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जल प्रदूषण क्या है? इसके कारण, प्रभाव तथा उपाय

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जल प्रदूषण

पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्मजीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। इसे ही जल प्रदूषण कहते है।


जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुए प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धाराओं में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं।

किसी तरल वायु या ठोस वस्तु का जल में विसर्जन जिससे उप ताप हो रहा हो  या होने की संभावना हो। अन्य शब्दों में ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषिय या अन्य वैद्यपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव जंतु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें, जल प्रदूषण कहलाता है।

पृथ्वी पर जितना जल है उसका केवल 0.3% भाग ही स्वच्छ एवं शुद्ध है। शेष समुद्रों में खारे जल के रूप में है।

जल की गुणवत्ता के मानक

जल एक  रंगहीन द्रव  है जो हाइड्रोजन का मोनोऑक्साइड होता है। जल का सूत्र h2o है जल का घनत्व 4 डिग्री सेल्सियस पर अधिक होता है। हिमांक 0 डिग्री सेल्सियस तथा क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस होता है।


पेयजल के निर्धारित मानक

जल प्रदूषण को मापा भी जा सकता है। इसके मापन हेतु कई विधियाँ उपलब्ध है।

1. रासायनिक मानक- WHO के अनुसार पेयजल का PH मान 7 से 8.5 के मध्य हो। जल के कुछ नमूने लेकर रसायनिक प्रक्रिया द्वारा यह ज्ञात किया जा सकता है कि उसमें कितनी अशुद्धता है।

2. भौतिक मानक- WHO के अनुसार पेयजल ऐसा होना चाहिए जो स्वच्छ,शीतल,स्वादयुक्त तथा गंध रहित हो।


प्रदूषण पर नियंत्रण

जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु सबसे आवश्यक बात यह है कि हमें जल प्रदूषण को बढ़ावा देनेवाली  प्रक्रियाओं पर ही रोक लगा देनी चाहिए। इसके तहत किसी भी अपशिष्ट को जल स्रोतों में मिलने नहीं दिया जाना चाहिए। नदी एवं तालाब में पशुओं को स्नान कराने पर भी पाबंदी होनी चाहिए।

जल प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु नालों की नियमित रूप से साफ-सफाई करनी चाहिए। कृषि कार्यों में आवश्यकता से अधिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को भी कम किया जाना चाहिए।

समय-समय पर प्रदूषित जलाशयों में उपस्थित अनावश्यक जलीय पौधे एवं तल में एकत्रित कीचड़ को निकाल कर जल को स्वच्छ बनाएं रखने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। कई उद्योग वस्तु के निर्माण के बाद शेष बची सामग्री  जो किसी भी कार्य में न आती हो, उसे नदी आदि स्थानों में डाल देते हैं।


जल प्रदूषण को रोकने हेतु उद्योगों द्वारा सभी प्रकार के शेष बची सामग्री को सही ढंग से नष्ट करना चाहिए। जनसाधारण के बीच जल प्रदूषण के कारकों,दुष्प्रभावों एवं रोकथाम की विधियों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

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