वक़्त-वक़्त का योग
लाखों में बिकने लगे है
दो कौड़ी के लोग
वक़्त ने क्या करवट ली है
वक़्त ने बदली चाल
कल तक जो दो कौड़ी का था
आज वो पहना ताज
वक़्त का ये खेल देखों
वक़्त को लो पहचान
उम्र भर चोरी करने वाला
आज वो बना महान
समय की क्या रीत है
समय की क्या बात
मेहनत करने वाला निकम्मा है
और निकम्मे करे राज
समय-समय का खेल देखो
समय-समय की बात
मेहनत करने वाला फल नही खाता
कुछ बिन मेहनत फल खात
समय-समय का खेल है
समय-समय की बात
दो कौड़ी के लोग
बिक रहे है आज
वक़्त का ये पहिया देखो
घूम रहा है कैसे
दुम उठा कर घोड़ा
भाग रहा हो जैसे
कल तक जो भीड़ में खड़ा था
आज खड़ा अकेले
रोपे पेंड़ बबूल के
आम खाये कैसे
~ सूरज सिंह "राजा"
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.