महिलाओं के साथ हिंसा घर के अंदर या घर के बाहर हो सकती है।
महिलाओं को हिंसा का दुर्व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करने और दुर्व्यवहारी को दंड देने के संबंध में कानून द्वारा बनाए गए कुछ नियम दिए गए हैं।
◆ अश्लील हरकत या राह चलते गाने गाना
अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थल पर अन्य लोगों को परेशान करता हैं या कोई अश्लील हरकत करता है अथवा किसी सार्वजनिक स्थल पर अश्लील गाने गाता है या कोई अश्लील शब्द बोलता है
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत उस व्यक्ति को 3 महीने(माह) का कारावास अथवा जुर्माना या दोनों हो सकता है।
◆ किसी भी महिला की शालीनता को अपमानित करने के इरादे से इशारे, कार्य अथवा शब्द
जब कोई व्यक्ति किसी महिला की शालीनता(लज्जाशीलता) को अपमानित करने के इरादे से कोई इशारा, कोई कृत्य(कार्य) अथवा कोई अश्लील शब्द बोलता है, उसके द्वारा बोले गए शब्द महिला द्वारा सुनी जाएगी या इस प्रकार का इशारा अथवा उस महिला की निजता में घुसपैठ करता है।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत 3 वर्ष की सजा, करावास अथवा जुर्माना।
◆ रति(संभोग) क्रियावाद
अगर कोई व्यक्ति किसी निजी कार्य में संलग्न किसी महिला को देखता है अथवा उसकी Photo (तस्वीर) लेता है, जिसमें निजता(अपना होने की अवस्था या भाव) की अपेक्षा वाले किसी स्थान(जगह) पर देखना भी शामिल है और जहां पीड़िता के जननांग, नितम्ब अथवा स्तन निर्वस्त्र है अथवा केवल(मात्र) अंदर के कपड़ों से ढ़के है; या पीड़िता शौचालय का प्रयोग कर रही है; या कोई व्यक्ति ऐसी यौन क्रिया(काम) करता है, जो सामान्यतः सार्वजनिक रूप से नही की जाती है।
कानून- वैसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी के तहत पहली बार दोष सिद्ध होने पर 1 से 3 वर्ष की सजा कारावास और जुर्माना। अगर दूसरी बार अथवा उसके पश्चात दोष सिद्ध होने पर 3 से 7 वर्ष की सजा और जुर्माना।
◆ महिला का पीछा करना
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्जी के विरुद्ध(खिलाफ) उससे बातचीत करने के लिए बार-बार उसका पीछा करता है और उससे संपर्क करता है या उससे संपर्क करने का प्रयास करता है अथवा किसी महिला द्वारा इंटरनेट, ईमेल अथवा इलेक्ट्रॉनिक संप्रेषण के किसी अन्य साधन के प्रयोग पर निगरानी रखता है।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 डी के तहत पहली बार गलती सिद्ध होने पर 1 से 3 वर्ष की सजा कारावास और जुर्माना। उसके पश्चात दोष सिद्ध होने पर 5 वर्ष की सजा कारावास और जुर्माना।
◆ किसी भी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से किया गया काम
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आक्रमण करता है अथवा उसके साथ आपराधिक बल का प्रयोग करता है अथवा उसे निर्वस्त्र करने के लिए उकसाता या बाध्य करता है।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 बी के तहत 3 से 7 वर्ष की सजा और जुर्माना।
◆ यौन उत्पीड़न
यौन उत्पीड़न मैं शामिल है :-
★ शारिरिक सम्पर्क और प्रस्ताव, जिसमे अस्वीकार्य और स्पष्ट यौन प्रस्ताव शामिल है।
★ यौन अनुग्रह की मांग।
★ यौन रंजित टिप्पणी।
★ अश्लील(गंदा) साहित्य दिखाना।
★ यौन प्रकृति का कोई अन्य अस्वीकार्य शारीरिक, मौखिक अथवा गैर-मौखिक आचरण।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए के तहत खंड 1,2 अथवा 3 में वर्णित अपराध (गुनाह) के लिए 3 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना या दोनों हो सकता है।
अन्य मामलों में 1 वर्ष की सजा कारावास जुर्माना या दोनों।
★ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला अपराधिक कार्रवाई(कार्यवाही) के अलावा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के अंतर्गत शिकायत भी दर्ज करा सकती है।
