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पृथ्वी पर जीवन की सुरुआत कैसे हुई? इस कैप्सूल के माध्यम से खुलेंगे सारे राज - anokhagyan.in

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पृथ्वी पर जीवन की सुरुआत कैसे हुई? इसके बारे में पता लगाने के लिए जापान के अंतरिक्ष यान Hayabusa-2 ने पृथ्वी पर एक कैप्सूल को रिलीज किया है जिसके बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि इसके माध्यम से धरती पर जीवन की शुरुआत से जुड़े कठिन सवालों को सुलझाया जा सकता है।

Hayabusa यान पिछले 6 सालों में 4 अरब 82 करोड़ से अधिक किमी. की यात्रा कर चुका है। 


Hayabusa यान ने एक उल्कापिंड से कुछ Samples लिए थे। ये उल्कापिंड (Asteroid) धरती से करोड़ों मील दूर है। जापान की Aerospace exploration agency का कहना है कि Hayabusa-2 नामक इस Spacecraft (अंतरिक्ष यान) ने सफलतापूर्वक इस कैप्सूल को पृथ्वी पर रिलीज कर दिया है और जापान की Space Agency में मौजूद Staff ऑस्ट्रेलिया जाकर इस कैप्सूल को लेकर आ चुके हैं।

इस कैप्सूल के माध्यम से वैज्ञानिक ये भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि आखिर हमारे Solar System के बनने की प्रक्रिया शुरू कैसे हुई। ये कैप्सूल धरती के वातावरण से 75 मील पहले ही ये कुछ देर के लिए Fireball (आग का गोला) बन गया था हालांकि इस कैप्सूल की सफल लैंडिंग ऑस्ट्रेलिया में हो चुकी है।

आपलोगों की जानकारी के लिए बता दें कि जापान का Space Craft (अंतरिक्ष यान) Hayabusa-2 दिसंबर 2014 में Launch हुआ था। जनवरी 2018 में ये Space Craft (अंतरिक्ष यान) इस उल्कापिंड (Asteroid) के पास पहुंच गया था। वही Samples भेजने के बाद Hayabusa-2 इस Asteroid से दूर हो चुका है और अपने नए Mission पर जा चुका है।

इस Mission के Managers का कथन है कि इन सैंपल का बेहद कम हिस्सा (भाग) भी वैज्ञानिकों की रिसर्च के लिए काफी होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्कापिंड (Asteroid) के सतह से लिए गए सैंपल्स में काफी जरूरी Data हो सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा यह उम्मीद लगाई जा रही है कि ये Data Space radiation और बाकी पर्यावरण से जुड़े Factors से अप्रभावित होगा।

Australia National University SpaceRock Expert Trevor Ireland का कथन है कि उन्हें उम्मीद है कि ये सैंपल्स बिल्कुल उसी Asteroid के सैंपल्स से मिलते जुलते होंगे जो आज से 50 वर्ष पूर्व (पहले) Australia के Victoria state में गिरा था। वही Astronomer brad का ऐसा मानना है कि तकनीक के Advanced होने के चलते ऐसे कई मिशन अब सफल हो पा रहे हैं जिनके चलते Universe से जुड़े जटिल सवालों के जवाब ढूंढने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं।

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