Fresh Article

Type Here to Get Search Results !

Life Poem ! ज़िंदगी की वास्तविकता

0
ज़िंदगी की वास्तविकता

कैसी ज़िंदगी, कैसा सफर है
लोग यहां खुद में खोए है
भूल गए अपनों को जो भी,
वो आज भटके खुद यहां है।

ना रास्तों का पता, ना मंजिल की खबर
ना सफर में किसी का साथ है मगर..
जैसा करम करता है लोग यहां
फल उसको जीते जी मिल जाता है

दूसरों के दुःख में हसने वाला
अपने दुःख में रो भी ना पाता है.

Written By: ~ सूरज सिंह राजा


Post a Comment

0 Comments