अधिनियम में हर एक(प्रत्येक) संगठन में गठित आंतरिक शिकायत समिति अथवा प्रत्येक जिले में गठित स्थानीय शिकायत समिति द्वारा आयोजित की जाने वाली जांच के माध्यम से उपचार का प्रावधान है।
दंड- अनुशासनात्मक कार्रवाई(कार्यवाही), जिसमें लिखित(Written) क्षमा याचना, फटकार, चेतावनी, निंदा शामिल है।
पदोन्नति/वेतन वृद्धि रोक लेना/नियोजन समाप्ति/परामर्श दिलाना/सामुदायिक सेवा
◆ घरेलू हिंसा
घर के अंदर(भीतर) ऐसे लोगों द्वारा महिला के साथ किसी भी प्रकार की शारिरिक यौन, आर्थिक हिंसा करना, जिनका महिला के साथ पारिवारिक सम्बन्ध हो(जन्म का और वैवाहिक दोनों परिवार शामिल है)। जान बूझकर किया गया ऐसा कोई आचरण, जिसमे महिला द्वारा आत्महत्या(Suicide) करने के लिए प्रेरित होने की संभावना हो या गंभीर चोट अथवा महिला के जीवन शरीर के किसी अंग स्वास्थ्य (मानसिक या शारीरिक) खतरा पहुंचाया जाए; अथवा महिला को या उसके सगे-संबंधी को कोई गैरकानूनी मांग को पूरा करने के लिए मजबूर करने के लिए प्रताड़ित(उत्पीड़ित) किया जाए।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत पति या उसके सगे संबंधियों द्वारा निर्दयता के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करती है और महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 महिला को संरक्षण आदेश, बच्चों की अस्थाई अभिरक्षा, आर्थिक राहत और क्षतिपूर्ति आदेश के रूप में उपचार प्रदान करता है।
हिंसा/निर्दयता के मामले में पति अथवा उसके सगे-संबंधियों को 3 साल का कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत संरक्षण आदेश का उल्लंघन करने पर 1 वर्ष का कारावास और 20,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों के साथ दंडनीय हैं।
◆ दहेज मृत्यु
महिला के विवाह(शादी) के 7 सालों(वर्षों) के अंदर जलने, चोट लगने अथवा किसी अन्य अप्राकृतिक कारण से उसकी मृत्यु। शर्त यह है कि महिला की मृत्यु से पूर्व(पहले) उसके उसके पति अथवा पति के सगे-संबंधियों द्वारा दहेज को लेकर निर्दयतापूर्ण व्यवहार किया गया हो। यह सिद्ध करने का दायित्व महिला के पति और ससुराल पक्ष का है कि महिला की मृत्यु उसके दुर्व्यवहार के कारण नहीं हुई।
कानून- अपराध सिद्ध होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी के तहत 7 वर्ष की सजा कारावास से आजीवन(उम्र भर) कारावास हो सकता है।
◆ बाल विवाह
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बाल विवाह ऐसा विवाह, जिसमें लड़के की आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम हो।
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत उन लोगों को दंडित किया जाता है, जो बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं, उसे संपन्न कराते हैं और उसके लिए अवप्रेरित करते है अथवा 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ विवाह करने वाला 21 वर्ष से अधिक आयु का लड़का या कोई व्यक्ति दंड के तौर पर 2 वर्ष का कारावास और 1 लाख तक का जुर्माना या दोनों।
◆ कानूनी अभिभावकों की अभिरक्षा से अपहरण
16 वर्ष से कम आयु(उम्र) के किसी लड़के अथवा 18 वर्ष से कम आयु के किसी महिला अथवा विक्षिप्त मस्तिष्क के किसी व्यक्ति को उसके कानूनी अभिभावक की स्वीकृति के बिना अभिभावक की अभिरक्षा से ले जाना अथवा उसे प्रलोभन(लालच) देना।
कानून- भारतीय दंड संहिता की धारा 361 के तहत 7 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना।
◆ महिला को विवाह के लिए विवश करना अथवा अपहरण करना, उसे भगा कर ले जाना अथवा उसे प्रलोभन या लालच देना
किसी महिला का इस इरादे से अपहरण करना अथवा उसे भगा कर ले जाना कि उसे उसकी इच्छा(मर्जी) के विरुद्ध(खिलाफ) किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए बाध्य(विवश) किया जाएगा अथवा अवैध समागम के लिए उस पर दबाव डाला जाएगा या उसका शील भंग किया जाएगा।
