एक धुंधली सी यादें, एक धुंधला सा ख्वाब;
एक धुंधले से दिन,एक धुंधले से रात.
अंत मेरी कहानी की बहूत करीब है;
अंत मेरी ज़िंदगी की बहुत करीब है.
जाते-जाते अलविदा सभी को;
छोटा सा ज्ञान दे रहा हूँ सभी को.
ज़िन्दगी में भूल जाते इंसान अपनी पहचान को;
धन-दौलत, पैसे, शौहरत के लिए भूल जाते अपने आप को.
ज़िन्दगी भर दौड़ा शौहरत के पीछे;
जब वो शौहरत मिला, पता चला ज़िन्दगी गुज़र गया.
अंत आया करीब, ना अपने साथ कुछ लेकर गया;
जीते-जी बैचेन, मारने के वक़्त भी बैचेन रहा;
क्या पाया, क्या खोया, ना इसका हिसाब लेकर गया.
ज़िन्दगी में प्यार करो सभी से;
अपनी गलती की माफी माँग लो सभी से.
झूठे अहंकार में जी रहे हो, वो अहंकार किस काम का;
मरने के बाद बदनामी लेकर जाओगे, वो बदनामी किस काम का;
काम कुछ ऐसा करके जाना, जिससे याद तुम्हे रखे जमाना।
~ सूरज सिंह राजा
Bahoot achha hai,too good
ReplyDeleteBeautiful lines
ReplyDeleteआप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.