नमस्कार दोस्तों!
भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका – जिसे माना जाता है कि समुद्र में डूब गई थी, क्या वो सच में अस्तित्व में थी? और अगर हां, तो उसे कब और कैसे खोजा गया?आज जानिए द्वारका की खोज की पूरी कहानी, सिर्फ 3 मिनट में! ⏱️
📖 प्राचीन ग्रंथों जैसे महाभारत, भागवत पुराण, और विष्णु पुराण** में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा छोड़कर समुद्र किनारे एक भव्य नगर बसाया था – द्वारका। कहानी ये है कि श्रीकृष्ण के स्वर्ग जाने के बाद, समुद्र ने पूरी नगरी को निगल लिया।
📚 हज़ारों सालों तक लोग इसे सिर्फ पौराणिक कथा मानते रहे… लेकिन फिर हुआ चमत्कार!
🕵️♂️ सन् 1983 में, भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) और समुद्री संस्थानों ने गुजरात के तट पर पानी के अंदर खोज शुरू की।
🌊 और जैसे ही गोताखोर समुद्र की गहराई में गए… उन्होंने देखा - पत्थरों की दीवारें, सीढ़ियाँ, खंभे, नालियाँ और प्राचीन भवनों के अवशेष! 🚢 यह सब मिला ओखा और बेट द्वारका के बीच, समुद्र तल के करीब 70 फीट नीचे। कुछ संरचनाएं तो 5 किलोमीटर से भी ज़्यादा क्षेत्र में फैली थीं।
🧱 इन अवशेषों का Carbon Dating करवाया गया, और पता चला कि ये 9000 साल पुरानी सभ्यता हो सकती है!
यह खोज पूरी दुनिया में हलचल मचा गई — क्या इतिहास की किताबें बदलने वाली हैं?
👀 वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने इस स्थल को "अंडरवॉटर हेरिटेज" माना और आज भी खोज जारी है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला जिससे यह 100% कहा जा सके कि यह भगवान कृष्ण की ही द्वारका है।
⚠️ फिर भी – इतनी उन्नत नगरी, इतनी प्राचीन – ये साबित करती है कि भारत की सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी और उन्नत सभ्यताओं में से एक थी।
📢 क्या आप मानते हैं कि यह सचमुच श्रीकृष्ण की द्वारका है?
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.