कानून- तो दोषी को भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत 10 वर्ष का कारावास और जुर्माना।
◆ अवैध मानव व्यापार
किसी महिला को धमकी, बल या किसी अन्य प्रकार की जोर जबरदस्ती द्वारा या भगा कर ले जाकर, धोखाधड़ी, छल, अधिकारों के दुरुपयोग, प्रलोभन, जिसमें भुगतान अथवा लाभ देना या लेना शामिल है, द्वारा शारीरिक अथवा किसी प्रकार के यौन के प्रयोजनार्थ किसी व्यक्तियों/व्यक्तियों की भर्ती, एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना, आश्रय देना, स्थानांतरण अथवा प्राप्ति।
कानून- सिद्ध होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 370 के तहत 7 से 10 वर्ष का सश्रम कारावास और जुर्माना।
एक से अधिक व्यक्तियों अथवा किसी अवयस्क के अवैध व्यापार के मामले में 10 वर्ष से लेकर आजीवन सश्रम कारावास और जुर्माना।
एक से अधिक अवयस्कों के अवैध व्यापार के मामले में 14 वर्ष से लेकर आजीवन सश्रम कारावास और जुर्माना।
◆ तेजाब डालना
किसी व्यक्ति पर तेजाब डालने में किसी व्यक्ति द्वारा तेजाब अथवा किसी अन्य क्षयकारी पदार्थ के प्रयोग से जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना शामिल है।
तेजाब से किसी व्यक्ति पर आक्रमण या हमला करने का प्रयास भी अपराध है।
कानून- अपराधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 326 ए - 326 बी के तहत 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और पीड़िता के चिकित्सा के लिए समुचित जुर्माना।
किसी व्यक्ति पर तेजाब से आक्रमण या हमला करने का प्रयास 5 से 7 वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दंडनीय हैं।
● जुर्माना सीधे पीड़िता को दिया जाएगा।
★ चिकित्सा उपचार- आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357 ग के अंतर्गत सरकारी, प्राइवेट सभी अस्पतालों से यह अपेक्षित है कि तेजाब फेंके जाने की शिकार महिला को तत्काल निशुल्क प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान करें।
इस प्रकार की घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
कानून- इसका अनुपालन न किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166 बी के तहत(अंतर्गत) 1 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
★ आर्थिक सहायता- भारत सरकार ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि तेजाब है क्या जाने पर जिंदा बच जाने वाले व्यक्तियों को तत्काल अस्थाई राहत के रूप में 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता(पीड़ित प्रतिपूर्ति स्कीम के अंतर्गत दी जाने वाली राशि के अलावा(छोड़कर) प्रदान की जाए।
1 लाख रुपये की यह अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के अंतर्गत प्रदान की जाएगी।
◆ बलात्कार
यदि कोई पुरुष किए महिला की यौनि, मुख(मुंह), मूत्रमार्ग को अपने लिंग को किसी भी सीमा तक प्रवेश कराता है अथवा अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर किसी महिला से ऐसा करवाता है।
★ अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की यौनि, मूत्रमार्ग अथवा मलद्वार में किसी प्रकार का वस्तु या कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग, लिंग के अलावा, किसी भी सीमा तक डालता है अथवा अपने या किसी व्यक्ति के साथ महिला से ऐसा करवाता है।
★ किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला के शरीर के किसी भाग पर दबाव डालना, जिससे उस महिला की यौनि, मूत्रमार्ग(मलद्वार) अथवा का महिला के शरीर के किसी भाग में लिंग प्रवेश हो जाता है अथवा व्यक्ति अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर महिला से ऐसा करवाता है।
★ अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की यौनि, मूत्रमार्ग में मुंह डालता है अथवा अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर महिला से ऐसा करवाता है।
कानून- भारतीय दंड संहिता की धारा 294.
