हेलो दोस्तों आज के इस लेख में हमलोग भारत के एक ऐसे जगह के बारे में जानेगें जहां पक्षी आत्महत्या कर लेते है, तो चलिए शुरू करते है आज के इस लेख को.....
1. असम का जतिंगा गांव, जहां आत्महत्या करने आते हैं पक्षी
आपने भारत के अलग-अलग राज्यों में मौजूद सुसाइड पॉइंट्स के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन देश में एक जगह ऐसी भी है जहां हर साल हजारों पक्षी सुसाइड करते हैं। इस रहस्यमयी घाटी का नाम जतिंगा है, जो असम के दक्षिणी भाग में स्थित है।
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यहां पक्षियों के सूइसाइड करने का रहस्य आज भी लोगों और वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है। यहां हम आपको इस रहस्यमयी घाटी के बारे में बता रहे हैं।
2. संतरे के बागों के लिए प्रसिद्ध है गांव
जतिंगा असम के दीमा हसाओ जिले की घाटी में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत और छोटा सा गांव है। उत्तरी कछार पहाड़ियों के बीच स्थित यह खूबसूरत घाटी अपने नारंगी बागों के लिए प्रसिद्ध है।
3. हजारों की संख्या में मरते हैं पक्षी
जतिंगा साल भर पर्यटकों की एक बड़ी आमद को आकर्षित करता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। हालांकि, हर साल सितंबर और अक्टूबर के दौरान हजारों पक्षियों की मौत का कारण जानने के लिए भी कई लोग यहां आते हैं।
4. घटना ज्यादातर शाम के वक्त होती है
गांव में पक्षियों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या की ज्यादातर घटनाएं शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक होती हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण पक्ष के दौरान ये दुर्घटनाएं बहुत बढ़ जाती हैं।
5. रात में लोगों के प्रवेश पर रोक
सितंबर और अक्टूबर के महीनों में जटिंगा घाटी का मौसम बहुत ठंडा होता है। इस समय शाम को बहुत कोहरा होता है और हवाएं भी बहुत तेज होती हैं। इस इलाके में रात के समय लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है।
6. झुंड में पक्षी आत्महत्या करते हैं
हैरान करने वाली बात यह है कि यहां के पक्षी झुंड में सुसाइड कर लेते हैं। इनमें स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की लगभग 44 प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें टाइगर बिटर्न, ब्लैक बिटर्न, लिटिल एहरेट, पोंड हेरॉन, इंडियन पित्त और किंगफिशर जैसी प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं।
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7. लोग अदृश्य ताकतों को बताते हैं घटना का कारण
इस क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोग पक्षियों की मौत के रहस्य के बारे में बात करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस घटना के पीछे भूत-प्रेत और अदृश्य शक्तियां हैं। जटिंगा में हुई रहस्यमयी घटना को लेकर वैज्ञानिकों की राय स्थानीय लोगों से बिल्कुल उलट है।
8. घटना के पीछे वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का मानना है कि सितंबर और अक्टूबर के महीनों में इस क्षेत्र में बहुत हवा चलती है, जिसके कारण शाम को अपने साथियों के साथ घर लौटते पक्षी अपना संतुलन खो बैठते हैं और पेड़ों से टकराकर घायल हो जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है।
9. मौसम और चुंबकीय शक्तियां हैं जिम्मेदार
इस रहस्यमयी घटना के रहस्य को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सेन गुप्ता को नियुक्त किया। डॉ. सेन गुप्ता ने काफी शोध के बाद बताया था कि इस घटना के लिए मौसम और चुंबकीय बल जिम्मेदार हैं।
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