1236 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी अधिक।
उस ग्रह के वायुमंडल में पत्थर भी भाप बन जाते हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह ग्रह आकार में पृथ्वी का आधा है।
इस ग्रह की खोज वर्ष 2017 में की गई थी, लेकिन इस ग्रह के बारे में 3 साल बाद यह निष्कर्ष निकाले गए हैं।
इस एक्सो प्लेनेट का नाम K2-141b है। यह प्लेनेट पृथ्वी की तरह ही अपने तारे के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है। जिस प्रकार हमारी पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है।
इस एक्सो प्लेनेट ग्रह का दो-तिहाई हिस्सा लगातार गर्म ही रहता है। इस ग्रह पर इतनी गर्मी है कि इस ग्रह पर मौजूद पत्थर भी पिघल कर भाप बन जाते हैं।
इस अध्ययन की रिपोर्ट रॉयल एस्ट्रोनॉमी सोसाइटी में हाल ही में प्रकाशित हुई।
कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के खगोल वैज्ञानिक निकोलस कोवन का कथन है कि पृथ्वी समेत सभी पथरीले ग्रह शुरुआत में लावे की तरह पिघले हुए समुंद्र से भरे थे।
समय के साथ-साथ धीरे-धीरे यह लावा शांत होता गया और दो लावा मजबूत पत्थर जैसा बन गया। ऐसा हो सकता है कि पृथ्वी की तरह ही इस ग्रह पर भविष्य में जीवन संभव हो।
वैज्ञानिकों द्वारा K2-141b को केप्लर स्पेस टेलीस्कोप और स्पीडजर स्पेस टेलीस्कोप से देखा गया। उसके बाद इस ग्रह के सतह, वायुमंडल और वातावरण का अध्ययन किया गया।
वैज्ञानिकों द्वारा अपने अध्ययन से यह पता चला कि यह ग्रह अपने तारे के बेहद नजदीक है। इसका मतलब यह हुआ कि सूर्य से इसे बहुत ज्यादा ऊर्जा मिलती है।
शायद इसी वजह से, इस ग्रह की सतह अलावे के समुंद्र में बदली हुई है। इस ग्रह के ये, लावे के समुंद्र सैकड़ों किलोमीटर लंबे और दर्जनों किलोमीटर गहरे हो सकते हैं ।
जब वैज्ञानिकों द्वारा इस ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन किया गया तो यह पता चला कि इस ग्रह पर हवाएं सुपर सोनिक गति से चल रही है।
इस ग्रह पर जो पत्थर है वो गर्मी और तेज हवा के कारण भाप बन चुके हैं। पत्थरों से निकलने वाली धूल वायुमंडल में फैली हुई है।
इस ग्रह पर हवा की गति 1.75 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकती है। इसका मतलब पृथ्वी पर ध्वनि की गति से कई गुना अधिक।
इस ग्रह के जिस भाग में सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती, वहां पर मौसम ठंडा है। इस ग्रह के वायुमंडल में हवा के साथ घूम रहे पत्थर, बारिश की तरह इसके सतह पर गिरते हैं।
इस ग्रह के पूरी सतह पर सिलिका या सिलिकॉन मोनोऑक्साइड की परत है।
यानि इस ग्रह की सतह चांदी की तरह चमकती है।
पृथ्वी(Earth) पर मौजूद बर्फ के ग्लेशियरों की तरह ही इस ग्रह पर सॉलिड सोडियम के ग्लेशियर है।
इस K2-141b ग्रह का अध्ययन करते वक्त वैज्ञानिक भी हैरान थे कि एक ही ग्रह पर इतनी अधिक विभिन्नताएं कैसे हो सकती है। उसके बाद वैज्ञानिकों द्वारा यह नतीजा निकाला गया कि ग्रहों के वायुमंडल और वातावरण का अध्ययन करने के लिए K2-141b यानी इस ग्रह से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है।
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.