा। जिन्होंने विद्यालयों में 15 वर्ष तक पढ़ाया अब उन्हें शिक्षा विभाग की तरफ से बाहर निकाल दिया जाएगा।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 क्या है?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 शैक्षिक नीतियों एवं कार्यक्रमों को बनाने और उनके क्रियान्वयन में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।


भारत में प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा कब हुई?

भारत में प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा 1968 ई. में की गई।


भारत में शिक्षा विभाग की स्थापना कब हुई?

भारत में शिक्षा विभाग की स्थापना 1920 में की गई। इसके बाद 1935 में इसे पुनर्गठित किया गया। इसके बाद समय-समय पर इस का पुनर्गठन होता रहा। पुनर्गठित बोर्ड का कार्यकाल 3 साल का होगा।


भारत सरकार ने शिक्षा आयोग की नियुक्ति कब की थी?

14 जुलाई 1964 को भारत सरकार ने अपने प्रस्ताव में शिक्षा आयोग की नियुक्ति की। इस आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डी.एस. कोठारी थे।


प्राचीन भारत में शिक्षा का अंतिम लक्ष्य क्या था?

प्राचीन भारत में शिक्षा का अंतिम लक्ष्य जीवन के उच्च आदर्शों के मामलों में भारत की ख्याति अति प्राचीन काल से रही है।.... लगभग 9 वर्ष की उम्र(आयु) होते ही बच्चों को इन अध्यापकों के आश्रम में शिक्षा पाने के लिए भेज दिया जाता था। उस समय अध्यापकों को गुरु कहा जाता था।


नोट:- भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत का श्रेय लॉर्ड मैकाले को जाता है इनका पूरा नाम थॉमस बेनिंगटन मैकाले था।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अध्यक्ष कौन थे?

कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन।


Note:- 1858 में लॉर्ड मैकाले द्वारा इंडियन एजुकेशन एक्ट बनाया गया था।


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2 Comments
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आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.