वो बचपन भी क्या बचपन थी
जिसमे ना पाने की खुशी
ना खोने का गम
ना जितने की खुशी
ना हारने के डर
वो मां का आँचल
वो बाप का साया
वो भाई की हंसी
वो बहन का प्यार दिखाना
वो दोस्तों के साथ लड़ना-झगड़ना
वो छोटी-छोटी चीजों के लिए रूठना-मनाना
वो घूमना-फिरना
वो मस्ती कारना
ना चीजों के लिए कभी पीछे पड़ना
वो हँसना-रोना,वो गलती करना
वो गलती करने पर,पापा से मार खाना
वो पापा की मार से रूठना-रोना
वो मां का प्यार से मुझको मनाना
वो भाई का हंस कर समझाना
वो बहन का प्यार दिखाना
वो बचपन की यादें
वो बचपन का प्यार
वो बचपन के दिन
वो बचपन के रात
जब बच्चे थे,तो बड़े होने की जल्दी
आज बड़े है,तो वो बचपन की कमी खलती
ऐ खुदा कर वापस
उस बचपन को
या ले-ले इस जवानी को
इस जवानी से अच्छे
तो हम बच्चे थे
~ सूरज सिंह "राजा"
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.