Hello Friend's मेरा नाम सूरज सिंह 'राजा' है।
और आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं लड़के एवं लड़कियों के बीच भेदभाव या असमानता के बारे में।
तो चलिए आज के इस आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
हम लोग 21वीं सदी में जी रहे हैं, मगर ऐसा क्यों होता है कि परिवार में एक बेटे(लड़के) के जन्म होने पर खुशी और जश्न मनाई जाती है, मगर बेटी(लड़की) के जन्म होने पर परिवार शांत हो जाता है। कोई भी खुशी या जश्न क्यों नही मनाया जाता है?
ये भेदभाव किसके लिए? वह बेटा(लड़का) आपका, वह बेटी(लड़की) आपकी है, एक मां के संतान होने के बावजूद भी दोनों के बीच इतना भेदभाव क्यों किया जाता है?
प्राचीन काल से ही लड़के एवं लड़कियों के बीच भेदभाव होता आ रहा है। लड़कों के जन्म पर इतना प्यार, लड़कियों के जन्म के समय या जन्म से पहले ही मारते आ रहे है, अगर वह सौभाग्य से बच भी जाये तो, जीवन भर उनके साथ भेदभाव के अनेक तरीके ढूंढ लेते है।
अगर हम प्राचीन काल की बात करे तो उस समय के लोगों की सोच थी कि एक पुत्र(लड़का) होना ही चाहिए।
उन लोगों का मानना था कि पुत्र(लड़के) हमारे खानदान को आगे बढ़ाएगा।
पहले के समय मे बेटियों को बोझ समझ जाता था, शायद आज भी यह सोंच कुछ लोगों के बीच हो।
बेटियों के जन्म के समय से ही उनकी शादियों के बारे में सोंचा जाने लगता है।
★ मगर आज के समय मे लड़कियां भी लड़कों की बराबरी करने लगी है।
अगर हम बात करे तो आज के समय मे लड़के एवं लड़कियों में भेदभाव नही होनी चाहिए। आज दुनिया देख रही है कि यहां सिर्फ लड़के काम किया करते थे, उस क्षेत्र में आज लड़कियां भी अपना परचम लहड़ा रही है।
क्या लड़के एवं लड़कियों में इसलिए भेदभाव किया जाता है कि लड़के काम कर सकते है वह शारिरिक तौर पर मजबूत होते है।
मगर सच तो यह है कि लड़कें कभी लड़कियों की बराबरी नही कर सकते है, लड़कियों में जितनी सहनशीलता, धैर्य, त्याग और समर्पण होती है, उतना त्याग और समर्पण लड़के अपने पूरे जीवन मे नही कर सकते है।
तो भेदभव किस बात की? यह भेदभव लड़के एवं लड़कियों में नही, ये भेदभाव आप लोगों की सोंच में है।
आपलोगों को अपनी ये सोंच बदलनी ।
आज भारत सरकार द्वारा "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान चल रहा है।
बेटियों के लिए सरकार शिक्षा को व्यवस्था, जन्म से लेकर विवाह तक के लिए पैसों की व्यवस्था, पालन-पोषण के लिए भी पैसे दे रही है।
आज लड़कियां भी पढ़-लिखकर लड़कों की तरह नौकरी कर रही है।आज लड़कियां अपनी शादी में भी पसंद या नापसंद बताती है। आज लड़कियां अपनी मर्जी से अपब पति चुन सकती है।
पहले शायद लड़कियों को इस लिए नही पढ़ाया जाता था, की अगर लड़कियां पढ़-लिख गयी तो वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएगी, समाज की असमानता के खिलाफ आवाज उठाएगी।
मगर आज काफी हद तक सुधार हुआ है, लड़कियां भी लड़कों की तरह शिक्षित हो रही है। आज सोंच में काफी बदलाव आया है।
आज की लड़कियां सिर्फ पढ़ ही नही रही है, बल्कि नौकरी भी कर रही है।
पहले के समय मे मां के गर्भ में ही लड़की होने का ज्ञात होने पर भ्रूण हत्या कर दी जाती थी, मगर आज ऐसा नही होता है, ऐसे कार्य के लिए सरकार ने दंड का प्रावधान रखा है। ऐसे कार्य करने वाले चिकित्सक(Doctor) को भी दंड मिलता है।
Note:- आपलोग अपने बेटे और बेटियों के बीच भेदभव मत कीजिये ये गलत है।
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