> ऐसा कृत्य नियम अधिनियम से किसी एक श्रेणी के अंतर्गत आना चाहिए:-
महिला की इच्छा के विरुद्ध(खिलाफ)
महिला की सहमति के बिना
उसकी सहमति(मर्जी) से, जब सहमति महिला को अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे महिला चाहती या प्रेम करती है, मृत्यु या आघात का डर दिखाकर प्राप्त की गई हो।
उसकी सहमति(मर्जी) से, जब पुरुष यह जानता हो कि वह उस महिला का पति नहीं है और यह कि महिला की सहमति(मर्जी) इसलिए मिली है कि मानती है कि वह दूसरा व्यक्ति है, जिससे वह कानूनी तौर पर विवाहित है अथवा ऐसा मानती है।
उसकी सहमति(मर्जी) से, इस प्रकार की सहमति देते समय विक्षिप्तता के कारण नशीला पदार्थ अथवा पुरुष स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के जरिए सम्मोहक, हानिकारक पदार्थ देने के कारण महिला सहमति के कृत्य(कार्य) की प्रकृति और उसके दुष्परिणामों को समझने में असमर्थ होती है।
महिला की सहमति(मर्जी) अथवा उसकी सहमति(मर्जी) के बिना, जब वह 18 वर्ष से कम आयु का हो।
जब वह अपनी सहमति(मर्जी) व्यक्त करने या बोलने में सक्षम ना हो।
★ सहमति का अर्थ है- स्वेच्छा से स्पष्ट सहमति. जब कोई महिला संकेतों, शब्दों अथवा किसी तरह के मौखिक या गैर मौखिक संप्रेषण से विशिष्ट यौन कृत्य(कार्य) मे शामिल होने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त करती है।
बशर्ते कि जो महिला लिंग प्रवेश के कृत्य(कार्य) का बलपूर्वक विरोध नहीं करती तो केवल इस कारण से उसे यौन क्रिया के लिए सहमत होना नही माना जाएगा।
अपवाद- कोई चिकित्सा क्रियाविधि अथवा कार्रवाई(कार्यवाही) बलात्कार नही होगा।
कानून- भारतीय दंड संहिता की धारा 375, 376 के तहत 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना।
यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के सहमति के बिना यौन समागम करता है, तो इसके लिए वह 2-7 वर्ष के कारावास और जुर्माने से दंडित होगा। कुछ अन्य मामलों में 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माने का दंड निर्धारित है।
अगर कोई पुरुष बलात्कार के दौरान(वक़्त) महिला को चोट पहुंचता है, जिसके कारण महिला अविरल निष्क्रियता की स्थिति में पहुंच जाती है या उस महिला की मृत्यु हो जाती है, तो इसके लिए 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास अथवा मृत्यु दंड का प्रावधान है।
★ 18 वर्ष से कम आयु(उम्र) की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुष को बाल यौन अपराध संरक्षण विधेयक, 2012 की धारा 5(एन) और 9(एन) के अंतर्गत आरोपित किया जा सकता है।
★ किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध स्थापित करना धारा 375 के अनुसार(तहत) अपराध नही है, किन्तु इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत निर्दयतापूर्ण कृत्य(कार्य) अथवा घरेलू हिंसा से महिलायों का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत(तहत) घरेलू हिंसा माना जा सकता है।
◆ सामुहिक ब्लात्कार
यदि किसी व्यक्तियों के समूह द्वारा किसी महिला के साथ बलात्कार किया जाता है तो समूह में से सभी व्यक्ति या प्रत्येक व्यक्ति द्वारा बलात्कार किया गया समझा जाएगा।
कानून- भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत(अंतर्गत) 20 वर्ष से लेकर आजीवन कठोर कारावास और जुर्माना। इस धारा के अंतर्गत लगाया गया जुर्माना पीड़िता को दिया जाएगा।
◆ क्षतिपूर्ति
आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357 ए में कहा गया है कि हर एक राज्य, प्रत्येक राज्य सरकार केंद्र सरकार के समन्वय से उस पीड़िता जिसने नुकसान उठाया है और जिस का पुनर्वास किया जाना अपेक्षित है अथवा उसके आश्रितों की क्षतिपूर्ति करने के प्रयोजनार्थ एक स्कीम तैयार करेगी।
स्कीम के अंतर्गत बलात्कार, तेजाब फेंके जाने और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के बाद जीवित बचे लोगों की क्षतिपूर्ति करना शामिल है।
◆ साइबर अपराध
साइबर अपराध अपराधों की एक नई श्रेणी है, जो इंटरनेट के व्यापक प्रयोग के कारण तेजी से बढ़ रहे हैं। संप्रेषण तक सुगम(आसानी) पहुंच और अज्ञात नामों के कारण इंटरनेट और सोशल मीडिया के असामाजिक तत्वों, संबंध समूहों और अपराधियों द्वारा दुरुपयोग की संभावना बढ़ गई है।
अनैतिक और अपराधिक गतिविधियों के लिए इंटरनेट का दोहन समाज के सम्मुख न केवल एक बड़ा खतरा है, बल्कि विधि प्रवर्तन अभिकरणों के लिए यह चिंता का विषय बनता जा रहा है।
साइबर प्रतिरूपण- अगर कोई व्यक्ति किसी संचार उपकरण के किसी साधन अथवा कम्प्यूटर संसाधन का प्रयोग धोखाधड़ी के प्रयोजनार्थ किसी अन्य व्यक्ति के प्रतिरूपण के लिए करता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 66 डी के तहत(अंतर्गत) 3 वर्ष का कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माना।
साइबर रतिक्रियावाद- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी निजता का उल्लंघन करते हुए उसके प्राइवेट(गुप्त) क्षेत्र का फोटो अथवा वीडियो बनाता है, प्रकाशित करता है, तो उसे साइबर रतिक्रियावाद कहा जाता है।
कानून- भारतीय दंड संहिता की धारा 66 ई के तहत(अंतर्गत) 3 वर्ष का कारावास अथवा 2 लाख रुपये का जुर्माना अथवा दोनों।
◆ साइबर अश्लील सामग्री
अश्लील सामग्री का शाब्दिक अर्थ है फिल्मों, पुस्तको आदि के माध्यम से यौन उत्तेजना पैदा करने के लिए यौन क्रिया का वर्णन करना अथवा दिखाना।
जिसमें अश्लील वेबसाइट; कंप्यूटर के माध्यम हो।
कानून- तो भारतीय दंड संहिता की धारा 67 के तहत(अंतर्गत) प्रथम दोष सिद्ध होने पर 3 वर्ष का कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना। पुनः दोष सिद्ध होने पर 5 वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपये का जुर्माना।
★ भारतीय दंड संहिता की धारा 67 ए (यौन कार्यों (कृत्यों) आदि वाली सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन या संप्रेषण)।
कानून- प्रथम दोष सिद्ध होने पर 5 वर्ष कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माना। पुनः दोष सिद्ध होने पर 7 वर्ष कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माना।
★ भारतीय दंड संहिता की धारा 67 बी (बच्चों को स्पष्ट रुप से यौन कृत्यों(कार्यों) में दिखाते हुए सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन या संप्रेषण) बाल अश्लील साहित्य भी पोक्सो अधिनियम, 2012 के अंतर्गत(तहत) अपराध है।
दंड- प्रथम दोष सिद्ध होने पर 5 वर्ष कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माना। पुनः दोष सिद्ध होने पर 7 वर्ष कारावास 10 लाख रुपये जुर्माना।
नोट- धारा 67, 67 ए और 67 बी के प्रावधान इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी दस्तावेज, चौपन्ने, पुस्तक, चित्र, लेख, निरूपण, पेंटिंग और आकृति पर लागू नहीं होते।
Mahilaao ke sath hinsa karne waalon ko dand milna hi chahiye, sir
ReplyDeleteआप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.