मिस्र में एक फिरौन ने 4000 वर्ष पहले "तैरता हुआ पिरामिड" बनवाया था। इसकी खास संरचना के कारण ऐसा लगता था कि यह पिरामिड रेगिस्तान में तैर रहा है।
कायरो
मिस्र देश के 12वें साम्राज्य के चौथे फिरौन सेनुस्रेट (Pharaoh Sanusret) ने लाहून के पिरामिड (Pyramids of lahoon) के निर्माण का आदेश दिया। उन्हें फइयाम (Faiyam) के शाद्वल क्षेत्र (Oasis region) में बहुत दिलचस्पी थी और उन्होंने बार युसफ से मोएरिस झील होते हुए सिंचाई व्यवस्था का विस्तार करना शुरू कर दिया। इस Project (परियोजना) का उद्देश्य कृषि योग्य जमीन को बढ़ाना था। फिरौन सेनुस्रेट की कोशिशों की वजह से यह 13वें साम्राज्य में मिस्र की राजधानी बनी रही। 'Unearned' Documentary (दस्तावेज़ी) में बताया गया है कि यह पिरामिड दूसरों से अलग कैसे है।
कैसी है संरचना?
सीरीज में बताया गया है कि इसके आसपास अनोखी खाई है। यह अकेला ऐसा पिरामिड है जिसे देखकर लगता है कि यह पानी पर तैर रहा है। Drone scanning analysis (ड्रोन स्कैनिंग विश्लेषण) की मदद से जमीन के नीचे के Tunnel (सुरंग) को Explore यानी छान-बीन किया गया। इसकी मदद से 4000 वर्ष पुराने रहस्यों को जाहिर किया गया। ऐसा बताया गया है की, इस पिरामिड को '1870 B.C (ईसा पूर्व) में चूनापत्थर पर 160 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया। पिरामिड के ऊपर की ओर काले रंग का Granite (ग्रेनाइट) लगाया गया है, जिससे 'स्वर्ग' तक contact यानी कि सम्पर्क किया जाता होगा।'
खास है पिरामिड
इसके पास एक चोटा पिरामिड है जो फिरौन की रानी के लिए था और 8 पत्थर के Mastba Memorial (मस्तबा स्मारक) थे। इसके बाहरी ओर मिट्टी की ईंटों से बनी दिवार थी। इसके आस-पास पानी था जिससे लगता था कि यह पिरामिड तैरता हुआ है। Archaeologist (पुरातत्वविद) सलीमा इकरम (Salima Icram) का ये कहना है कि फिरौन ने इसी भ्रम (Confusion) के लिए यह तैयार किया था कि पिरामिड तैर रहा है। उनका ये भी कहना है कि उस समय लोगों को देखकर ऐसा ही लगता होगा कि रेगिस्तान के बीच यह पिरामिड पानी पर तैर रहा है।
उनका कहना है कि शाद्वल (Oasis) यानी नखलिस्तान की वजह से यहां पानी आता रहता है। इस पिरामिड के निर्माण के लिए मिट्टी की ईंटों का इस्तेमाल किया गया और फिर चूनापत्थर लगाया गया। पिरामिड के चारों तरफ खाई खोदी जाती थीं जिसमें पत्थर डाल दिए जाते थे।
आप सब का अनोखा ज्ञान पे बहुत बहुत स्वागत है.