किंगफिशर ये पक्षी अपने वजन से करीब 24 गुना ज्यादा खाना खाता है।
अक्सर हमलोग कैलेंडर में रंग-बिरंगे छोटी चिड़ियों की तस्वीरें देखते हैं। किंगफिशर वैसे तो इस चिड़ियां में ढेरों सारी खूबियां है, लेकिन इसमें एक अजीबोगरीब बात यह है कि ये नन्ही पक्षी अपने वजन से लगभग 24 गुना खाना रोज खाती है।
इसकी यही बात इसे सारी पक्षियों से अलग बनाती है। किंगफिशर, यह बेहद अच्छी शिकारी माने जाने वाली चिड़िया है, जो मछलियां और सांप का भोजन बेहद पसंद करता है।
तो चलिए इसी पक्षी के बारे में और अधिक जाना जाए।
किंगफिशर, यह कोरासीफोर्म्स समूह से मध्यम आकार का पक्षी है। इस पक्षी की अधिकतर स्पीशीज ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया में मिलती है।
किंगफिशर के इस समूह के अंतर्गत लगभग 90 प्रजातियां है।
उन सभी प्रजातियों में सभी के बड़े सिर, लंबे-तेज नुकीले चोंच, छोटे पैर और ठूंठदार पूंछ होती है। किंगफिशर की यही शारीरिक संरचना इन्हें काफी तेज बनाती है।
वैसे भी इस किंगफिशर पक्षी के खाने की आदत काफी अजीब है। इस पक्षी को दिन में कम से कम 4 बार खाने की आदत है।
हर बार खाने के बाद, अगर खाया हुआ भोजन ज्यादा हो जाता है, वह भोजन अधिक खाने की वजह से ना पचा हो, तो ये पक्षी उस भोजन हो उल्टी के जरिए बाहर निकाल देता है और उसके बाद फिर से शिकार में जुट जाता है।
इसी तरह पक्षी अपने भोजन से 24-26 गुना अधिक आहार का एक दिन में लेते हैं।
मछलियों को खाने में बेहद पसंद करने वाली ये किंगफिशर चिड़िया एक दिन में औसत आकार की लगभग 8 से 10 मछलियां खा जाती है और ना पचने पर फिर से उल्टी के माध्यम से बाहर निकालती है।
किंगफिशर नामक ये पक्षी अपने परिवार और जोड़े के लिए काफी वफादार होता है। ये साथ नहीं छोड़ता है।
प्रजनन के दौरान मादा किंगफिशर औसतन 6 अंडे देती है, वहीं किंगफिशरों की कई प्रजातियों में ज्यादा अंडे भी देती है।
अंडा निकलने के बाद नर और मादा दोनों बारी-बारी से उस अंडे को सेते हैं और बच्चे की सुरक्षा करते हैं।
आमतौर पर इस किंगफिशर पक्षी को शर्मिला माना जाता है। लेकिन इंसानों से इस किंगफिशर पक्षी का गहरा संबंध रहा है।
खास तौर पर द्वीपों पर रहने वाले लोग इससे काफी जुड़े हुए हैं।
ऑस्ट्रेलिया में कई ऐसे समुदाय है जो इस किंगफिशर पक्षी को पवित्र मानकर इसकी पूजा करते हैं।
समुद्र की लहरों से टक्कर लेने वाले इस किंगफिशर पक्षी के बारे में ऐसी मान्यता रही है कि यह पक्षी समुद्र देवता के खास हैं और कई आदिवासी समुदाय इस पक्षी की की पूजा करते है।
इन्हीं बातों के ठीक विपरीत इंडोनेशिया के द्वीपों में ओरिएंटल किंगफिशर का दिखना अपशकुन माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में अगर कोई योद्धा जंग लड़ने के लिए निकले और उसे यह पक्षी दिख जाए तो जाना कुछ समय के लिए रोक दिया जाता था।
इंडोनेशिया के बोर्नियों में अब भी इस पक्षी को शुभ-अशुभ के साथ जोड़ा जाता है। अगर कोई किसी काम की शुरुआत करता है और अगर यह पक्षी दिख जाती है, तो उस काम को टालने की कोशिश की जाती है।
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