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एक धूंधली सी याद - anokhagyan.in

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एक धुंधली सी यादें, एक धुंधला सा ख्वाब;

एक धुंधले से दिन,एक धुंधले से रात.


अंत मेरी कहानी की बहूत करीब है;

अंत मेरी ज़िंदगी की बहुत करीब है.


जाते-जाते अलविदा सभी को;

छोटा सा ज्ञान दे रहा हूँ सभी को.


ज़िन्दगी में भूल जाते इंसान अपनी पहचान को;

धन-दौलत, पैसे, शौहरत के लिए भूल जाते अपने आप को.


ज़िन्दगी भर दौड़ा शौहरत के पीछे;

जब वो शौहरत मिला, पता चला ज़िन्दगी गुज़र गया.


अंत आया करीब, ना अपने साथ कुछ लेकर गया;

जीते-जी बैचेन, मारने के वक़्त भी बैचेन रहा;

क्या पाया, क्या खोया, ना इसका हिसाब लेकर गया.


ज़िन्दगी में प्यार करो सभी से;

अपनी गलती की माफी माँग लो सभी से.


झूठे अहंकार में जी रहे हो, वो अहंकार किस काम का;

मरने के बाद बदनामी लेकर जाओगे, वो बदनामी किस काम का;

काम कुछ ऐसा करके जाना, जिससे याद तुम्हे रखे जमाना।

~ सूरज सिंह राजा



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2 Comments
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आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.