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टाइटन क्या है? | टाइटन उपग्रह के बारे में हिंदी में- anokhagyan.in

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टाइटन शनि ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह है। टाइटन सौर मंडल के सभी उपग्रहों में वातावरण वाला एकमात्र ज्ञात उपग्रह है। टाइटन पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसका सतह तरल स्थानों, जैसे नहरों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हो।


यूरोप- अमेरिका के अंतरिक्ष यान कासीनी के साथ गया उसका अवतरण यान, हायगन्स, 16 जनवरी 2004 को टाइटन के धरातल पर उतरा जहां उसने भूरे-नारंगी रंग में रंगे टाइटन के नदियों, पहाड़ों, झीलों-तालाबों वाले चित्र भेजें।


> टाइटन की खोज क्रिस्टियान हायगन्स ने 25 मार्च, 1655 को किया था।
> टाइटन का अर्ध मुख्य अक्ष:- 12,21,870 किलोमीटर है।
> टाइटन का विकेन्द्रता:- 0.0288.
> टाइटन का परिक्रमण काल:- 15.945 दिन है।
> इसका द्रव्यमान:- 1.3452+~0.0002*10^27 Kg.
> टाइटन का तापमान:- 93.7 केल्विन (-179.5℃)

टाइटन का वातावरण

टाइटन के यहां यान उतरते समय चारों तरफ काफी धुंध थी पर वह इतनी पारदर्शी थी कि हायगन्स के कैमरे 40 किलोमीटर की ऊंचाई से ही नीचे के दृश्य के फोटो लेने में सक्षम हो पाये।

वायुमंडल में हायगन्स को बिजली कौंधने के संकेत भी मिले।
हायगन्स अभियान प्रबंधक जौ पियरे लेब्रेतां के अनुसार इसका मतलब यह है कि टाइटन का वायुमंडल चंचल है।

हायगन्स में रखे उपकरणों ने टाइटन की हवा में तैरने वाले तत्वों का जो विश्लेषण किया, उससे पता चला कि उसके बादल मुख्यतः इथेन और मिथेन गैसों के बने होते हैं। टाइटन के इन बादलों में तरल मीथेन की वर्षा होती है।

● हायगन्स को अपनी यात्रा के दौरान ऐसी कोई बरसात नहीं मिली।
तरल मिथेन गैस वर्षा से उसके गैस बनने और बरसने का चक्र पृथ्वी पर पानी के वर्षा के समान ही होता है।

टाइटन और पृथ्वी के बीच और भी कई समानताएं हैं।


टाइटन पर ज्वालामुखी जैसी क्रियाएं भी देखने में आती है और यहां खाइयां, नदियों के पाट और मुहाने भी दिखते हैं, किंतु टाइटन पर अब तक बड़े पहाड़ नहीं दिखें।
यहां का वातावरण अत्यंत ठंडा है। यहां पर किसी प्रकार का जीवन नहीं है। तरल मीथेन यहां पानी का काम करती है।
टाइटन पर हवा में प्रतिध्वनि भी होती है, पृथ्वी की तरह तरंगे भी पैदा होती है।

टाइटन का सतह

जॉनथन लूनिन के अनुसार हायगन्स यान जहां उतरा, वहां नीचे पहाड़ियां और उनके बीच समतल मैदान वाले दृश्य थे।
हायगन्स यान उतरने से पूर्व एक पहाड़ के ऊपर से होता हुआ गुजरा। हायगन्स ने नदियों की कटान से जमीन पर बनी टाइटन की ऊपरी सतह पर आकृतियां देखी, जो एक समतल मैदान की ओर जा रही थी।
हायगन्स कंकड़-पत्थर और बर्फ के टुकड़ों वाली एक समतल जगह पर उतरा।

टाइटन उपग्रह(चन्द्रमा) पृथ्वी की अपेक्षा काफी ठंडा है और औसत तापमान शून्य से भी 180 डिग्री सेल्सियस नीचे है, जो साइबेरिया से भी 3 गुना ठंडा है।

नदियों और झीलों में पानी के जगह पर तरल मीथेन गैस बहती है।
ज्वालामुखी से बर्फीली अमोनिया निकलती है।

टाइटन के वायुमंडल में 98.4 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस है और 1.6 प्रतिशत अन्य गैस है, जिसमें मीथेन का अनुपात अधिक (सर्वाधिक) है।

यहां का वायुमंडल बहुत सघन और गुरुत्वाकर्षण बल कम है।

5.150 किलोमीटर व्यास वाला यह उपग्रह पृथ्वी के उपग्रह (चंद्रमा) से 1.624 किलोमीटर बड़ा है।

टाइटन का घना वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल के विपरीत एक ऐसा विलोम ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करता है कि सूर्य की किरणें अंतरिक्ष में परिवर्तित हो जाती हैं।

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