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दुनिया का सबसे बड़ा जानवर | World's Largest Animal

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ब्लू व्हेल डायनासोर से बड़ी पाई गई हैं। डायनासोर के सबसे बड़े कंकाल की लंबाई लगभग 27 मीटर बताई जाती है, लेकिन एक ब्लू व्हेल का आकार 30 मीटर या उससे भी बड़ा हो सकता है।

दुनिया का सबसे बड़ा जानवर, इतना बड़ा कि उसके सामने हाथी भी बौने नजर आते हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन ऐसा जानवर अभी इस दुनिया में मौजूद है। यह जानवर एक अंटार्कटिक ब्लू व्हेल है। यह स्तनपायी है जो इसे तेजी से बचाने की कोशिश कर रहा है। यह पृथ्वी पर एकमात्र जानवर है जो हर जानवर को आकार में पीछे छोड़ देता है।

दिल कार के वजन के बराबर

एक ब्लू व्हेल का वजन करीब 400,000 पाउंड यानी 33 हाथियों के वजन के बराबर व्हेल होता है। इसकी लंबाई जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। एक ब्लू व्हेल ब्राजील के रियो डी जनेरियो में स्थित क्राइस्ट की मूर्ति के बराबर है, यानी व्हेल की लंबाई 98 फीट है। विश्व रिकॉर्ड में क्राइस्ट की प्रतिमा का स्थान है। इसका दिल छोटी कार जितना बड़ा है।


व्हेल के भोजन के मौसम में, प्रतिदिन 3600 छोटी मछलियाँ खाई जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्लू व्हेल का आकार डायनासोर से भी बड़ा पाया गया है। डायनासोर के सबसे बड़े कंकाल की लंबाई 27 मीटर के करीब बताई जाती है, लेकिन एक ब्लू व्हेल का आकार 30 मीटर या इससे भी बड़ा हो सकता है। ब्लू व्हेल की जीभ का वजन हाथी के बराबर होता है। ब्लू व्हेल की खोपड़ी की लंबाई 5.8 मीटर मापी गई है।

आवाज इतनी तेज होती है कि जेट इंजन भी फेल हो जाता है

ब्लू व्हेल न केवल पृथ्वी पर सबसे बड़ा जानवर है बल्कि इस जानवर की आवाज भी दुनिया में सबसे तेज है। ब्लू व्हेल की आवाज जेट इंजन से ज्यादा तेज होती है। एक जेट इंजन केवल 140 डेसिबल ध्वनि उत्पन्न कर सकता है जबकि एक ब्लू व्हेल एक बार में 188 डेसिबल तक ध्वनि उत्पन्न कर सकती है। इसकी धीमी आवाज सैकड़ों मील दूर से भी सुनी जा सकती है।


ऐसा कहा जाता है कि यह दूसरी ब्लू व्हेल को आकर्षित करने के लिए कम आवृत्ति में आवाज करता है। ब्लू व्हेल के शरीर पर नीले रंग के साथ-साथ कई अन्य रंगों का भी प्रभाव देखा जा सकता है। ब्लू व्हेल उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी प्रशांत महासागर के अलावा दक्षिण सागर, हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर में पाया जाने वाला सबसे बड़ा जानवर है।

ये जानवर खतरे में हैं

विश्व वन्यजीव संगठन (WWF) के अनुसार, ब्लू व्हेल भी अब दुनिया में खतरे में है। अंटार्कटिका पर व्यावसायिक गतिविधियों के कारण अब व्हेल खतरे में है और इसकी आबादी दिन-ब-दिन घटती जा रही है। 1904 में दक्षिण अटलांटिक महासागर में वाणिज्यिक व्हेलिंग शुरू हुई।


1960 में, ये गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग द्वारा कानूनी संरक्षण दिए जाने के बाद भी जारी रहीं। व्हेल का शिकार 1972 तक अवैध रूप से जारी रहा। 1926 में जहां 125,000 ब्लू व्हेल थीं, वहीं साल 2018 में यह संख्या महज 3000 थी। इसके बाद इस जानवर को संवेदनशील और खतरे में घोषित कर दिया गया।

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